
- बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में तेजस लड़ाकू विमानों की कतारें उड़ान भरने के लिए तैयार हैं
- भारतीय वायु सेना लगभग 38 तेजस विमान संचालन में रखती है और अब 200 से अधिक विमानों की आपूर्ति होनी है
- तेजस का निर्माण 1986 से शुरू हुआ था और इसका पहला प्रोटोटाइप 2001 में पहली उड़ान भर चुका है
बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के कारखाने में भारत में निर्मित लड़ाकू विमान तेजस की कतारें उड़ान भरने के लिए तैयार खड़ी हैं और इनपर हुए नए रंग की खुशबू हवा में तैर रही है. तेजस पर करीबी नजर रखने वाले एनडीटीवी के रिपोर्टर ने पहली बार 1990 के दशक में भारत की रक्षा प्रयोगशाला के छोटे से हैंगर में एक भूरे रंग के पंखे को बनते हुए देखा था.
आज, लगभग 38 विमानों का संचालन भारतीय वायु सेना द्वारा लड़ाकू भूमिकाओं में किया जाता है और अब जल्द ही लगभग 200 से ज्यादा विमान भारत की सीमाओं की रक्षा में तैनात किए जाने के लिए तैयार हैं. इनका निर्माण 1986 से चल रहा था और इसने 2001 में अपना पहली उड़ान भरी थी.
बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के कार्यालय में खड़े होकर, एनडीटीवी के विज्ञान संपादक पल्लव बागला ने दशकों पुरानी भारतीय एयरोस्पेस महत्वाकांक्षा की परिणति को खुद सामने से देखा - स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस, जिसके कम से कम नौ विमान अब पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं और अपने अंतिम पड़ाव यानी कि इंजन, का इंतजार कर रहे हैं.

हमारे रिपोर्टर ने तेजस के विकास को उस वक्त से देखा है जब इसे लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LAC) कहा जाता था. प्रोटोटाइप से लेकर पायलट सीट तक, एनडीटीवी के विज्ञान संपादक पल्लव बालगा ने तेजस के उदय के बारे में लिखा है.
एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. डीके सुनील ने एनडीटीवी को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया कि एचएएल ने तेजस जेट विमानों के मौजूदा बैच के लिए एयरफ्रेम तैयार कर लिए हैं, लेकिन अमेरिकी निर्माता जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) से इंजन मिलने में देरी के कारण भारतीय वायुसेना को विमानों की आपूर्ति में देरी हो रही है.
डॉ. सुनील ने असेंबली हैंगर में कतार में खड़े तेजस जेट विमानों की ओर इशारा करते हुए कहा, "हम विमान में इंजन लगा रहे हैं और हम आपूर्ति के लिए तैयार हैं. आज, मुझे लगता है कि सभी विमान फ्रेम तैयार हो चुके हैं. इंजन की कमी है." जीई 404 इंजन, जो तेजस को शक्ति प्रदान करता है, एक उच्च-प्रदर्शन टर्बोफैन इंजन है जो 70-80 किलो न्यूटन की सीमा में थ्रस्ट प्रदान करने में सक्षम है. अपनी सिद्ध क्षमताओं के बावजूद, आपूर्ति श्रृंखला की अड़चन एक गंभीर बाधा बन गई है.
डॉ. सुनील ने आगे कहा, "जनरल इलेक्ट्रिक ने हमें बताया है कि वे इस प्रक्रिया में तेजी लाएंगे लेकिन अगर हमारे पास अपना स्वदेशी इंजन होता, तो इस रुकावट से बचा जा सकता था." हमारे देश को एक स्वदेशी जेट इंजन की जरूरत है. इस दिशा में एचएएल ने कदम आगे बढ़ाने शुरू कर दिए हैं और दो इंजन डिजाइन किए हैं. एक हेलीकॉप्टरों के लिए और दूसरा हॉक-श्रेणी के विमानों के लिए.
आगामी उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) के लिए लक्षित बड़ा इंजन भी सक्रिय रूप से विकसित किया जा रहा है. डॉ. सुनील ने कहा, "एचएएल अपने दो इंजन भी डिज़ाइन कर रहा है. एक हेलीकॉप्टर के लिए और दूसरा हॉक-श्रेणी के लिए. एएमसीए के लिए जिस बड़े इंजन पर अभी चर्चा हो रही है - उसमें रुचि और निवेश आज ही आ रहा है. इसलिए, मुझे उम्मीद है कि अगले 10 वर्षों में हमारे पास अपने इंजन होंगे."

तेजस विमान 4.5-गेनेरेशन का लड़ाकू विमान है जो अत्याधुनिक तकनीकों जैसे एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (एईएसए) रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले सिस्टम और दृश्य-सीमा से परे मिसाइलों से लैस है. इसका एर्गोनोमिक कॉकपिट डिजाइन और एवियोनिक्स इसे परिचालन संबंधी त्रुटियों के विरुद्ध अंतर्निहित सुरक्षा उपायों के साथ पायलट-अनुकूल प्लेटफॉर्म बनाते हैं.
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