देहरादून:
उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में 15 फरवरी को मतदान होगा. इन चुनावों में कुल 637 उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं. इनमें केवल 60 महिला उम्मीदवार हैं. चुनाव आयोग ने सफल और शांतिपूर्ण मतदान के लिए 10,854 मतदान केंद्र बनाए हैं.
ख़ास बात यह है कि इन चुनावों में कई ऐसे दिग्गज मैदान में हैं जो राज्य के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में भी अच्छा दखल रखते हैं. इनमें खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत, सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत आदि भी शामिल हैं.
सतपाल महाराज
कद्दावर नेताओं की बात की जाए तो इनमें सबसे पहले बीजेपी के सतपाल महाराज आते हैं. सतपाल महाराज चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी में शामिल हुए सतपाल का चौबट्टाखाल गृहक्षेत्र भी है. लेकिन उन्हें बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष तथा वर्तमान विधायक तीरथ सिंह रावत की जगह उम्मीदवार बनाया गया है. दलबदल और टिकट कटने से बीजेपी में पनपी अंदरुनी गुटबाजी सतपाल महाराज के सामने बड़ी चुनौती हैं. हालांकि खुद का इलाका और यहां से पूर्व में दो बार उनकी पत्नी अमृता रावत राज्य विधानसभा का चुनाव जीत चुकी हैं, ये बातें सतपाल की पक्ष में जाती हैं.
पार्टी सूत्रों की मानें तो यह चुनाव उनका राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा. अगर वे जीतते हैं और साथ में बीजेपी भी बहुमत में आती है तो वे पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हो सकते हैं. नहीं तो उनका हाल यही होगा- 'ना खुदा ही मिला ना विसाले सनम.' पौड़ी जिले की इस सीट से कांग्रेस ने राजपाल बिष्ट को चुनावी मैदान में उतारा है.
हरक सिंह रावत
हरक सिंह रावत पहले कांग्रेस में थे. वहां से बागी होकर उन्होंने बीजेपी का दामन थामा. हरक को बीजेपी ने कोटद्वार से अपना उम्मीदवार बनाया है. हरक सिंह कांग्रेस के कद्दावर और विवादित नेता रहे हैं. उन पर अबतक तीन बार महिलाओं के साथ यौन शोषण तथा दुष्कर्म के आरोप लग चुके हैं. वे कांग्रेस की तरफ से राज्य के मंत्री भी रहे हैं.
मार्च, 2016 में हरीश रावत की सरकार पर आए संकट की वजह भी हरक रावत ही थे. हरक सिंह ने अपने कुछ साथी विधायकों के साथ मिलकर हरीश रावत के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. इससे हरीश सरकार अल्पमत में आ गई थी. इस मामले में केंद्र सरकार ने भी दखल दिया था, लेकिन बाद में उसकी खूब किरकिरी हुई. पौड़ी जिले की कोटद्वार सीट पर हरक सिंह रावत के सामने कांग्रेस ने कैबिनेट मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी को अपना उम्मीदवार बनाया है. कोटद्वार नेगी की गृह सीट है. उनकी पकड़ यहां खासी मजबूत पकड़ बताई जा रही है.
किशोर उपाध्याय
सहसपुर से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तथा वरिष्ठ नेता किशोर उपाध्याय चुनाव लड़ रहे हैं. वे 2002 और 2007 में टिहरी सीट से विधायक चुने गए थे, लेकिन 2012 में दिनेश धनै से हार गए. इस बार किशोर के सामने उन्हीं की पार्टी के बागी अर्येंद्र शर्मा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्हें चुनौती दे रहे हैं.
अजय भट्ट
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तथा पूर्व मंत्री अजय भट्ट रानीखेत से विरोधियों को चुनौती देते नजर आ रहे हैं. मगर उनके सामने कभी अपने रहे बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद नैनवाल उन्हें चुनौती दे रहे हैं. प्रमोद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हैं. 2012 के चुनावों में अजय भट्ट केवल 78 वोटों के अंतर चुनाव जीते थे.
