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This Article is From Dec 21, 2018

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी उम्मीदवार ने कहा 'गद्दारों की सिर्फ एक सजा है और वह है सजा-ए-मौत'

सुधीर यादव (Sudhir Yadav) ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे लोग जो पार्टी के अंदर रहकर भी पार्टी के खिलाफ काम करते हैं उन्हें सजा-ए-मौत की सजा दे देनी चाहिए.

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी उम्मीदवार ने कहा 'गद्दारों की सिर्फ एक सजा है और वह है सजा-ए-मौत'
प्रतीकात्मक चित्र
भोपाल:

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Assembly Election) में बीजेपी (BJP) की हार के बाद अब पार्टी के भीतर की खींचतान बाहर आने लगी है. बीजेपी (BJP) के उम्मीदवार हार के लिए पार्टी के अंदर अंदरूनी कलह को जिम्मेदार ठहराते दिख रहे हैं. सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हारने वाले बीजेपी उम्मीदवार सुधीर यादव (Sudhir Yadav)  भी अपनी हार के लिए भीतरघातियों को जिम्मेदार मानते हैं. सुधीर यादव (Sudhir Yadav) ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे लोग जो पार्टी के अंदर रहकर भी पार्टी के खिलाफ काम करते हैं उन्हें सजा-ए-मौत की साज दे देनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि 'गद्दारों की सिर्फ एक सजा है और वह है सजा-ए-मौत'. बता दें कि सुधीर यादव (Sudhir Yadav) बीजेपी सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे हैं. उन्हें इस बार चुानव में कांग्रेस के गोविंद राजपूत ने हराया है. सुधीर यादव (Sudhir Yadav) पर चुनाव के दौरान एक अनुसूचित जाति से आने वाले एक युवक के साथ मारपीट का भी आरोप लगा था. इस वजह से उन्हें एक दिन जेल में भी रहना पड़ा था.

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गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में 15 साल के बाद बीजेपी को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. 11 दिसंबर को आए चुनाव परिणाम के बाद उस समय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. बीजेपी को इस बार चुनाव में 109 सीटें मिली है जबकि कांग्रेस के खाते में 114 सीटें रहीं थी. कांग्रेस ने बीसपा और सपा के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई है. बसपा प्रमुख मायावती ने चुनाव के नतीजे आने के एक दिन बाद कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया था.

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मायावती ने कांग्रेस को समर्थन देने से पहले उसे फटकार भी लगाई थी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसके बाद बसपा प्रमुख मायावती ने कहा था कि भाजपा गलत नीतियों की वजह से हारी है. भाजपा से जनता परेशान हो चुकी है. भाजपा और कांग्रेस दोनों के शासन में यहां काफी उपेक्षा हुई है. आजादी के बाद केंद्र और राज्य में ज्यादातर जगह कांग्रेस ने ही राज किया है. मगर कांग्रेस के राज में भी लोगों का भला नहीं हो पाया. अगर कांग्रेस बाबा साहब अंबेडकर के साथ मिलकर विकास का काम सही से किया होता तो बसपा को अलग पार्टी बनाने की जरूरत नहीं पड़ती. इसके बाद मायावती ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया था.

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उन्होंने कहा था कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए हमारी पार्टी ने यह चुनाव लड़ा था. दुख की बात है कि हमारी पार्टी इसमें उस तरह से कामयाब नहीं हो पाई. भाजपा अभी भी सत्ता में आने के लिए जोर-तोड़ कर रही है. इसलिए हमने कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया है. भाजपा को सत्ता से दूर रखने का यही तरीका है. अगर राजस्थान में भी जरूरत हुई, तो वहां भी भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए बसपा समर्थन दे सकती है.'

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