यूपी के हापुड़ जिले के धौलाना क्षेत्र में सभी दलों की निगाहें मुस्लिम वोटों पर टिकी हैं जो कि निर्णायक होंगे (प्रतीकात्मक फोटो).
नई दिल्ली:
इस बार हापुड़ जिले की धौलाना विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का रुख सबसे अहम होगा. इस क्षेत्र में 35 फीसदी से ज्यादा मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं. इन पर कांग्रेस-सपा गठबंधन और बसपा दोनों की नजर है जबकि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के आरोप के बाद चुनाव आयोग ने बीजेपी के उम्मीदवार के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की धौलाना सीट पर चुनाव प्रचार पूरे उफान पर है. हापुड़ जिले की इस सीट पर सबकी निगाहें मुस्लिम वोटरों पर हैं, जो चुनाव में सबसे अहम रोल अदा कर सकते हैं. सपा-कांग्रेस गठबंधन ने यहां से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे धर्मेश तोमर को मैदान में उतारा है. धर्मेश तोमर एनडीटीवी से कहते हैं, "इस बार सपा और कांग्रेस के साथ आने से मुस्लिम वोट नहीं बंटेंगे. मुस्लिम वोट इस बार सबसे अहम होगा."
दरअसल धौलाना में करीब 3.75 लाख मतदाता हैं और इनमें से 35% से ज्यादा मुस्लिम समुदाय से हैं. सपा-कांग्रेस गठबंधन को चुनौती देने के लिए बीएसपी ने असलम चौधरी पर दांव खेला है, जो 2012 के चुनाव में दूसरे नंबर पर थे. असलम का आरोप है कि बीते पांच सालों में समाजवादी सरकार ने इलाके के लिए कुछ नहीं किया.
चुनावी तस्वीर में ट्रंप सेना के साथ बीजेपी के उम्मीदवार रमेशचंद्र तोमर हैं जो कथित तौर पर इलाके से पलायन रोकने के लिए बनाई गई है. तोमर के मुताबिक वे इस ट्रंप सेना की जानकारी नहीं रखते लेकिन दूसरी तरफ अपने बयानों में चुनाव आयोग की भी परवाह करते नहीं दिखते. एक विशेष समुदाय के खिलाफ उनके विवादित बयान के चलते आयोग उनके खिलाफ मामला भी दर्ज करा चुका है.
रमेशचंद्र तोमर ने एनडीटीवी से कहा, "हम धौलाना को मौलाना विधानसभा नहीं बनने देंगे. चुनाव आयोग को अपनी बात कहनी है और मुझे अपनी बात..."
नेताओं की बयानबाजी के बीच मुस्लिम मतदाता नाराज़ हैं कि हर चुनाव की तरह इस बार भी नेता वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं, जबकि इलाके का पिछड़ापन सबसे बुनियादी मुद्दा है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की धौलाना सीट पर चुनाव प्रचार पूरे उफान पर है. हापुड़ जिले की इस सीट पर सबकी निगाहें मुस्लिम वोटरों पर हैं, जो चुनाव में सबसे अहम रोल अदा कर सकते हैं. सपा-कांग्रेस गठबंधन ने यहां से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे धर्मेश तोमर को मैदान में उतारा है. धर्मेश तोमर एनडीटीवी से कहते हैं, "इस बार सपा और कांग्रेस के साथ आने से मुस्लिम वोट नहीं बंटेंगे. मुस्लिम वोट इस बार सबसे अहम होगा."
दरअसल धौलाना में करीब 3.75 लाख मतदाता हैं और इनमें से 35% से ज्यादा मुस्लिम समुदाय से हैं. सपा-कांग्रेस गठबंधन को चुनौती देने के लिए बीएसपी ने असलम चौधरी पर दांव खेला है, जो 2012 के चुनाव में दूसरे नंबर पर थे. असलम का आरोप है कि बीते पांच सालों में समाजवादी सरकार ने इलाके के लिए कुछ नहीं किया.
चुनावी तस्वीर में ट्रंप सेना के साथ बीजेपी के उम्मीदवार रमेशचंद्र तोमर हैं जो कथित तौर पर इलाके से पलायन रोकने के लिए बनाई गई है. तोमर के मुताबिक वे इस ट्रंप सेना की जानकारी नहीं रखते लेकिन दूसरी तरफ अपने बयानों में चुनाव आयोग की भी परवाह करते नहीं दिखते. एक विशेष समुदाय के खिलाफ उनके विवादित बयान के चलते आयोग उनके खिलाफ मामला भी दर्ज करा चुका है.
रमेशचंद्र तोमर ने एनडीटीवी से कहा, "हम धौलाना को मौलाना विधानसभा नहीं बनने देंगे. चुनाव आयोग को अपनी बात कहनी है और मुझे अपनी बात..."
नेताओं की बयानबाजी के बीच मुस्लिम मतदाता नाराज़ हैं कि हर चुनाव की तरह इस बार भी नेता वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं, जबकि इलाके का पिछड़ापन सबसे बुनियादी मुद्दा है.
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