बिहार में राजद-जदयू गठबंधन के बीच रिश्ते सामान्य नहीं रह गए हैं ( नीतीश कुमार और लालू यादव- फाइल फोटो).
- सात निश्चयों के कार्यान्वयन में विधायकों की उपेक्षा का आरोप
- राजद विधायकों ने की तेजस्वी यादव को सीएम बनाने की मांग
- नीतीश कुमार के कारण अधिकारियों पर नहीं चल पा रहा दबदबा
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पटना:
बिहार के सत्तारूढ़ महागठबंधन में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा. खासकर राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) के बीच. दोनों दलों के बीच बढ़ती दूरी का ही परिणाम है कि राज्य में हर मुद्दे पर विपक्ष से पहले राष्ट्रीय जनता दल के विधायक या वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने में परहेज नहीं करते.
ताजा घटनाक्रम में राष्ट्रीय जनता दल के विधायकों ने आरोप लगाया है कि सात निश्चयों के कार्यान्वयन में उनकी उपेक्षा की गई. दरअसल भोला यादव, शक्ति यादव आदि राजद के विधायकों की मांग है कि सात निश्चय के कुछ कार्यक्रमों का क्रियान्वयन जैसे गांव में बनने वाली गली, नाले या हर घर जल विधायकों की अनुशंसा के मार्फत हों. फिलहाल इस दोनों कार्यक्रमों में विधायकों की कोई भूमिका नहीं है, बल्कि ग्राम पंचायत और वार्ड मेंबर की अनुशंसा को प्राथमिकता दी गई है.
इसके अलावा राज्य चयन आयोग में परीक्षा में धांधली की भी जब खबर आई तब हर विषय पर आलोचना के लिए तत्पर राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के अलावा भाई वीरेंदर ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार के कुछ करीबी लोगों का इस घोटाले में नाम आ रहा है इसलिए जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया जाना चाहिए. हालांकि जांच के दौरान इस घोटाले के कुछ मास्टरमाइंड जैसे रामाशीष राय के पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के पूर्व में जमानतदार होने की खबर आते ही यह नेता इस मुद्दे पर मौन साध गए. लेकिन सोमवार को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में लोक संवाद कर रहे थे तभी उनके उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव गया में अपनी पार्टी के जनसंवाद कार्यक्रम में भाग ले रहे थे. वहां उन्हें जल्द से जल्द मुख्यमंत्री बनाने की मांग राजद के विधायक कर रहे थे.
निश्चित रूप से फिलहाल जनता दल यूनाइटेड इन सारे मुद्दों को राजद विधायकों में 'ताबड़तोड़ तेल मालिश' का परिणाम बता रहे हैं लेकिन दबी जुबान से वे भी स्वीकार करते हैं कि बिना लालू यादव की सह के राजद विधायक सरकार की आलोचना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. जानकार मानते हैं कि यह सारा कुछ राजद की दबाव की राजनीति का परिणाम है और इस बात का भी प्रमाण है कि नीतीश कुमार सरकार चलाने के लिए कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं. वहीं राजद के नेता भी महसूस करते हैं कि लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के दौरान जिस प्रकार उनका दबदबा था वह नीतीश के कारण अधिकारियों पर नहीं चल पा रहा है.
हालांकि नीतीश ने फिलहाल अपने सहयोगी दल के विधायकों के आलोचना करने पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन मजबूत है और विरोधियों का प्रयास है कि गठबंधन में दरार फैले. राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव का कहना है कि वे विधायकों की समस्या के संबंध में नीतीश कुमार से बात करेंगे और विधानसभा सत्र के पहले महागठबंधन विधायक दल की बैठक में सारे मामले को सुलझा लिया जाएगा. हालांकि लालू हों या नीतीश सार्वजनिक बयानबाजी के घटनाक्रम के बाद वे भी जानते हैं कि यह संबंधों के सामान्य न होने का परिचायक है.
ताजा घटनाक्रम में राष्ट्रीय जनता दल के विधायकों ने आरोप लगाया है कि सात निश्चयों के कार्यान्वयन में उनकी उपेक्षा की गई. दरअसल भोला यादव, शक्ति यादव आदि राजद के विधायकों की मांग है कि सात निश्चय के कुछ कार्यक्रमों का क्रियान्वयन जैसे गांव में बनने वाली गली, नाले या हर घर जल विधायकों की अनुशंसा के मार्फत हों. फिलहाल इस दोनों कार्यक्रमों में विधायकों की कोई भूमिका नहीं है, बल्कि ग्राम पंचायत और वार्ड मेंबर की अनुशंसा को प्राथमिकता दी गई है.
इसके अलावा राज्य चयन आयोग में परीक्षा में धांधली की भी जब खबर आई तब हर विषय पर आलोचना के लिए तत्पर राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के अलावा भाई वीरेंदर ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार के कुछ करीबी लोगों का इस घोटाले में नाम आ रहा है इसलिए जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया जाना चाहिए. हालांकि जांच के दौरान इस घोटाले के कुछ मास्टरमाइंड जैसे रामाशीष राय के पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के पूर्व में जमानतदार होने की खबर आते ही यह नेता इस मुद्दे पर मौन साध गए. लेकिन सोमवार को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में लोक संवाद कर रहे थे तभी उनके उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव गया में अपनी पार्टी के जनसंवाद कार्यक्रम में भाग ले रहे थे. वहां उन्हें जल्द से जल्द मुख्यमंत्री बनाने की मांग राजद के विधायक कर रहे थे.
निश्चित रूप से फिलहाल जनता दल यूनाइटेड इन सारे मुद्दों को राजद विधायकों में 'ताबड़तोड़ तेल मालिश' का परिणाम बता रहे हैं लेकिन दबी जुबान से वे भी स्वीकार करते हैं कि बिना लालू यादव की सह के राजद विधायक सरकार की आलोचना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. जानकार मानते हैं कि यह सारा कुछ राजद की दबाव की राजनीति का परिणाम है और इस बात का भी प्रमाण है कि नीतीश कुमार सरकार चलाने के लिए कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं. वहीं राजद के नेता भी महसूस करते हैं कि लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के दौरान जिस प्रकार उनका दबदबा था वह नीतीश के कारण अधिकारियों पर नहीं चल पा रहा है.
हालांकि नीतीश ने फिलहाल अपने सहयोगी दल के विधायकों के आलोचना करने पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन मजबूत है और विरोधियों का प्रयास है कि गठबंधन में दरार फैले. राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव का कहना है कि वे विधायकों की समस्या के संबंध में नीतीश कुमार से बात करेंगे और विधानसभा सत्र के पहले महागठबंधन विधायक दल की बैठक में सारे मामले को सुलझा लिया जाएगा. हालांकि लालू हों या नीतीश सार्वजनिक बयानबाजी के घटनाक्रम के बाद वे भी जानते हैं कि यह संबंधों के सामान्य न होने का परिचायक है.
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