प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण के मतदान वाले ज़िलों में सियासी पार्टियां मुसलमानों को लुभाने में जुटी हैं. इसकी वजह भी है क्योंकि पहले चरण में मुसलमान वोट सत्ता का खेल बनाने बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. इस शनिवार को 15 ज़िलों की जिन 73 सीटों पर वोट डाले जाने हैं, वहां ये माना जा रहा है कि विधानसभा की चाबी मुस्लिम समुदाय के हाथ है. वोटर लिस्ट के मुताबिक मुज़फ्फरनगर में 38.09% मुस्लिम हैं. इसी तरह मेरठ में 32.81%, बागपत में 24.73%, गाज़ियाबाद में 23.73% और अलीगढ़ में 17. 78% हैं.
लेकिन ये समीकरण मुस्लिम वोटों को खींचने में जुटी पार्टियों की सियासत बिगाड़ भी सकता है. इस स्थिति को भांपते हुए बीएसपी ने पूरे यूपी में 104 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं और बीएसपी की रैलियों में वो बड़ी तादाद में दिख रहे हैं. मेरठ दक्षिण से बसपा के उम्मीदवार और पूर्व मंत्री याक़ूब कुरैशी कहते हैं," 2012 में सपा ने मुसलमानों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का वादा किया था लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इस बार मुसलमान और दलित मिलकर उत्तर प्रदेश में बहन जी की सरकार बनवाएंगे."
लेकिन समाजवादी पार्टी को यकीन है कि मुस्लिम वोट उनकी तरफ़ ही आएंगे क्योंकि आखिरकार अखिलेश मुल्ला मुलायम के ही बेटे हैं और उनका किया गया विकास कार्य मिलाकर मुसलमानो को रोके रखेगा. सपा के सचिव शहज़ाद आलम बताते हैं, "मुसलमानों के लिए सबसे बड़ा काम अखिलेश ने किया. उन्होंने मुसलमानों के कब्रिस्तान के लिए ज़मीन दी है." हम सभी को पता है कि पिता मुल्ला मुलायम बेटे से उतने खुश नहीं हैं .
जानकारों का मानना है कि मुस्लिम किसी एक तरफ़ नहीं जाएंगे, वो बीजेपी को हराने की रणनीति के मुताबिक वोट करेंगे. अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले प्रोफेसर रजाउल्लाह बताते हैं,"मुसलमान अब रणनीति के तहत वोट करते हैं वो वोटिंग के पहले देखते हैं कि किस पार्टी का उम्मीदवार बीजेपी को हरा रहा है."
कुछ सीटों पर अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल ने भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं पर वो जीतने से ज़्यादा वोट काटने के लिए उतारे गए लगते हैं लेकिन अभी ज़मीन पर मुसलमानों का रुख साफ़ नहीं दिखता. 11 फरवरी को पहले चरण के लिए होने वाले मतदान में कुल 28% मतदाता मुसलमान हैं.
लेकिन ये समीकरण मुस्लिम वोटों को खींचने में जुटी पार्टियों की सियासत बिगाड़ भी सकता है. इस स्थिति को भांपते हुए बीएसपी ने पूरे यूपी में 104 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं और बीएसपी की रैलियों में वो बड़ी तादाद में दिख रहे हैं. मेरठ दक्षिण से बसपा के उम्मीदवार और पूर्व मंत्री याक़ूब कुरैशी कहते हैं," 2012 में सपा ने मुसलमानों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का वादा किया था लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इस बार मुसलमान और दलित मिलकर उत्तर प्रदेश में बहन जी की सरकार बनवाएंगे."
लेकिन समाजवादी पार्टी को यकीन है कि मुस्लिम वोट उनकी तरफ़ ही आएंगे क्योंकि आखिरकार अखिलेश मुल्ला मुलायम के ही बेटे हैं और उनका किया गया विकास कार्य मिलाकर मुसलमानो को रोके रखेगा. सपा के सचिव शहज़ाद आलम बताते हैं, "मुसलमानों के लिए सबसे बड़ा काम अखिलेश ने किया. उन्होंने मुसलमानों के कब्रिस्तान के लिए ज़मीन दी है." हम सभी को पता है कि पिता मुल्ला मुलायम बेटे से उतने खुश नहीं हैं .
जानकारों का मानना है कि मुस्लिम किसी एक तरफ़ नहीं जाएंगे, वो बीजेपी को हराने की रणनीति के मुताबिक वोट करेंगे. अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले प्रोफेसर रजाउल्लाह बताते हैं,"मुसलमान अब रणनीति के तहत वोट करते हैं वो वोटिंग के पहले देखते हैं कि किस पार्टी का उम्मीदवार बीजेपी को हरा रहा है."
कुछ सीटों पर अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल ने भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं पर वो जीतने से ज़्यादा वोट काटने के लिए उतारे गए लगते हैं लेकिन अभी ज़मीन पर मुसलमानों का रुख साफ़ नहीं दिखता. 11 फरवरी को पहले चरण के लिए होने वाले मतदान में कुल 28% मतदाता मुसलमान हैं.
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