यह ख़बर 17 नवंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

मप्र चुनाव : ग्वालियर में छह सांसदों की प्रतिष्ठा दांव पर

ग्वालियर:

मध्य प्रदेश में चुनाव भले ही विधानसभा के हो रहे हैं, लेकिन ग्वालियर जिले में छह सांसदों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, क्योंकि ग्वालियर जिला छह सांसदों का निवास स्थल है। इसमें पांच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के और एक कांग्रेस से शामिल हैं।

राज्य से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक में ग्वालियर का खास स्थान रहा है। बात भाजपा की करें तो इसी शहर ने उसे अटल बिहारी वाजपेयी, विजया राजे सिंधिया और कुशाभाउ ठाकरे जैसे नेता दिए हैं। वहीं कांग्रेस के माधवराव सिंधिया का नाता भी इसी शहर से रहा है।

वर्तमान दौर में तो ग्वालियर भाजपा नेताओं का गढ़ है। राज्यसभा सांसद भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, माया सिंह, कप्तान सिंह, लोकसभा सांसद व भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर व यशोधरा राजे सिंधिया का निवास स्थान भी इसी जिले में है। वहीं कांग्रेस के सांसद व केंद्रीय उर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी यहीं से हैं।

इस जिले में छह विधानसभा क्षेत्र हैं, वर्ष 2008 के चुनाव में यहां से तीन सीटों पर कांग्रेस, दो पर भाजपा और एक पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कराई थी। भाजपा ने इस बार दो प्रत्याशियों, यशोधरा राजे सिंधिया व माया सिंह को क्रमश: शिवपुरी और ग्वालियर से विधानसभा चुनाव में उतारा है।

देश और राज्यों की राजधानियों को छोड़कर संभवत: ग्वालियर इकलौता ऐसा जिला होगा, जहां छह सांसदों का निवास स्थल है। भाजपा और कांग्रेस के प्रमुख नेताओं के प्रभाव वाला जिला होने के कारण यह उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ गया है।

कांग्रेस के प्रदेश महासचिव अशोक सिंह का आरोप है कि भाजपा के सांसदों की दिलचस्पी विकास में नहीं है। यही कारण है कि पांच-पांच सांसद होने के बाद भी यहां विकास नहीं हुआ। वर्तमान में कांग्रेस के सांसद और केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने अपने विभाग के जरिए यहां बिजली परियोजना दी और केंद्र सरकार से विकास के लिए राशि भी दिलाई। यहां बीते 10 वर्षो से विकास पूरी तरह थमा हुआ है। ग्वालियर में जो है वह कांग्रेस काल की ही देन है।

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भाजपा के वरिष्ठ नेता व ग्वालियर के पूर्व महापौर विवेक शेजवलकर का कहना है कि सब पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि भारी है, और बीते 10 वर्ष में यहां हुए विकास कार्यों के कारण तस्वीर ही बदल गई है। लिहाजा आगामी चुनाव में इसका भाजपा को लाभ मिलेगा।