
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को लाइट कॉम्बैट एयर क्राफ्ट मार्क 1 ए के लिये अमेरिका से चौथा इंजन मिल गया है. जीई एयरोस्पेस से GE F404-IN20 इंजन मिलने से एलसीए एमके 1 ए के निर्माण कार्य मे अब तेजी आएगी. इस इंजन की आपूर्ति के साथ ही एचएएल अब भारतीय वायुसेना को एलसीए एम के 1 ए लड़ाकू विमान सौंपने की तैयारी के अंतिम चरण में पहुंच गया है.
यह इंजन 2021 में हुए उस समझौते का हिस्सा है, जिसके तहत जीई एयरोस्पेस एचएएल को कुल 99 इंजन उपलब्ध कराएगा. एचएएल अधिकारियों के अनुसार पहले दो विमान डिलीवरी के लिए पूरी तरह तैयार है.

डिलीवरी की रफ्तार बढ़ाने को तैयार
एचएएल के मुताबिक 10 और विमान बनकर पूरे तरह तैयार हैं और बस वे इंजनों की इंतजार में हैं. जैसे ही अतिरिक्त इंजन मिलेंगे, डिलीवरी तेजी से आगे बढ़ सकेगी. फिलहाल विमान में उड़ान परीक्षण और हथियार एकीकरण जारी हैं. नासिक उत्पादन केंद्र इस महीने के अंत तक एक अहम उड़ान परीक्षण करेगा.
उत्पादन क्षमता में बड़ा इजाफा
एचएएल के नासिक की उत्पादन इकाई अप्रैल 2023 में 150 करोड़ रुपये से अधिक निवेश के बाद शुरू की गई थी. यह एचएएल की तीसरी समर्पित तेजस उत्पादन लाइन है. बेंगलुरु की दो प्रोडक्शन लाइनों के साथ मिलकर कंपनी की क्षमता 2027 तक हर साल 24 एलसीए एमके 1 ए प्रोडक्शन करने की हो जाएगी. अकेले नासिक से सालाना आठ विमान तैयार होंगे.
इंजन आपूर्ति की बाधाएं कम
हालांकि, योजना के अनुसार 2025 तक सभी 99 इंजन मिलने थे, लेकिन ग्लोबली सप्लाई चेन इश्यू की वजह से इंजन के मिलने में देरी हुई. अब एचएएल को उम्मीद है कि अगले साल मार्च तक 12 इंजन मिल जाएंगे, जिससे डिलीवरी प्रक्रिया गति पकड़ेगी. भारतीय वायुसेना ने शुरुआती तौर पर 83 Mk1A विमानों को शामिल करने का फैसला किया है, जबकि लंबी अवधि के लिये 352 तेजस विमानों का लक्ष्य है. वहीं, एचएएल का यह कहना कि 2026-27 से हर साल वह करीब 30 एयर क्राफ्ट के उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं .

भविष्य की दिशा
एचएएल के टॉप सूत्रों का कहना है कि 113 अतिरिक्त F404 इंजनों का ऑर्डर अंतिम चरण में है. एक अरब डॉलर से अधिक का अनुबंध अक्टूबर में साइन होने की संभावना है. यह नए इंजन 68 सिंगल-सीट फाइटर और 29 ट्विन-सीट ट्रेनर विमानों के लिए होंगे, जिनकी आपूर्ति 2027-28 से शुरू होगी.
साथ ही, एचएएल जीई के साथ F414 इंजनों की 80% तकनीक हस्तांतरण पर भी बातचीत कर रहा है. ये इंजन भारत के भविष्य के LCA Mk2 और AMCA कार्यक्रमों के लिए अहम होंगे. यह पहल सरकार की आत्मनिर्भर भारत नीति के अनुरूप है, जो स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने पर केंद्रित है.
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