संवाददाताओं को संबोधित करते नीतीश कुमार
पटना:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उन आरोपों को बकवास करार दिया है मोदी ने आरोप लगाया है कि महागठबंधन के नेता वोट बैंक की राजनीति के तहत दलितों, महादलितों और पिछड़े वर्गों के आरक्षण कोटे में से पांच प्रतिशत की कटौती करके किसी सम्प्रदाय विशेष को देने का षड्यंत्र रच रहे हैं।
महागठबंधन के नेताओं सोनिया गांधी, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद पर यह आरोप लगाये जाने कि वेको ‘बकवास’ बताते हुए कहा कि यह उनकी सांप्रदायिक स्तर पर वोट के ध्रुवीकरण की आखिरी कोशिश है।
पटना में जदयू के प्रदेश कार्यालय में संवाददाताओं से नीतीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से आरक्षण परिभाषित है जिसका हम दृढ़तापूर्वक पालन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के आरोप में कोई सच्चाई नहीं है, हम दलितों, महादलितों और पिछड़े वर्गों के आरक्षण कोटे में से पांच प्रतिशत की कटौती करके किसी सम्प्रदाय विशेष को देने का षड्यंत्र रच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इससे पूर्व कुछ राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण दिए जाने की कोशिश की गयी जिसकी अदालत ने अनुमति नहीं दी।
नीतीश ने प्रधानमंत्री के आरोप को ‘बेबुनियाद’ बताते हुए आरोप लगाया कि एनडीए जो कि पहले ही हार चुकी है, उसका यह बिहार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए संप्रदायिक स्तर पर वोट के ध्रुवीकरण की रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने मोदी द्वारा पिछले दो दिनों में अपने चुनावी भाषणों के दौरान लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए एक तांत्रिक से अपनी मुलाकात, बिहार में बिजली को लेकर किए गए वादे और स्वयं को अत्यंत पिछड़ी जाति का बताने पर उन पर प्रहार करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि उन्होंने विकास से अब अपनी दूरी बना ली है।
नरेंद्र मोदी को विकास के मुद्दे पर बहस की खुली चुनौती देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि चूंकि एनडीए ने बिहार में अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है और वह प्रधानमंत्री के नाम पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा कि न्याय के साथ विकास के बिहार मॉडल और गुजरात मॉडल जहां अधिकांश महिलाएं कुपोषण और खून की कमी की शिकार हैं पर बहस कर लें।
महागठबंधन के नेताओं सोनिया गांधी, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद पर यह आरोप लगाये जाने कि वेको ‘बकवास’ बताते हुए कहा कि यह उनकी सांप्रदायिक स्तर पर वोट के ध्रुवीकरण की आखिरी कोशिश है।
पटना में जदयू के प्रदेश कार्यालय में संवाददाताओं से नीतीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से आरक्षण परिभाषित है जिसका हम दृढ़तापूर्वक पालन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के आरोप में कोई सच्चाई नहीं है, हम दलितों, महादलितों और पिछड़े वर्गों के आरक्षण कोटे में से पांच प्रतिशत की कटौती करके किसी सम्प्रदाय विशेष को देने का षड्यंत्र रच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इससे पूर्व कुछ राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण दिए जाने की कोशिश की गयी जिसकी अदालत ने अनुमति नहीं दी।
नीतीश ने प्रधानमंत्री के आरोप को ‘बेबुनियाद’ बताते हुए आरोप लगाया कि एनडीए जो कि पहले ही हार चुकी है, उसका यह बिहार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए संप्रदायिक स्तर पर वोट के ध्रुवीकरण की रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने मोदी द्वारा पिछले दो दिनों में अपने चुनावी भाषणों के दौरान लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए एक तांत्रिक से अपनी मुलाकात, बिहार में बिजली को लेकर किए गए वादे और स्वयं को अत्यंत पिछड़ी जाति का बताने पर उन पर प्रहार करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि उन्होंने विकास से अब अपनी दूरी बना ली है।
नरेंद्र मोदी को विकास के मुद्दे पर बहस की खुली चुनौती देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि चूंकि एनडीए ने बिहार में अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है और वह प्रधानमंत्री के नाम पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कहा कि न्याय के साथ विकास के बिहार मॉडल और गुजरात मॉडल जहां अधिकांश महिलाएं कुपोषण और खून की कमी की शिकार हैं पर बहस कर लें।
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