
लाल सिंह आर्य.
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कांग्रेस उम्मीदवार ने दी कड़ी शिकस्त
कांग्रेस नेता हत्या मामले में हो चुके हैं गिरफ्तार
कोर्ट में लंबित है मामला
शिवराज सिंह चौहान के मध्य प्रदेश का चौथी बार सीएम बनने का सपना कांग्रेस ने तोड़ दिया. करीब 24 घंटे मतगणना प्रक्रिया चलने के बाद बुधवार को कांग्रेस पार्टी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. हालांकि, वह बहुमत से आंकड़े से दो सीट दूर 114 पर रह गई. इसके बाद बसपा और सपा ने कांग्रेस के समर्थन देने का एलान कर दिया. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में राज्यपाल से मिलकर दावा भी पेश कर दिया है.
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लाल सिंह आर्य का राजनीतिक सफर:-
लाल सिंह आर्य पहली बार साल 1998 में ग्यारहवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. इस दौरान वे विधानसभा की आश्वासन समिति, प्रत्यायुक्त विधान समिति एवं अनुसूचित जाति-जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के सदस्य रहे. साल 2002 से वे भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य तथा जून 2005 से भारतीय जनता पार्टी जिला भिण्ड के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी निभाई. उन्हें मध्यप्रदेश नशा मुक्ति बोर्ड का सदस्य, पंच-ज समिति का सदस्य (राज्य मंत्री स्तर) तथा महर्षि अरविंद महाविद्यालय गोहद की जन-भागीदारी समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया. साल 2003 में दूसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए. साल 2013 में भिण्ड जिले के गोहद से फिर विधानसभा के सदस्य चुने गए.
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गाय मंत्री भी नहीं बचा पाए सीट
इसी तरह देश के पहले और इकलौते 'गाय मंत्री' ओटाराम देवासी को भी हार का सामना करना पड़ा. राजस्थान की सिरोही सीट से चुनावी मैदान में उतरे देवासी को निर्दलीय उम्मीदवार ने करीब 10 हजार वोटों से हरा दिया. बतौर गाय मंत्री देवासी का कार्यकाल काफी विवादों में रहा है. उनके कार्यकाल में भूख और बीमारी की वजह से सैंकड़ों गायों की मौत हुई थी. हमेशा पारंपरिक वेशभूषा में नजर आने वाले देवासी लाल पगड़ी और सफेद धोती पहनते हैं. देवासी नेता होने के साथ-साथ अध्यात्म से भी जुड़े हुए हैं. देवासी ने साल 2008 में सिरोही विधानसभा से चुनाव लड़ा था और साल 2013 में भी इसी सीट से जीते थे. लेकिन इस बार निर्दलीय उम्मीदवार संयम लोढ़ा ने उन्हें दस हजार वोट से हरा दिया. देवासी को 71019 वोट मिले, जबकि लोढ़ा को 81272 वोट हासिल किए.
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