वर्ल्डकप 1983 में चैंपियन बनना भारतीय क्रिकेट के लिहाज से बड़ी उपलब्धि रहा (फाइल फोटो)
क्रिकेट के खेल ने देशवासियों को अनगिनत खुशियां उपलब्ध कराई हैं. जब भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करते हुए जीतती है और मैदान पर तिरंगा लहराता है तो हर क्रिकेटप्रेमी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. क्रिकेट का खेल भारत में इतना लोकप्रिय है कि एक तरह से इसने यहां धर्म का रूप ले लिया है. सवा अरब की आबादी वाले देश में क्रिकेट को लेकर गजब की दीवानगी है. भारतीय टीम की हर जीत को क्रिकेटप्रेमी अपनी यादों में संजो लेना चाहते हैं. नजर डालते हैं भारतीय टीम की सात ऐसी कामयाबियों पर, जिन्होंने हर देशवासी को
1971 में इंग्लैंड के खिलाफ वह पहली जीत
भारतीय क्रिकेट के लिहाज से 24 अगस्त को ऐतिहासिक दिन माना जा सकता है. 24 अगस्त 1971 को ही भारत ने इंग्लैंड में पहली टेस्ट जीत हासिल की थी. ओवल पर खेले गए इस टेस्ट की पहली पारी में भारत 71 रन से पिछड़ गया था. टेस्ट पर इंग्लैंड की पकड़ बेहद मजबूत मानी जा रही थी लेकिन दूसरी पारी में भगवत चन्द्रशेखर के नेतृत्व में भारतीय गेंदबाजी आक्रमण ने इंग्लैंड टीम को 101 रन पर ढेर कर दिया. भारत को जीत के लिए 173 रन का टारगेट मिला था, जो भारत ने छह विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया था. इस जीत ने टीम में यह विश्वास भरा था कि विदेश में भी टीम सफलता हासिल कर सकती है. अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ यह सीरीज 1-0 से अपने नाम की थी.
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1983 में कपिल के रणबांकुरों का वह कमाल
वर्ष 1983 के वर्ल्डकप में टीम इंडिया फाइनल में जरूर पहुंच गई थी लेकिन किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि वह बेहद मजबूत वेस्टइंडीज को हराकर चैंपियन बन पाएगी. बहरहाल, कपिल देव की टीम ने शानदार अंदाज में यह कर दिखाया था. वेस्टइंडीज ने भारत को सिर्फ़ 183 रनों पर समेट कर शानदार शुरुआत की और जवाब में एक विकेट पर 50 रन भी बना लिए. वेस्टइंडीज समर्थक जीत का जश्न मनाने की तैयारी करने लगे. लेकिन मोहिंदर अरमनाथ और मदन लाल ने शानदार गेंदबाज़ी की और मैच का पासा ही पलट दिया. वेस्टइंडीज की पूरी टीम 140 रन बनाकर आउट हो गई और भारत पहली बार वर्ल्डकप चैंपियन बना.
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1985 में वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट पर कब्जा
वर्ल्ड चैंपियनशिप क्रिकेट एक 17 फरवरी से 10 मार्च 1985 तक ऑस्ट्रेलिया में आयोजित वनडे टूर्नामेंट टूर्नामेंट था जिसमें सुनील गावस्कर के नेतृत्व वाली भारतीय टीम चैंपियन बनी. खास बात यह कि भारत ने यह जीत प्रबल प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर हासिल की थी. टूर्नामेंट विक्टोरिया में यूरोपीय निपटारे की 150 वीं वर्षगांठ की याद में मनाए जाने वाले समारोह का हिस्सा था. टूर्नामेंट में भारत की जीत इस मायने में खास थी कि उसने सभी दिग्गज टीमों को बेहद आसानी से शिकस्त दी थी. रवि शास्त्री को इसी टूर्नामेंट में चैंपियन ऑफ चैंपियंस बनने पर ऑडी कार इनाम में मिली थी.
