बेंगलुरु पुलिस ने 16 तस्करों को गिरफ्तार किया है
बेंगलुरु:
बेंगलुरु पुलिस की विशेष जांच टीम ने शहर के 13 अलग-अलग ठिकानों पर छापा मारकर 16 तस्करों को गिरफ्तार किया है जिनमें इसका सरगना 44 साल का उदय प्रताप सिंह भी शामिल है। ये गिरोबेंगलुरु पुलिस की विशेष जांच टीम ने शहर के 13 अलग-अलग ठिकानों पर छापा मारकर 16 तस्करों को गिरफ्तार किया है जिनमें इसका सरगना 44 साल का उदय प्रताप सिंह भी शामिल है। ये गिरोह बच्चों की तस्करी में शामिल है।
ऐसे होती थी बच्चों की तस्करी
गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार के 10 साल से कम के बच्चों को बेंगलुरु लाया जाता था। यहां एक महिला और पुरुष जो की वास्तविकता में पति-पत्नी नहीं होते थे, उनके साथ एक या दो बच्चों को कुछ दिनों तक रखा जाता। जब बच्चे इनसे घुल मिल जाते तो फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के जरिए इनका पासपोर्ट बनाया जाता। फिर चेन्नई में अमेरिकी कॉन्सुलेट से बी-1 और बी-2 श्रेणी यानी कम अवधि के पर्यटन वीजा पर इस परिवार को अमेरिका भेजा जाता। अमेरिका में 2 दिनों से एक हफ्ते तक रहने के बाद ये दम्पत्ति बच्चों को वहां छोड़ कर वापस आ जाता।
आखिर ये बच्चे कौन हैं
पुलिस की दो थ्योरी है। अब तक की पूछताछ में ये पता चला है कि ये वो बच्चे हैं जिनके माता-पिता अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे हैं। वो अपने बच्चों को भी वहां रखने के मक़सद से तस्करों के जरिए वहां मंगवा लेते हैं।
दूसरी थ्योरी के मुताबिक ये देश के अलग-अलग हिस्सों से अग़वा किये हुए बच्चे हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह अमेरिकी देशों में पहुंचा रहे हैं। अब तक लगभग 30 बच्चों की तस्करी का मामला सामने आया है।
कैसे हुआ मामले का खुलासा
अमेरिकी और भारतीय इमीग्रेशन विभाग ने ऑडिट में पाया कि कुछ दम्पत्ति लगातार बेंगलुरु से बच्चों के साथ अमेरिका तक सफ़र करते हैं। फिर वहां से बच्चों को छोड़ कर वापस आ जाते हैं। ऐसे दम्पत्तियों की लिस्ट तैयार होते ही बेंगलूरु पुलिस को इसकी सूचना दी गयी। ऐसे सभी दंपत्ति बेंगलुरु के ही रास्ते अमेरिका गए थे।
बेंगलुरु के अतिरिक्त आयुक्त (विधि व्यवस्था) एस हरिशेखरण की देखरेख में एक विशेष जांच दल गठित किया गया। इस दल ने शहर के 13 अलग-अलग जगहों पर छपा मार कर 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें इस गैंग का सरगना उदय प्रताप सिंह भी शामिल है।
इन सब पर अपहरण, अपराधिक षड्यंत्र रचने, पासपोर्ट एक्ट का का उलंघन के साथ-साथ जालसाज़ी और धोखधड़ी का मामला दर्ज किया है।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हरिशेखरण के मुताबिक इसके बदले इस गिरोह को लाखों रुपये मिलते थे। उनका कहना है कि अब इंटरपोल के जरिये अमेरिका भेजे गए बच्चों का पता लगाने के साथ-साथ ये भी जांच करनी है कि क्या वाक़ई बच्चे उनके माता-पिता तक ही पहुंचे या फिर किसी अंतरराष्ट्रिय गिरोह के हत्थे चढ़ गए।ह बच्चों की तस्करी में शामिल है।
ऐसे होती थी बच्चों की तस्करी
गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार के 10 साल से कम के बच्चों को बेंगलुरु लाया जाता था। यहां एक महिला और पुरुष जो की वास्तविकता में पति-पत्नी नहीं होते थे, उनके साथ एक या दो बच्चों को कुछ दिनों तक रखा जाता। जब बच्चे इनसे घुल मिल जाते तो फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के जरिए इनका पासपोर्ट बनाया जाता। फिर चेन्नई में अमेरिकी कॉन्सुलेट से बी-1 और बी-2 श्रेणी यानी कम अवधि के पर्यटन वीजा पर इस परिवार को अमेरिका भेजा जाता। अमेरिका में 2 दिनों से एक हफ्ते तक रहने के बाद ये दम्पत्ति बच्चों को वहां छोड़ कर वापस आ जाता।
आखिर ये बच्चे कौन हैं
पुलिस की दो थ्योरी है। अब तक की पूछताछ में ये पता चला है कि ये वो बच्चे हैं जिनके माता-पिता अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे हैं। वो अपने बच्चों को भी वहां रखने के मक़सद से तस्करों के जरिए वहां मंगवा लेते हैं।
दूसरी थ्योरी के मुताबिक ये देश के अलग-अलग हिस्सों से अग़वा किये हुए बच्चे हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह अमेरिकी देशों में पहुंचा रहे हैं। अब तक लगभग 30 बच्चों की तस्करी का मामला सामने आया है।
कैसे हुआ मामले का खुलासा
अमेरिकी और भारतीय इमीग्रेशन विभाग ने ऑडिट में पाया कि कुछ दम्पत्ति लगातार बेंगलुरु से बच्चों के साथ अमेरिका तक सफ़र करते हैं। फिर वहां से बच्चों को छोड़ कर वापस आ जाते हैं। ऐसे दम्पत्तियों की लिस्ट तैयार होते ही बेंगलूरु पुलिस को इसकी सूचना दी गयी। ऐसे सभी दंपत्ति बेंगलुरु के ही रास्ते अमेरिका गए थे।
बेंगलुरु के अतिरिक्त आयुक्त (विधि व्यवस्था) एस हरिशेखरण की देखरेख में एक विशेष जांच दल गठित किया गया। इस दल ने शहर के 13 अलग-अलग जगहों पर छपा मार कर 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें इस गैंग का सरगना उदय प्रताप सिंह भी शामिल है।
इन सब पर अपहरण, अपराधिक षड्यंत्र रचने, पासपोर्ट एक्ट का का उलंघन के साथ-साथ जालसाज़ी और धोखधड़ी का मामला दर्ज किया है।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हरिशेखरण के मुताबिक इसके बदले इस गिरोह को लाखों रुपये मिलते थे। उनका कहना है कि अब इंटरपोल के जरिये अमेरिका भेजे गए बच्चों का पता लगाने के साथ-साथ ये भी जांच करनी है कि क्या वाक़ई बच्चे उनके माता-पिता तक ही पहुंचे या फिर किसी अंतरराष्ट्रिय गिरोह के हत्थे चढ़ गए।ह बच्चों की तस्करी में शामिल है।
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