भोपाल:
भोपाल का एक शख्स 20 सालों से पहली रोटी गाय को खिलाता है, फिर पहला निवाला लेता है. नाम है असदुल्ला खान गौरी. असदुल्ला किसी राजनीतिक संगठन से नहीं जुड़े लेकिन सालों से गौसेवा कर रहे हैं, गली मुहल्ले से रोटी लाते हैं, बीमार गाय की तीमारदारी भी करते हैं. गाय की रक्षा के नाम पर गुंडागर्दी की तस्वीरें इन दिनों आम हैं, लेकिन ऐसी तस्वीरों से जुदा है ये तस्वीरें. असदुल्ला गौरी हर रोज़ पोटली में रोटी बांधते हैं, कुछ दवाएं, मरहम-पट्टी भी साथ रखते हैं, फिर भोपाल के बरखेड़ी इलाके से निकलते हैं. जहां गाय दिखी, रोटी खिलाने रुक गये. 20 सालों से रोज़ाना यही नियम, रमज़ान में रोजे के वक्त भी कोई कोताही नहीं.
गौरी किसी राजनीतिक संगठन से नहीं जुड़े. उनका कहना है, 'मैं सालों से गाय की सेवा करता हूं, ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं, मुझे नहीं पता था कि ये गोरक्षक क्या करते हैं, लोगों से सुना. बरखेड़ी और आसपास जहां गौरी को घायल गाय दिखी तो वहीं मरहम-पट्टी शुरू, ज्यादा बीमार हुई तो अस्पताल भी खुद ले जाते हैं. गौ सेवा के लिये अब मोहल्ले से रोटी बैंक, रमज़ान के बाद गौशाला भी खोलना चाहते हैं. इस काम में बेटे से भी साथ मिलता है. 
गली मोहल्ले के लोग भी सालों से गौरी की गाय सेवा के कायल हैं. बरखेड़ी के धर्मेन्द्र यादव ने कहा हम इन्हें सालों से देख रहे हैं, इनसे लोगों को सीखना चाहिये कि गौ माता की सेवा कैसे की जाती है. इन दिनों खुद को गौरक्षक बताने की होड़ लगी है. ऐसे में असदुल्ला खान गौरी जैसे लोग मिसाल हैं कि गाय की सेवा कैसे की जाती है, अनवरत-चुपचाप... बग़ैर किसी सियासी महत्वकांक्षा के.
गौरी किसी राजनीतिक संगठन से नहीं जुड़े. उनका कहना है, 'मैं सालों से गाय की सेवा करता हूं, ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं, मुझे नहीं पता था कि ये गोरक्षक क्या करते हैं, लोगों से सुना. बरखेड़ी और आसपास जहां गौरी को घायल गाय दिखी तो वहीं मरहम-पट्टी शुरू, ज्यादा बीमार हुई तो अस्पताल भी खुद ले जाते हैं. गौ सेवा के लिये अब मोहल्ले से रोटी बैंक, रमज़ान के बाद गौशाला भी खोलना चाहते हैं. इस काम में बेटे से भी साथ मिलता है.

गली मोहल्ले के लोग भी सालों से गौरी की गाय सेवा के कायल हैं. बरखेड़ी के धर्मेन्द्र यादव ने कहा हम इन्हें सालों से देख रहे हैं, इनसे लोगों को सीखना चाहिये कि गौ माता की सेवा कैसे की जाती है. इन दिनों खुद को गौरक्षक बताने की होड़ लगी है. ऐसे में असदुल्ला खान गौरी जैसे लोग मिसाल हैं कि गाय की सेवा कैसे की जाती है, अनवरत-चुपचाप... बग़ैर किसी सियासी महत्वकांक्षा के.
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