भारत में गाड़ियों की नंबर प्लेट सिर्फ पहचान के लिए नहीं होती, बल्कि यह भी बताती है कि गाड़ी किस काम के लिए इस्तेमाल हो रही है. आमतौर पर हम और आप सिर्फ सफेद और पीली नंबर प्लेट को जानते हैं, लेकिन हकीकत में भारत में कई तरह की नंबर प्लेट मौजूद हैं. इनमें प्लेट के बैकग्राउंड का रंग ही नहीं, बल्कि उस पर लिखे अक्षरों और अंकों का रंग भी मायने रखता है. चलिए आज आपको बताते हैं कि आखिर सफेद और पीली नंबर प्लेट के अलावा बाकी और नंबर प्लेट्स का मतलब क्या होता है.

हरी नंबर प्लेट
हरा रंग यह दर्शाता है कि गाड़ी जीरो एमिशन मतलब प्रदूषण रहित है. इलेक्ट्रिक निजी गाड़ियों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट दी जाती है, जिस पर सफेद रंग में नंबर और अक्षर लिखे होते हैं. यह प्लेट इलेक्ट्रिक कारों में होती है.

सफेद नंबर प्लेट
सफेद बैकग्राउंड और काले अक्षरों वाली नंबर प्लेट का मतलब होता है निजी वाहन. इस तरह की नंबर प्लेट निजी वाहनों के लिए होती है. अगर आपकी कार या बाइक व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए है और उससे कोई कमाई नहीं की जाती, तो उस पर यही नंबर प्लेट लगती है.

पीली नंबर प्लेट
टैक्सी, ट्रक, बस या किसी भी तरह के कमर्शियल काम में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों पर पीली नंबर प्लेट लगती है और उस पर काले अक्षर लिखे होते हैं. यह प्लेट देखकर साफ पता चलता है कि वाहन से कमाई की जा रही है. ऐसी गाड़ियों को चलाने के लिए कई बार खास ड्राइविंग लाइसेंस या परमिट की जरूरत भी होती है.
काले बैकग्राउंड पर पीले नंबर
कमर्शियल कैटेगरी में ही एक और खास नंबर प्लेट होती है, जिसमें काले बैकग्राउंड पर पीले अक्षर लिखे होते हैं. यह प्लेट आमतौर पर रेंटल या सेल्फ-ड्राइव कारों पर लगती है. इन गाड़ियों को चलाने के लिए कमर्शियल लाइसेंस की जरूरत नहीं होती, फिर भी ये तकनीकी रूप से कमर्शियल रजिस्ट्रेशन में आती हैं.

हरे रंग की नंबर प्लेट और पीले अक्षर
इलेक्ट्रिक कमर्शियल वाहनों के लिए भी अलग पहचान बनाई गई है. इनमें हरे रंग की नंबर प्लेट होती है, लेकिन अक्षर पीले रंग के होते हैं. इससे साफ हो जाता है कि वाहन इलेक्ट्रिक है, लेकिन उसका इस्तेमाल कमर्शियल काम के लिए किया जा रहा है.
नई गाड़ी की नंबर प्लेट
जब कोई नई गाड़ी खरीदी जाती है और उसका स्थायी रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ होता, तब उसे अस्थायी नंबर प्लेट दी जाती है. यह प्लेट पीले बैकग्राउंड पर लाल अक्षरों वाली होती है. यह नंबर प्लेट केवल एक महीने के लिए मान्य होती है. इस दौरान वाहन मालिक को संबंधित RTO में जाकर स्थायी रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है.

टेस्टिंग कार
कई बार आपने लाल रंग की नंबर प्लेट पर सफेद अक्षर भी देखे होंगे. ऐसी प्लेट आमतौर पर टेस्ट व्हीकल्स पर लगाई जाती है, जिनका इस्तेमाल कंपनियां टेस्टिंग या डेमो के लिए करती हैं.
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