![यूपी विधानसभा चुनाव : धौलाना क्षेत्र में नोटबंदी बड़ा चुनावी मुद्दा यूपी विधानसभा चुनाव : धौलाना क्षेत्र में नोटबंदी बड़ा चुनावी मुद्दा](https://i.ndtvimg.com/i/2016-11/cooperative-bank-dhaulana_650x400_51480438587.jpg?downsize=773:435)
धौलाना में नोटबंदी प्रमुख चुनावी मुद्दा बन गया है.
नई दिल्ली:
नोटबंदी के बाद अब हालात काफी सुधरे हैं. लेकिन धौलाना के सहकारी बैंक में कैश की किल्लत की वजह से किसानों को जरूरत के मुताबिक कैश नहीं मिल पा रहा है. अब इस इलाके में नोटबंदी बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है.
सोमवार की सुबह धौलाना के सहकारी बैंक से पैसा निकालने आसपास के कई किसान तो पहुंचे लेकिन कैश ही नहीं पहुंचा. निराश किसानों का कहना है कि भले ही नोटबंदी के तीन महीने बीत चुके हों लेकिन पैसा निकालने में अब भी मुश्किल हो रही है. सबसे ज्यादा परेशानी गन्ना किसानों को है जिनका पेमेंट कोऑपरेटिव बैंकों के खातों में ही आता है.
गन्ना किसानों की शिकायत है कि सहकारी बैंकों में हफ्ते में दो दिन ही पैसा पहुंचता है. ऊपर से कोऑपरेटिव बैंक ने 4000 रुपये की सीलिंग तय कर दी है. गन्ना किसानों का पेमेन्ट सहकारी बैंक खातों में ही आता है. नोटबंदी के तीन महीने हो चुके हैं लेकिन अपना ही पैसा निकालना मुश्किल हो रहा है.
शायद यही वजह है कि नोटबंदी धौलाना के लिए आज भी एक अहम चुनावी मुद्दा है जिसे बीएसपी उम्मीदवार असलम चौधरी अपनी सभाओं में जोरशोर से उठा रहे हैं. वे कहते हैं प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का फैसला कर आम लोगों की मुश्किलें बढ़ी दी हैं. लोग परेशान हैं लेकिन सरकार उनकी समस्या दूर नहीं कर पा रही है.
धौलाना से सपा-कांग्रेस उम्मीदवार धर्मेश तोमर कहते हैं नोटबंदी से इलाके के किसानों को खासतौर पर काफी मुश्किलें हो रही हैं. उन्होंने एनडीटीवी से कहा "नोटबंदी ने किसानों को बदहाल कर दिया. खेती के लिए जरूरी खर्च के लिए कैश इकट्ठा करना किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है...धौलाना में जनजीवन अस्त-व्यवस्त हो गया है."
लेकिन बीजेपी के लिए नोटबंदी नहीं बल्कि अखिलेश राज की बदहाली ही सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है. पार्टी के उम्मीदवार रमेश चंद्र तोमर कहते हैं उनके लिए सपा सरकार के दौरान प्रशासनिक कमजोरियां और इलाके में गुंडागर्दी सबसे अहम चुनावी मुद्दा है. वो इस बात से भी नाराज़ हैं कि सपा-कांग्रेस और बसपा के उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय को लुभाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं.
सोमवार की सुबह धौलाना के सहकारी बैंक से पैसा निकालने आसपास के कई किसान तो पहुंचे लेकिन कैश ही नहीं पहुंचा. निराश किसानों का कहना है कि भले ही नोटबंदी के तीन महीने बीत चुके हों लेकिन पैसा निकालने में अब भी मुश्किल हो रही है. सबसे ज्यादा परेशानी गन्ना किसानों को है जिनका पेमेंट कोऑपरेटिव बैंकों के खातों में ही आता है.
गन्ना किसानों की शिकायत है कि सहकारी बैंकों में हफ्ते में दो दिन ही पैसा पहुंचता है. ऊपर से कोऑपरेटिव बैंक ने 4000 रुपये की सीलिंग तय कर दी है. गन्ना किसानों का पेमेन्ट सहकारी बैंक खातों में ही आता है. नोटबंदी के तीन महीने हो चुके हैं लेकिन अपना ही पैसा निकालना मुश्किल हो रहा है.
शायद यही वजह है कि नोटबंदी धौलाना के लिए आज भी एक अहम चुनावी मुद्दा है जिसे बीएसपी उम्मीदवार असलम चौधरी अपनी सभाओं में जोरशोर से उठा रहे हैं. वे कहते हैं प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का फैसला कर आम लोगों की मुश्किलें बढ़ी दी हैं. लोग परेशान हैं लेकिन सरकार उनकी समस्या दूर नहीं कर पा रही है.
धौलाना से सपा-कांग्रेस उम्मीदवार धर्मेश तोमर कहते हैं नोटबंदी से इलाके के किसानों को खासतौर पर काफी मुश्किलें हो रही हैं. उन्होंने एनडीटीवी से कहा "नोटबंदी ने किसानों को बदहाल कर दिया. खेती के लिए जरूरी खर्च के लिए कैश इकट्ठा करना किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है...धौलाना में जनजीवन अस्त-व्यवस्त हो गया है."
लेकिन बीजेपी के लिए नोटबंदी नहीं बल्कि अखिलेश राज की बदहाली ही सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है. पार्टी के उम्मीदवार रमेश चंद्र तोमर कहते हैं उनके लिए सपा सरकार के दौरान प्रशासनिक कमजोरियां और इलाके में गुंडागर्दी सबसे अहम चुनावी मुद्दा है. वो इस बात से भी नाराज़ हैं कि सपा-कांग्रेस और बसपा के उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय को लुभाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं.
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