
- बेलहर विधानसभा सीट ग्रामीण क्षेत्र है, जिसकी स्थापना 1962 में हुई थी और यह लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है
- बेलहर में यादव समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 31.3 प्रतिशत है, और आठ बार यादव विधायक चुने जा चुके हैं
- बेलहर की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है, जहां नदियों की उपस्थिति उपजाऊ जमीन प्रदान करती है
बिहार के बांका जिले में स्थित बेलहर विधानसभा सीट ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जिसकी स्थापना 1962 में हुई थी. यह बांका लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसमें बेलहर, फुल्लीडुमर और चांदन तीन प्रमुख प्रखंड शामिल हैं. बेलहर की भौगोलिक स्थिति इसे कृषि के लिए उपयुक्त बनाती है, जहां हरिगढ़ और त्रिवेणी नदियों की उपस्थिति इसे उपजाऊ बनाती है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः खेती-किसानी पर ही आधारित है.
जातीय समीकरण की बात करें तो बेलहर को 'यादव भूमि' कहा जाता है, क्योंकि यहां यादव समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 31.3 प्रतिशत के आसपास है और अब तक आठ बार यादव विधायक चुने जा चुके हैं. वहीं मुस्लिम, राजपूत और रविदास जातियों की भी अच्छी-खासी तादाद है. अनुसूचित जातियों की भागीदारी 13.43 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों की 7.79 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाताओं की 5.5 प्रतिशत है.
राजनीतिक दृष्टिकोण से बेलहर सीट पर समाजवादी विचारधारा का प्रभाव रहा है. कांग्रेस और जेडीयू ने यहां चार-चार बार जीत दर्ज की है, जबकि आरजेडी तीन बार. 1990 के बाद कांग्रेस का प्रभाव लगभग समाप्त हो गया और 2000 के बाद से यह सीट जेडीयू और आरजेडी के बीच राजनीतिक युद्धभूमि बन चुकी है. 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के मनोज यादव ने आरजेडी के रामदेव यादव को 2,473 वोटों के अंतर से हराया था. रामदेव यादव इससे पहले चार बार विधायक रह चुके हैं. वहीं, बांका से सांसद गिरधारी यादव भी बेलहर से दो बार विधायक रह चुके हैं.
राजनीतिक, सामाजिक और भौगोलिक दृष्टि से बेलहर विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जहां जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं.
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