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This Article is From Dec 23, 2015

पूरी तरह स्वदेशी विमानों के लिए करना होगा 25 साल इंतजार

पूरी तरह स्वदेशी विमानों के लिए करना होगा 25 साल इंतजार
प्रतीकात्मक फोटो
बेंगलुरु: हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल इस साल प्लेटिनम जुबली मना रहा है। स्थापना के 75 साल पूरे होने पर एचएएल की तकनीक से विकसित ध्रुव हैलिकॉप्टर और हल्के लड़ाकू विमान तेजस ने हवाई करतब दिखाए।

एचएएल दुनिया की 10 अग्रणी कंपनियों में शुमार होने की कोशिश में
इस मौके पर एचएएल के मैनेजिंग डायरेक्टर टी सुवर्णा राजू ने बताया कि अगला 15 साल एचएएल के लिए काफी अहम है, क्योंकि इस दौरान कंपनी की कोशिश दुनिया की 10 अग्रणी हवाई जहाज निर्माता कंपनियों की श्रेणी में आने की है। उन्होंने अब कंपनी ने जो कदम उठाए हैं वे कामयाब होते दिख रहे हैं। इसकी एक मिसाल है 375 किलोग्राम केटेगरी का यूएवी लक्ष्य, जिसमें न सिर्फ डिजाइन स्वदेशी है बल्कि इंजन भी।

एरो इंजन बनाने की परियोजना
राजू के मुताबिक एचएएल बड़े व्यावसायिक और रक्षा क्षेत्र के लिए स्वदेशी ऐरो इंजन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अगर सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा तो 25 सालों के अंदर पूरी तरह से देशी तकनीक से बना ऐरो इंजन तैयार हो जाएगा, जो कि 60 से 80 मुसाफिरों वाले जहाजों के साथ-साथ  पांचवी पीढ़ी के युद्धक विमानों को उड़ाने में सक्षम होगा। हवाई जहाजों के लिए स्वदेशी इंजन विकसित करने की परियोजना पर फिलहाल एचएएल 458 करोड़ रुपये खर्च करने जा रहा है।

1940 में स्थापित हुई थी एचएएल
दूसरे विश्व युद्ध में हिस्सा ले रहे विमानों की देखरेख और मरम्मत के लिए एचएएल की स्थापना 1940 में हुई थी। आज एचएएल ने अपनी पहचान हेलिकॉप्टर और सैनिक विमानों के निर्माता के तौर पर बनाई है। यह आगे दुनिया की 10 सबसे बड़ी कंपनियों की श्रेणी में खड़े होने की कोशिश में जुटी है।

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