बिहार : बक्सर के गंगा घाट पर लाशों का अंबार, पल्ला झाड़ते हुए बोला प्रशासन- "हमारी नहीं, UP की लाशें हैं"

चौसा के बीडीओ अशोक कुमार ने बताया कि ये करीब 40 से 45 लाशें होंगी, जो अलग अलग जगहों से बहकर महदेवा घाट पर आ कर लग गई हैं. उन्होंने बताया कि ये लाशें हमारी नहीं हैं.

खास बातें

  • बक्सर के घाट पर दिखे कई शव
  • जिला प्रशासन ने झाड़ा पल्ला
  • "हमारी नहीं यूपी की लाशें हैं"- जिला प्रशासन के अधिकारी बोले
बक्सर:

कोरोना संकट के बीच बिहार के बक्सर (Baxur) जिले में इंसानियत को शर्मशार करने वाली तस्वीर सामने आई है. चौसा के महदेवा घाट पर लाशों का अम्बार लग गया है. जिला प्रशासन ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि ये उत्तर प्रदेश की लाशें हैं, जो यहां बहकर आ गई है. कोरोना काल में बक्सर जिले के चौसा के पास स्थित महादेव घाट की तस्वीरों ने उस समय विचलित कर दिया, जब लाशों के अम्बार ने गंगा में स्थित घाट को ढक दिया.  हालांकि, जैसे ही इस घटना का वीडियो सामने आया जिला प्रशासन के कान खड़े हो गए. 

चौसा के बीडीओ अशोक कुमार ने बताया कि ये करीब 40 से 45 लाशें होंगी, जो अलग अलग जगहों से बहकर महदेवा घाट पर आ कर लग गई हैं. उन्होंने बताया कि ये लाशें हमारी नहीं हैं. हम लोगों ने एक चौकीदार लगा रखा है, जिसकी निगरानी में लोग शव जला रहे हैं. ऐसे में ये शव उत्तरप्रदेश से बहकर आ रहे हैं और यहां पर लग जा रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि यूपी से आ रही लाशों को रोकने का कोई उपाय नहीं है. ऐसे में हम इन लाशों के निष्पादन की तैयारी में है. 

एक अन्य अधिकारी केके उपाध्याय ने कहा, "वे फूली हुई हैं और कम से कम पांच से सात दिनों से पानी में हैं. हमें जांच करने की जरूरत है कि वे कहां से हैं, यूपी के किस शहर से हैं."

इस घटना को लेकर शहर और आसपास के इलाकों में दहशत का माहौल और इनसे होने वाले संक्रमण को लेकर चिंता है.

एक ग्रामीण नरेंद्र कुमार ने बताया, 'लोगों को डर कि कहीं उन्हें कोरोना ना हो जाए. हम इन शवों को दफनाना होगा.' उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जिला प्रशासन के एक अध‍िकारी आए और कहा कि इन शवों को साफ करने के लिए उन्हें 500 रुपये दिए जाएंगे.'

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इस मामले के दूसरे पहलू पर गौर करें तो कोरोना बक्सर सहित अनेक जिलो में फैल चुका है. पवनी निवासी नरेंद्र कुमार मौर्य बताते हैं कि चौसा घाट की स्थिति काफी दयनीय है. कोरोना संक्रमण के कारण यहां रोज 100 से 200 लोग आते हैं और लकड़ी की व्यवस्था नहीं होने के कारण लाशें गंगा में ही फेंक देते हैं, जिससे कोरोना संक्रमण फैलने का डर बना हुआ जबकि प्रशासन कोई भी मदद नहीं कर रहा है. 

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हालांकि, एसडीएम सदर केके उपाध्याय ने भी यही कहा कि "ये बिहार की नहीं उत्तर प्रदेश की लाशें हो सकती हैं क्योंकि हमारे यहां लाशें जलाने की परंपरा है." बहरहाल, लोगों का सीधे आरोप प्रशासनिक नाकामी की तरफ है. 

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