फाइल फोटो
बेंगलुरु:
अधूरी जानकारी और राजनीतिक उठापठक की भेंट चढ़े बेंगलुरु में तंज़ानिया की एक छात्रा के साथ कथित बदसलूकी के मामले में 6 पुलिसकर्मियों को अबतक सस्पेंड किया जा चुका है।
शनिवार शाम कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश ने यशवंतपुर डिवीज़न के सहायक पुलिस आयुक्त यानी एसीपी आश्वत नारायण पईसे को निलंबित कर दिया। इससे पहले स्थानीय एसएचओ सहित 5 पुलिस कॉन्स्टेबलों को पुलिस कमिश्नर ने शुक्रवार को सस्पेंड किया था।
अफ़्रीकी मूल के छात्रों की तेज़ रफ़्तार गाड़ी की चपेट में आकर एक महिला की मौत हो गई। इस गाड़ी में सवार सभी अफ़्रीकी छात्रों की लोगों ने जमकर पिटाई की, बाद में कार को आग लगा दी। थोड़ी देर बाद एक दूसरी कार में कुछ अफ़्रीकी छात्र वहां से गुज़रे जिसमे तंज़ानिया की एक छात्रा भी सवार थी।
गुस्साई भीड़ ने उस कार पर भी हमला किया। मारपीट हुई, कपड़े इस छात्रा के भी फटे। इस कार को भी आग के हवाले कर दिया गया। एक स्थानीय अंग्रेजी दैनिक ने छाप दिया कि इस छात्रा को नग्न अवस्था में भीड़ ने घुमाया।
ये रिपोर्ट अबतक तथ्यहीन पाई गई क्योंकि छात्रा ने अपनी लिखित शिकायत में भी इसका उललेख नहीं किया है।
यानी इस झड़प में 2 कारें जली। पहली कार के अफ्रीकी मूल के छात्रों को भीड़ ने पुलिस के हवाले किया। दूसरी कार के छात्र कहां गए।
ये पता करने की एसएचओ ने अगले दो दिनों तक कोशिश भी नहीं की। महिला खुद सामने आयी और शिकायत दर्ज करवाई। इसी वजह से पुलिस इंस्पेक्टर यानी एसएचओ को सस्पेंड किया गया।
चार पुलिस कांस्टेबल मौक़ाए वारदात पर मौजूद थे लेकिन दूसरी कार के छात्रों को बचाने में उन्होंने वो ज़िम्मेदारी नहीं दिखाई जो दिखानी चाहिए थी। इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई हुई। एसीपी आश्वत नारायण पईसे ने इस मामले की गम्भीरता को नहीं समझा और न ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सही ढंग से जानकारी दी। इसलिए कार्रवाई उनपर की गयी।
बेंगलुरु सिटी पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (विधि व्यवस्था) चरण रेड्डी ने अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को सौंपी इसके बाद ये कार्रवाई की गयी।
इस सिलसिले में अबतक 11 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। इनके बयान के साथ-साथ सभी सस्पेंडेड पुलिसकर्मियों का बयान दर्ज किया गया है।
इतना बड़ा विवाद खड़ा हो गया लेकिन इस मामले पर एक शख्स बिलकुल चुप रहा और उसने अपने आप को इस सबसे दूर रखा। यानी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया। उनकी और गृह मंत्री जी परमेश्वर की नहीं पटती है। ऐसे में उन्होंने अपने आप को इस विवाद से अलग थलग रखा। कुल मिलाकर गाज पुलिस डिपार्टमेंट और राज्य के गृह मंत्री पर गिरी।
शनिवार शाम कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश ने यशवंतपुर डिवीज़न के सहायक पुलिस आयुक्त यानी एसीपी आश्वत नारायण पईसे को निलंबित कर दिया। इससे पहले स्थानीय एसएचओ सहित 5 पुलिस कॉन्स्टेबलों को पुलिस कमिश्नर ने शुक्रवार को सस्पेंड किया था।
अफ़्रीकी मूल के छात्रों की तेज़ रफ़्तार गाड़ी की चपेट में आकर एक महिला की मौत हो गई। इस गाड़ी में सवार सभी अफ़्रीकी छात्रों की लोगों ने जमकर पिटाई की, बाद में कार को आग लगा दी। थोड़ी देर बाद एक दूसरी कार में कुछ अफ़्रीकी छात्र वहां से गुज़रे जिसमे तंज़ानिया की एक छात्रा भी सवार थी।
गुस्साई भीड़ ने उस कार पर भी हमला किया। मारपीट हुई, कपड़े इस छात्रा के भी फटे। इस कार को भी आग के हवाले कर दिया गया। एक स्थानीय अंग्रेजी दैनिक ने छाप दिया कि इस छात्रा को नग्न अवस्था में भीड़ ने घुमाया।
ये रिपोर्ट अबतक तथ्यहीन पाई गई क्योंकि छात्रा ने अपनी लिखित शिकायत में भी इसका उललेख नहीं किया है।
यानी इस झड़प में 2 कारें जली। पहली कार के अफ्रीकी मूल के छात्रों को भीड़ ने पुलिस के हवाले किया। दूसरी कार के छात्र कहां गए।
ये पता करने की एसएचओ ने अगले दो दिनों तक कोशिश भी नहीं की। महिला खुद सामने आयी और शिकायत दर्ज करवाई। इसी वजह से पुलिस इंस्पेक्टर यानी एसएचओ को सस्पेंड किया गया।
चार पुलिस कांस्टेबल मौक़ाए वारदात पर मौजूद थे लेकिन दूसरी कार के छात्रों को बचाने में उन्होंने वो ज़िम्मेदारी नहीं दिखाई जो दिखानी चाहिए थी। इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई हुई। एसीपी आश्वत नारायण पईसे ने इस मामले की गम्भीरता को नहीं समझा और न ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सही ढंग से जानकारी दी। इसलिए कार्रवाई उनपर की गयी।
बेंगलुरु सिटी पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त (विधि व्यवस्था) चरण रेड्डी ने अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को सौंपी इसके बाद ये कार्रवाई की गयी।
इस सिलसिले में अबतक 11 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। इनके बयान के साथ-साथ सभी सस्पेंडेड पुलिसकर्मियों का बयान दर्ज किया गया है।
इतना बड़ा विवाद खड़ा हो गया लेकिन इस मामले पर एक शख्स बिलकुल चुप रहा और उसने अपने आप को इस सबसे दूर रखा। यानी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया। उनकी और गृह मंत्री जी परमेश्वर की नहीं पटती है। ऐसे में उन्होंने अपने आप को इस विवाद से अलग थलग रखा। कुल मिलाकर गाज पुलिस डिपार्टमेंट और राज्य के गृह मंत्री पर गिरी।
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