मऊ में बसपा के बाहुबली मुख्तार अंसारी के खिलाफ भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र राजभर चुनाव मैदान में हैं.
वाराणसी:
मऊ विधानसभा क्षेत्र में बाहुबली मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट से चुनाव मैदान में हैं. सपा से बेआबरू होने के बाद अपनी सीट बचाने का दबाव तो उन पर है ही पर साथ में उन पर मायावती की उम्मीदों का भी बोझ है. जेल में रहते हुए वे अपनी सीट और मायावती की उम्मीदों पर कैसे खरे उतरते हैं, यह बड़ा सवाल है, क्योंकि वे इस बार बीजेपी के निशाने पर हैं. खुद प्रधानमंत्री ने मऊ की जनसभा में उन्हें बाहुबली कहते हुए कहा कि इस 'बाहुबली' के खात्मे के लिए उन्होंने अपना 'कटप्पा' मैदान में उतारा है. कटप्पा इसलिए कहा क्योंकि इस सीट पर भाजपा ने राजभरों की पार्टी भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार को गठबंधन के तहत उतारा है. भासपा के जो प्रत्याशी चुनाव मैदान में है उनका नाम है महेंद्र राजभर. महेंद्र 2012 के चुनाव में मुख्तार के साथ थे और उन्होंने अपनी बिरादरी के वोट दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. पर इस बार वे खुद उनके सामने हैं. मोदी ने कहा कि ये हमारे कटप्पा हैं.
मुख्तार अंसारी जेल में हैं. वे पूरे चुनाव में नहीं आ सकते लिहाजा प्रचार की कमान उनके छोटे बेटे उमर अंसारी ने खुद संभाली है. पहले उमर और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि मुख्तार को पेरोल मिल जाएगी, पर अब खुद ही सारा जोर लगा दिया. मुख्तार के प्रचार की कमान संभालने वाले कहते हैं कि सरकार चाहे जितनी कोशिश कर ले और उन्हें क्षेत्र में न आने दे पर जनता उन्हें भारी वोटों से जीत दिलाएगी.
मुख्तार मऊ से पिछले दो चुनाव में अपनी पार्टी कौमी एकता दल के बैनर से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीत चुके हैं. इस बार जीत पक्की करने के लिहाज से समाजवादी पार्टी में अपनी पार्टी का विलय तक कर लिया, लेकिन यादव परिवार में मची महाभारत के बाद अलग हो गए और हाथी के साथी बन गए. मायावाती ने मुख्तार के पक्ष में न सिर्फ विशाल रैली की बल्कि पीएम मोदी के बयानों का मुंहतोड़ जवाब भी दिया.
मायावती ने मऊ की रैली में अब तक का सबसे लंबा भाषण, तकरीबन दो घंटे तक दिया. प्रधानमंत्री ने मुख्तार को बाहुबली कहा और कहा कि चुनाव जीतने के बाद जनता की मोहर लग जाएगी कि वे बाहुबली नहीं हैं.
दरअसल मुख्तार के लिए इस बार सहारे की जरूरत इस वजह से पड़ी क्योंकि बीजेपी इलाके में असर रखने वाली जातियों के वोट बैंक में अपनी पैठ बना रही थी. मुख्तार के मुकाबले में उसने राजभर समाज के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, जिनकी यहां अच्छी आबादी है. सपा और कांग्रेस का गठबंधन भी मुख्तार की जीत की राह का रोड़ा बन सकता है. इस रोड़े को ज़्यादा धार देते हुए प्रधानमंत्री ने यहां की जनसभा में ऐलान भी किया कि बाहुबली के खिलाफ हमने कटप्पा को उतारा है, जो बाहुबली को खत्म कर देगा.
साफ है कि इस चुनाव में मुख्तार के लिए राह आसान नहीं है. पहले सहारे के लिए तलाश, फिर पेरोल के लिए लड़ाई और अब जीत के लिए संघर्ष, साथ ही मायावती की उम्मीदें. और मायावती की यह उम्मीद 'एम' के भरोसे है. यानी मऊ, मुख्तार, मायावती और मुस्लिम... अब यह तो चुनाव का नतीजा ही बताएगा कि यह फैक्टर कितना चला.
मुख्तार अंसारी जेल में हैं. वे पूरे चुनाव में नहीं आ सकते लिहाजा प्रचार की कमान उनके छोटे बेटे उमर अंसारी ने खुद संभाली है. पहले उमर और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि मुख्तार को पेरोल मिल जाएगी, पर अब खुद ही सारा जोर लगा दिया. मुख्तार के प्रचार की कमान संभालने वाले कहते हैं कि सरकार चाहे जितनी कोशिश कर ले और उन्हें क्षेत्र में न आने दे पर जनता उन्हें भारी वोटों से जीत दिलाएगी.
मुख्तार मऊ से पिछले दो चुनाव में अपनी पार्टी कौमी एकता दल के बैनर से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीत चुके हैं. इस बार जीत पक्की करने के लिहाज से समाजवादी पार्टी में अपनी पार्टी का विलय तक कर लिया, लेकिन यादव परिवार में मची महाभारत के बाद अलग हो गए और हाथी के साथी बन गए. मायावाती ने मुख्तार के पक्ष में न सिर्फ विशाल रैली की बल्कि पीएम मोदी के बयानों का मुंहतोड़ जवाब भी दिया.
मायावती ने मऊ की रैली में अब तक का सबसे लंबा भाषण, तकरीबन दो घंटे तक दिया. प्रधानमंत्री ने मुख्तार को बाहुबली कहा और कहा कि चुनाव जीतने के बाद जनता की मोहर लग जाएगी कि वे बाहुबली नहीं हैं.
दरअसल मुख्तार के लिए इस बार सहारे की जरूरत इस वजह से पड़ी क्योंकि बीजेपी इलाके में असर रखने वाली जातियों के वोट बैंक में अपनी पैठ बना रही थी. मुख्तार के मुकाबले में उसने राजभर समाज के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, जिनकी यहां अच्छी आबादी है. सपा और कांग्रेस का गठबंधन भी मुख्तार की जीत की राह का रोड़ा बन सकता है. इस रोड़े को ज़्यादा धार देते हुए प्रधानमंत्री ने यहां की जनसभा में ऐलान भी किया कि बाहुबली के खिलाफ हमने कटप्पा को उतारा है, जो बाहुबली को खत्म कर देगा.
साफ है कि इस चुनाव में मुख्तार के लिए राह आसान नहीं है. पहले सहारे के लिए तलाश, फिर पेरोल के लिए लड़ाई और अब जीत के लिए संघर्ष, साथ ही मायावती की उम्मीदें. और मायावती की यह उम्मीद 'एम' के भरोसे है. यानी मऊ, मुख्तार, मायावती और मुस्लिम... अब यह तो चुनाव का नतीजा ही बताएगा कि यह फैक्टर कितना चला.
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महेंद्र राजभर, Mahendra Rajbhar, यूपी विधानसभा चुनाव 2017, UP Assembly Election 2017, मुख्तार अंसारी, Mukhtar Ansari, मऊ विधानसभा क्षेत्र, Mau Constituency, बीजेपी, BJP, BSP, बीएसपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, PM Narendra Modi, Khabar Assembly Polls 2017