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This Article is From Nov 12, 2018

कमलनाथ बोले - RSS पर प्रतिबंध लगाने की बात कभी नहीं कही, न ही हमारी मंशा है

मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए दो दिन पहले जारी अपने ‘वचन पत्र’ में पार्टी ने, या उन्होंने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की बात नहीं कही और न ही इस तरह की उनकी कोई मंशा है.

कमलनाथ बोले - RSS पर प्रतिबंध लगाने की बात कभी नहीं कही, न ही हमारी मंशा है
मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ (फाइल फोटो).
भोपाल: मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए दो दिन पहले जारी अपने ‘वचन पत्र' में पार्टी ने, या उन्होंने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की बात नहीं कही और न ही इस तरह की उनकी कोई मंशा है. कमलनाथ ने कहा कि भाजपा जानबूझकर इस तरह के मुद्दों को हवा देकर जनता को भ्रमित करना चाहती है, ताकि हमारे ‘वचन पत्र' के जनहितैषी मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने कभी नहीं कहा कि हम आरएसएस पर प्रतिबंध लगाएंगे. न हमारी ऐसी मंशा है. मैंने या कांग्रेस पार्टी ने कभी नहीं कहा कि हम आरएसएस पर प्रतिबंध लगायेंगे.'' कमलनाथ ने कहा, ‘‘सरकारी स्थानों को छोड़कर आरएसएस को शाखाएं लगाने की पूरी छूट है.'' उन्होंने कहा कि यह जनता तय करेगी कि आरएसएस सामाजिक संगठन है या राजनीतिक. हम इसमें नहीं पड़ना चाहते हैं. 

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उन्होंने कहा कि इस बारे में सुझाव आये थे कि आदिवासी छात्रावासों एवं अन्य सरकारी स्कूलों में, जहां आरएसएस की शाखाएं लग रही हैं वहां बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. इसके बाद हमने अपने ‘वचन पत्र' में इस बिंदु को शामिल किया. इस बीच, इस बारे में एक सवाल के जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह कोई मुद्दा नहीं है. मैं (प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी एवं (भाजपा अध्यक्ष) अमित शाह को बहुत करीब से जानता हूं. वे नॉन-इश्यू को इश्यू बना देते हैं.'' गोहिल ने कहा कि भाजपा ऐसा इसलिए कर रही है कि महंगे पेट्रोल-डीजल, ‘अच्छे दिन आयेंगे' के उसके नारे, किसान आत्महत्या, रूपये का डॉलर के मुकाबले कमजोर होना और हर व्यक्ति के बैंक खाते में 15 लाख रूपये आने के मोदी के वादे जैसे मुद्दों पर बहस न हो. गौरतलब है कि शनिवार को जारी अपने ‘वचन पत्र' में कांग्रेस ने कहा था, ‘‘यदि प्रदेश में उसकी सरकार आती है तो वह शासकीय परिसरों में आरएसएस की शाखायें लगाने पर प्रतिबंध लगायेंगे तथा शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारियों को शाखाओं में छूट संबंधी आदेश निरस्त करेंगे.''

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 इसके एक दिन बाद रविवार को भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा एवं मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा कि अगर हिम्मत है तो संघ की शाखाओं पर प्रतिबंध लगाकर दिखाएं. वहीं, वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीक्षित ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वर्ष 1981 में मध्यप्रदेश में सरकारी भवनों में आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद वर्ष 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार ने इस प्रतिबंध को सिविल सर्विसेज कंडक्ट रूल के तहत जारी रखा था, दीक्षित ने कहा कि इसके बाद नवंबर 2003 में भाजपा नीत सरकार प्रदेश में आई और उमा भारती मुख्यमंत्री बनी. उन्होंने भी इस प्रतिबंध को जारी रखा. 

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उमा भारती के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने. तब भी यह प्रतिबंध जारी रहा. लेकिन गौर के बाद वर्ष नवंबर 2005 में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने और उन्होंने वर्ष 2006 में आरएसएस को सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन एवं गैर राजनीतिक संगठन बताते हुए इस पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था. राम मंदिर के मुद्दे पर कमलनाथ ने कहा कि जब चुनाव आता है तो भाजपा को राम मंदिर याद आता है. पिछले साढ़े चार साल से भाजपा कहां थी? जब राज्यों के चुनाव आ रहे है, जब केन्द्र में 6 माह बाद चुनाव होने हैं तो इन्हें (भाजपा) राम मंदिर याद आ रहा है.

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