पंजाब विधानसभा चुनाव परिणाम 2017 : कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कराई कांग्रेस की वापसी...
नई दिल्ली:
पंजाब चुनाव के रुझानों में कांग्रेस की सरकार को भारी बहुमत मिला है. जीत का सिहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह के सिर पर बंधा है. कैप्टन खुद उम्मीद नहीं किया होगा कि जब 75वें बर्थडे पर उन्हें गिफ्ट मिला है. उनकी पार्टी ने जबर्दस्त वापसी की है और 10 साल से चली आ रही बादल को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. कैप्टन के नाम से मशहूर अमरिंदर सिंह पहले ही कच चुके थे कि अगर जीत नहीं मिली तो यह उनका अंतिम चुनाव होगा. कैंपेन के दौरान उन्होंने अपनी बायोग्राफी 'द पीपुल्स ऑफ महाराजा' को रिलीज किया था जिसे दिवंगत पत्रकार खुशवंत सिंह ने लिखा था. अमरिंदर सिंह दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. लाबी सीट से वह पीछे हैं जबकि पटियाला सीट से आगे चल रहे है.
पंजाब में कांग्रेस की सफलता के पीछे के 5 कारणों पर एक नजर
1. सत्ता विरोधी लहर का फायदा
सत्तारूढ़ शिअद-बीजेपी गठबंधन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का पूरा लाभ कांग्रेस को मिला. इसके अलावा कैप्टन की आक्रामक कैपेंनिग भी मददगार रही. पार्टी का प्रचार भी पूरी तरह से कैप्टन अमरिंदर सिंह पर केंद्रिग था. 2014 लोकसभा चुनाव और उसके बाद के कई विधानसभा चुनावों में लगातार पराजय का सामना कर रही कांग्रेस, कैप्टन के भरोसे राज्य में सत्ता में वापसी के मूड में है. डेरे ने किया अकाली दल गठबंधन का समर्थन कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा. इससे वोटों का ध्रुवीकरण हुआ और आदमी पार्टी का वोट खिसकर बीजेपी-अकालीदल के पक्ष में गया. इस तरह से लड़ाई कांग्रेस बनाम अकाली दल हो जाने से कांग्रेस को बढ़त मिली. इस समीकरण से सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी पार्टी को झेलना पड़ा.
2. माझा, दोआब, मालवा में एक शानदार कैंपेनिंग
ग्रामीण पंजाब में 85 विधानसभा सीटें हैं. शहरी क्षेत्रों में 32 सीटे हैं. कांग्रेस ने माझा, दोआब और मालवा क्षेत्र में समान रूप से कैंपेनिंग की. ग्रामीण मतदाताओं पर अच्छा खासा जोर दिया. इसका लाभ कांग्रेस को मिला है. इन तीनों क्षेत्रों में ही कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है.
3. भरोसेमंद चेहरे बने कैप्टन
कांग्रेस के पास भरोसामंद चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह का रहा है. उसी पर दांव पार्टी ने लगाया था. राज्य की जनता ने भी उन पर भरोसा किया है. आम आदमी पार्टी अपना सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई जिससे उसे नुकसान हुआ है. पंजाब में चुनाव-प्रचार के दौरान 'कैप्टन इज कांग्रेस एंड कांग्रेस इज कैप्टन' छाया हुआ था. इस नारे के मुताबिक ही पार्टी को सफलता मिली है.
4. पंजाब पानी की समस्या को भुनाया
अरविंद केजरीवाल हरियाणा से हैं. इस समय पानी सहित अन्य मुद्दों को लेकर पंजाब-हरियाणा में विवाद है. ऐसे में लोगों ने पंजाब में पानी की समस्या सहित मुद्दों के समाधान के लिए कैप्टन पर भरोसा जताया है. जानकारों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल ने भी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया जिसका खामियाजा उन्हें झेलना पड़ा. वहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह इस मसले को अपने चुनाव प्रचार में प्रमुखता से उठाते रहे हैं और कहते रहे हैं कि वह किसी भी सूरत में वह एक बूंद पानी प्रदेश से बाहर नहीं जाने देंगे.