पाकिस्तान को उसी की धरती पर वनडे और टेस्ट सीरीज में हराना
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों की बहाली हुई थी और वर्ष 2004 में भारतीय टीम पांच वनडे और तीन टेस्ट की सीरीज खेलने के लिए पाकिस्तान पहुंची. भारतीय टीम की कप्तानी सौरव गांगुली के पास थी. इस दौरे को यादगार बनाते हुए भारतीय टीम ने पांच वनडे की सीरीज 3-2 और तीन टेस्ट की सीरीज 2-1 के अंतर से जीती. पाकिस्तान को उसके देश में ही हराने का कारनामा भारतीय टीम इससे पहले कभी नहीं कर पाई थी. इस दौरे में इरफान पठान, लक्ष्मीपति बालाजी और मोहम्मद कैफ जैसे युवा क्रिकेटरों ने बढ़-चढ़कर प्रदर्शन किया. सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और गांगुली जैसे खिलाड़ियों ने भी इनका बराबरी से साथ दिया था.
टी20 वर्ल्डकप में टीम की खिताबी जीत
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम जब पहला टी20 वर्ल्डकप खेलने दक्षिण अफ्रीका पहुंची थी तो किसी को भी टीम से खास उम्मीद नहीं थी. सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे बड़े खिलाड़ी टीम से बाहर थे. बहरहाल, धोनी के नेतृत्व में टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टूर्नामेंट जीतकर पूरे देश को जश्न मनाने का बड़ा मौका उपलब्ध करा दिया. जीत की खुशी इसलिए और बढ़ गई कि भारतीय टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को पांच रन से हराया था. जोगिंदर शर्मा की ओर से फेंक गए पारी के आखिरी ओवर में जब मिस्बाह उल हक ने शॉट लगाने शुरू किए तो हर किसी के दिल की धड़कर रुक गई थी लेकिन उनके आउट होते ही जीत भारत के नाम हो गई.
वीडियो : धोनी की तारीफ में यह बोले थे गावस्कर
वर्ल्डकप 2011 में भारत बना सिरमौर
2 अप्रैल 2011 को भारतीय टीम ने श्रीलंका को हराकर फिर से वर्ल्डकप चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया. इसके पहले कपिल देव की कप्तानी वाली टीम ने 1983 में भारत ने पहली बार भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाया था. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के विजयी छक्के के साथ ही टीम इंडिया, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बाद दो या इससे ज्यादा बार खिताब पर कब्जा करने वाली तीसरी ऐसी टीम बनी थी. भारत ने फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से शिकस्त दी थी.
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1971 में इंग्लैंड के खिलाफ वह पहली जीत
भारतीय क्रिकेट के लिहाज से 24 अगस्त को ऐतिहासिक दिन माना जा सकता है. 24 अगस्त 1971 को ही भारत ने इंग्लैंड में पहली टेस्ट जीत हासिल की थी. ओवल पर खेले गए इस टेस्ट की पहली पारी में भारत 71 रन से पिछड़ गया था. टेस्ट पर इंग्लैंड की पकड़ बेहद मजबूत मानी जा रही थी लेकिन दूसरी पारी में भगवत चन्द्रशेखर के नेतृत्व में भारतीय गेंदबाजी आक्रमण ने इंग्लैंड टीम को 101 रन पर ढेर कर दिया. भारत को जीत के लिए 173 रन का टारगेट मिला था, जो भारत ने छह विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया था. इस जीत ने टीम में यह विश्वास भरा था कि विदेश में भी टीम सफलता हासिल कर सकती है. अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ यह सीरीज 1-0 से अपने नाम की थी.
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1983 में कपिल के रणबांकुरों का वह कमाल
वर्ष 1983 के वर्ल्डकप में टीम इंडिया फाइनल में जरूर पहुंच गई थी लेकिन किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि वह बेहद मजबूत वेस्टइंडीज को हराकर चैंपियन बन पाएगी. बहरहाल, कपिल देव की टीम ने शानदार अंदाज में यह कर दिखाया था. वेस्टइंडीज ने भारत को सिर्फ़ 183 रनों पर समेट कर शानदार शुरुआत की और जवाब में एक विकेट पर 50 रन भी बना लिए. वेस्टइंडीज समर्थक जीत का जश्न मनाने की तैयारी करने लगे. लेकिन मोहिंदर अरमनाथ और मदन लाल ने शानदार गेंदबाज़ी की और मैच का पासा ही पलट दिया. वेस्टइंडीज की पूरी टीम 140 रन बनाकर आउट हो गई और भारत पहली बार वर्ल्डकप चैंपियन बना.