अजय एक सख्त नेता के रूप में जाने जाते हैं. टिकट बंटवारे के लेकर विरोध में उतरे करीब 3 दर्जन नेताओं को उन्होंने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. अजय की यह कड़क छवि भी खुद उनके सामने चुनौती देती दिख रही है.
ख़ास बात यह है कि इन चुनावों में कई ऐसे दिग्गज मैदान में हैं जो राज्य के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में भी अच्छा दखल रखते हैं. इनमें खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत, सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत आदि भी शामिल हैं.
सतपाल महाराज
कद्दावर नेताओं की बात की जाए तो इनमें सबसे पहले बीजेपी के सतपाल महाराज आते हैं. सतपाल महाराज चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी में शामिल हुए सतपाल का चौबट्टाखाल गृहक्षेत्र भी है. लेकिन उन्हें बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष तथा वर्तमान विधायक तीरथ सिंह रावत की जगह उम्मीदवार बनाया गया है. दलबदल और टिकट कटने से बीजेपी में पनपी अंदरुनी गुटबाजी सतपाल महाराज के सामने बड़ी चुनौती हैं. हालांकि खुद का इलाका और यहां से पूर्व में दो बार उनकी पत्नी अमृता रावत राज्य विधानसभा का चुनाव जीत चुकी हैं, ये बातें सतपाल की पक्ष में जाती हैं.
पार्टी सूत्रों की मानें तो यह चुनाव उनका राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा. अगर वे जीतते हैं और साथ में बीजेपी भी बहुमत में आती है तो वे पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हो सकते हैं. नहीं तो उनका हाल यही होगा- 'ना खुदा ही मिला ना विसाले सनम.' पौड़ी जिले की इस सीट से कांग्रेस ने राजपाल बिष्ट को चुनावी मैदान में उतारा है.
हरक सिंह रावत
हरक सिंह रावत पहले कांग्रेस में थे. वहां से बागी होकर उन्होंने बीजेपी का दामन थामा. हरक को बीजेपी ने कोटद्वार से अपना उम्मीदवार बनाया है. हरक सिंह कांग्रेस के कद्दावर और विवादित नेता रहे हैं. उन पर अबतक तीन बार महिलाओं के साथ यौन शोषण तथा दुष्कर्म के आरोप लग चुके हैं. वे कांग्रेस की तरफ से राज्य के मंत्री भी रहे हैं.
मार्च, 2016 में हरीश रावत की सरकार पर आए संकट की वजह भी हरक रावत ही थे. हरक सिंह ने अपने कुछ साथी विधायकों के साथ मिलकर हरीश रावत के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. इससे हरीश सरकार अल्पमत में आ गई थी. इस मामले में केंद्र सरकार ने भी दखल दिया था, लेकिन बाद में उसकी खूब किरकिरी हुई. पौड़ी जिले की कोटद्वार सीट पर हरक सिंह रावत के सामने कांग्रेस ने कैबिनेट मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी को अपना उम्मीदवार बनाया है. कोटद्वार नेगी की गृह सीट है. उनकी पकड़ यहां खासी मजबूत पकड़ बताई जा रही है.
किशोर उपाध्याय
सहसपुर से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तथा वरिष्ठ नेता किशोर उपाध्याय चुनाव लड़ रहे हैं. वे 2002 और 2007 में टिहरी सीट से विधायक चुने गए थे, लेकिन 2012 में दिनेश धनै से हार गए. इस बार किशोर के सामने उन्हीं की पार्टी के बागी अर्येंद्र शर्मा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्हें चुनौती दे रहे हैं.
अजय भट्ट
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तथा पूर्व मंत्री अजय भट्ट रानीखेत से विरोधियों को चुनौती देते नजर आ रहे हैं. मगर उनके सामने कभी अपने रहे बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद नैनवाल उन्हें चुनौती दे रहे हैं. प्रमोद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हैं. 2012 के चुनावों में अजय भट्ट केवल 78 वोटों के अंतर चुनाव जीते थे.
अजय एक सख्त नेता के रूप में जाने जाते हैं. टिकट बंटवारे के लेकर विरोध में उतरे करीब 3 दर्जन नेताओं को उन्होंने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. अजय की यह कड़क छवि भी खुद उनके सामने चुनौती देती दिख रही है.
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