5.नवजोत सिंह सिद्दधू का कांग्रेस में आना
नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के लिए तुरुप का इक्का साबित हुए हैं. इससे कांग्रेस को माझा क्षेत्र में सबसे ज्यादा पकड़ मजबूत करने में सफलता मिली. वहीं, आम आदमी पार्टी के लिए यही फैक्टर नुकसानदायक रहा. पार्टी कोई भी बड़ा चेहरा नहीं जोड़ पाई. आप ने सिद्धू को शामिल करने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली.
पंजाब में कांग्रेस की सफलता के पीछे के 5 कारणों पर एक नजर
1. सत्ता विरोधी लहर का फायदा
सत्तारूढ़ शिअद-बीजेपी गठबंधन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का पूरा लाभ कांग्रेस को मिला. इसके अलावा कैप्टन की आक्रामक कैपेंनिग भी मददगार रही. पार्टी का प्रचार भी पूरी तरह से कैप्टन अमरिंदर सिंह पर केंद्रिग था. 2014 लोकसभा चुनाव और उसके बाद के कई विधानसभा चुनावों में लगातार पराजय का सामना कर रही कांग्रेस, कैप्टन के भरोसे राज्य में सत्ता में वापसी के मूड में है. डेरे ने किया अकाली दल गठबंधन का समर्थन कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा. इससे वोटों का ध्रुवीकरण हुआ और आदमी पार्टी का वोट खिसकर बीजेपी-अकालीदल के पक्ष में गया. इस तरह से लड़ाई कांग्रेस बनाम अकाली दल हो जाने से कांग्रेस को बढ़त मिली. इस समीकरण से सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी पार्टी को झेलना पड़ा.
2. माझा, दोआब, मालवा में एक शानदार कैंपेनिंग
ग्रामीण पंजाब में 85 विधानसभा सीटें हैं. शहरी क्षेत्रों में 32 सीटे हैं. कांग्रेस ने माझा, दोआब और मालवा क्षेत्र में समान रूप से कैंपेनिंग की. ग्रामीण मतदाताओं पर अच्छा खासा जोर दिया. इसका लाभ कांग्रेस को मिला है. इन तीनों क्षेत्रों में ही कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया है.
3. भरोसेमंद चेहरे बने कैप्टन
कांग्रेस के पास भरोसामंद चेहरा कैप्टन अमरिंदर सिंह का रहा है. उसी पर दांव पार्टी ने लगाया था. राज्य की जनता ने भी उन पर भरोसा किया है. आम आदमी पार्टी अपना सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई जिससे उसे नुकसान हुआ है. पंजाब में चुनाव-प्रचार के दौरान 'कैप्टन इज कांग्रेस एंड कांग्रेस इज कैप्टन' छाया हुआ था. इस नारे के मुताबिक ही पार्टी को सफलता मिली है.
4. पंजाब पानी की समस्या को भुनाया
अरविंद केजरीवाल हरियाणा से हैं. इस समय पानी सहित अन्य मुद्दों को लेकर पंजाब-हरियाणा में विवाद है. ऐसे में लोगों ने पंजाब में पानी की समस्या सहित मुद्दों के समाधान के लिए कैप्टन पर भरोसा जताया है. जानकारों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल ने भी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया जिसका खामियाजा उन्हें झेलना पड़ा. वहीं, कैप्टन अमरिंदर सिंह इस मसले को अपने चुनाव प्रचार में प्रमुखता से उठाते रहे हैं और कहते रहे हैं कि वह किसी भी सूरत में वह एक बूंद पानी प्रदेश से बाहर नहीं जाने देंगे.
5.नवजोत सिंह सिद्दधू का कांग्रेस में आना
नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के लिए तुरुप का इक्का साबित हुए हैं. इससे कांग्रेस को माझा क्षेत्र में सबसे ज्यादा पकड़ मजबूत करने में सफलता मिली. वहीं, आम आदमी पार्टी के लिए यही फैक्टर नुकसानदायक रहा. पार्टी कोई भी बड़ा चेहरा नहीं जोड़ पाई. आप ने सिद्धू को शामिल करने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली.
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