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This Article is From Feb 12, 2017

यूपी चुनाव 2017: 'हस्तिनापुर' पर कब्‍जे के लिए 'दुर्योधन' लड़ रहे विधानसभा चुनाव

यूपी चुनाव 2017: 'हस्तिनापुर' पर कब्‍जे के लिए 'दुर्योधन' लड़ रहे विधानसभा चुनाव
मेरठ में 11 फरवरी को पहले चरण में वोटिंग हुई.
नई दिल्‍ली: एक जमाने में हस्तिनापुर के सिंहासन के लिए कौरवों और पांडवों में संघर्ष हुआ था. दुर्योधन ने उस वक्‍त पांडवों को जमीन का एक टुकड़ा भी देने से इनकार कर दिया. नतीजतन महाभारत हुई. युग बदले-समय बदला. अब हस्तिनापुर एक विधानसभा सीट है जोकि मेरठ जिले में आता है. यह एक सुरक्षित सीट है. अबकी बार फिर इस सीट पर 'दुर्योधन' नाम के एक शख्‍स की दावेदारी है. दरअसल दुर्योधन कुमार हस्तिनापुर सुरक्षित सीट से बहुजन मुक्ति पार्टी नामक दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

दुर्योधन कुमार पेशे से कार की पेंटिंग का काम करते हैं. चुनाव लड़ने के बारे में हल्‍के-फुल्‍के अंदाज में उनका कहना है कि वह दरअसल अपने नाम और इस विधानसभा सीट के नाम की वजह से चुनाव मैदान में हैं. 5000 साल पहले हस्तिनापुर की गद्दी पर दुर्योधन ने दावेदारी की थी. पांडवों ने महाभारत में उसको हरा दिया. अब इतने वर्षों बाद एक दूसरा दुर्योधन इस बार चुनाव में उतरकर अपनी खोई हुई विरासत को पाने की लड़ाई लड़ रहा है.

हालांकि इसके साथ ही उनका कहना है कि वह चुनाव जीतकर दुर्योधन नाम के साथ जुड़ी नकारात्‍मक छवि को खत्‍म करना चाहते हैं. 1967 से ही हस्तिनापुर सुरक्षित सीट है. इसके बारे में मशहूर है कि इस सीट से जो भी पार्टी जीतती है, वह सत्‍ता में आती है.

अपने दुर्योध्‍ान नामकरण के बारे में मजाकिया अंदाज में उनका कहना है कि जब जन्‍म हुआ तो पिता ने ज्‍योतिषी से जब पूछा कि शिशु का नाम क्‍या रखा जाए तो उसने कहा कि आपके घर में दुर्योधन पैदा हुआ है. उसके बाद से ही यह नाम पड़ गया. शुरुआत में उनको हालांकि यह नाम खराब लगता था लेकिन बाद में अब यही नाम उनकी उम्‍मीदवारी का सबब भी बना है.

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