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1985 में वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ क्रिकेट पर कब्जा
वर्ल्ड चैंपियनशिप क्रिकेट एक 17 फरवरी से 10 मार्च 1985 तक ऑस्ट्रेलिया में आयोजित वनडे टूर्नामेंट टूर्नामेंट था जिसमें सुनील गावस्कर के नेतृत्व वाली भारतीय टीम चैंपियन बनी. खास बात यह कि भारत ने यह जीत प्रबल प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हराकर हासिल की थी. टूर्नामेंट विक्टोरिया में यूरोपीय निपटारे की 150 वीं वर्षगांठ की याद में मनाए जाने वाले समारोह का हिस्सा था. टूर्नामेंट में भारत की जीत इस मायने में खास थी कि उसने सभी दिग्गज टीमों को बेहद आसानी से शिकस्त दी थी. रवि शास्त्री को इसी टूर्नामेंट में चैंपियन ऑफ चैंपियंस बनने पर ऑडी कार इनाम में मिली थी.
पाकिस्तान को उसी की धरती पर वनडे और टेस्ट सीरीज में हराना
भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों की बहाली हुई थी और वर्ष 2004 में भारतीय टीम पांच वनडे और तीन टेस्ट की सीरीज खेलने के लिए पाकिस्तान पहुंची. भारतीय टीम की कप्तानी सौरव गांगुली के पास थी. इस दौरे को यादगार बनाते हुए भारतीय टीम ने पांच वनडे की सीरीज 3-2 और तीन टेस्ट की सीरीज 2-1 के अंतर से जीती. पाकिस्तान को उसके देश में ही हराने का कारनामा भारतीय टीम इससे पहले कभी नहीं कर पाई थी. इस दौरे में इरफान पठान, लक्ष्मीपति बालाजी और मोहम्मद कैफ जैसे युवा क्रिकेटरों ने बढ़-चढ़कर प्रदर्शन किया. सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और गांगुली जैसे खिलाड़ियों ने भी इनका बराबरी से साथ दिया था.
टी20 वर्ल्डकप में टीम की खिताबी जीत
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम जब पहला टी20 वर्ल्डकप खेलने दक्षिण अफ्रीका पहुंची थी तो किसी को भी टीम से खास उम्मीद नहीं थी. सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे बड़े खिलाड़ी टीम से बाहर थे. बहरहाल, धोनी के नेतृत्व में टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टूर्नामेंट जीतकर पूरे देश को जश्न मनाने का बड़ा मौका उपलब्ध करा दिया. जीत की खुशी इसलिए और बढ़ गई कि भारतीय टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को पांच रन से हराया था. जोगिंदर शर्मा की ओर से फेंक गए पारी के आखिरी ओवर में जब मिस्बाह उल हक ने शॉट लगाने शुरू किए तो हर किसी के दिल की धड़कर रुक गई थी लेकिन उनके आउट होते ही जीत भारत के नाम हो गई.
वीडियो : धोनी की तारीफ में यह बोले थे गावस्कर
वर्ल्डकप 2011 में भारत बना सिरमौर
2 अप्रैल 2011 को भारतीय टीम ने श्रीलंका को हराकर फिर से वर्ल्डकप चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया. इसके पहले कपिल देव की कप्तानी वाली टीम ने 1983 में भारत ने पहली बार भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाया था. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के विजयी छक्के के साथ ही टीम इंडिया, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बाद दो या इससे ज्यादा बार खिताब पर कब्जा करने वाली तीसरी ऐसी टीम बनी थी. भारत ने फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से शिकस्त दी थी.
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