सांकेतिक तस्वीर
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                अहमदाबाद: 
                                        मनीष बलाई ने बुधवार रात अहमदाबाद के क्राइम ब्रांच के अंदर पूछताछ के दौरान कॉन्सटेबल चंद्रकांत मकवाणा की हत्या की और हाई-सिक्योरिटी के बावजूद फरार हो गया। वह रात को करीब 2.30 बजे क्राइम ब्रांच से भागा था। पकड़े जाने के बाद जो उसने कहानी बताई वो कुछ इस तरह की है।
कॉन्सटेबल की हत्या कर उसने पहले बाथरूम में जाकर खून से सने हाथ पांव धोए। बाहर उसके कपडों की छोटी थैली थी, उसमें से उसने नई शर्ट निकाली। उसने कॉन्सटेबल मकवाणा के पांव के जूते जो निकले हुए थे, हड़बड़ी में वही पहन लिए। बाहर आया तो मुख्य दरवाजे पर देखा कि संतरी सो रहा था। वो आसानी से दरवाजा खोलकर निकल गया।
आमतौर पर अंदर आनेवाले की तलाशी ली जाती है, बाहर जानेवाले की नहीं। वहां बाहर स्टेट रिजर्व पुलिस के तीन कर्मचारियों का सुरक्षा प्वाइंट था। उन्होंने भी ध्यान नहीं दिया और बीच के रास्ते जहां आमतौर पर क्राइम ब्रांच के कर्मी अपनी गाडियां पार्क करते थे, वहां से निकलकर वो क्राइम ब्रांच के पीछे साबरमती नदी के किनारे बनी सड़क पर उतर गया। पास के पुल पर जाकर उसने रिक्शा ले लिया।
जयपुर की ट्रेन नहीं मिली तो मुंबई भाग गया
इसके बाद वह भागकर अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचा, उसने जयपुर जाने के लिए ट्रेन की तलाश की क्योंकि वह वहीं का है और वहां छुपना उसके लिए थोड़ा आसान था। लेकिन उसकी किस्मत अच्छी नहीं थी और सिर्फ मुंबई की ट्रेन ही उस वक्त निकलने वाली थी। उसने आनन-फानन में बिना टिकट ही मुंबई की ट्रेन पकड़ी औऱ भरूच उतर गया। रास्ते में उसने देखा कि उसके पास कुछ पैसे निकले थे। भरूच उतरकर उसने मुंबई की टिकट ली औऱ मुंबई चला गया। मुंबई में वो रेलवे स्टेशन के आसपास ही घूमता रहा।
उसके पास मोबाइल तो था नहीं, इसलिए पुलिस की उलझन यह थी कि उसे ट्रैक करना मुश्किल था। लेकिन उसके पहले के नंबर की डिटेइल निकलवाई गई थी। पता चला कि वो हर थोड़े समय पर अपनी पत्नी को और एक दोस्त को फोन किया करता था। इसलिए पुलिस ने उसकी पत्नी का और दोस्त का फोन सर्वेलांस पर रखा।
एक फोन कॉल ने कर दी चुगली
मनीष कोई शातिर अपराधी नहीं था और इसीलिए वो गलती कर गया, जो पुलिस के लिए बड़ी सफलता बन गई। उसने मुंबई से लोकल फोन से अपनी पत्नी को फोन किया और उसे बताया कि वो शाम 4 बजे बांद्रा से चलकर जयपुर जानेवाली ट्रेन पकड़ेगा, क्योंकि वो ट्रेन अहमदाबाद न होते हुए रतलाम के रास्ते जयपुर जाती है।
बस क्राइम ब्रांच के पास अब पुख्ता सूचना आ गई थी। रास्ते में ये ट्रेन गुजरात में सूरत और वडोदरा स्टेशनों पर रुकती थी। लेकिन ये स्टेशन ऐसे हैं जहां पर आमतौर पर बहुत लोग होते हैं। ऐसे में अगर वो भागने की कोशिश करता है तो आम लोगों को भी पुलिसिया कार्रवाई में मुश्किल हो सकती है। या लोगों को बचाने के चक्कर में आरोपी भाग सकता है। इसलिए सोच-विचार के बाद सूरत और वडोदरा के बीच करजण स्टेशन पसंद किया गया।
रेलवे की मदद से धर दबोचा हत्यारा
रेलवे को बताया गया कि महत्वपूर्ण आरोपी को पकड़ना है। रेलवे के अधिकारियों ने भी मदद की। पूरे पुलिस बंदोबस्त के साथ पूरा अहमदाबाद क्राइम ब्रांच स्थानीय पुलिस के साथ करजण स्टेशन पर ट्रेन के आने का इंतजार करने लगा। पता किया गया कि ट्रेन में 24 डब्बे हैं, इसलिए हरेक डब्बे में जांच के लिए क्राइम ब्रान्च की टीम बनाई गई थीं।
ट्रेन आते ही उसे पूरी तरह कॉर्डन करके जांच शुरू की गई और मुश्किल लगने वाला ऑपरेशन सिर्फ 10 मिनिट में ही पूरा हो गया। जनरल डब्बे में से पुलिसकर्मी की हत्या का आरोपी धर दबोचा गया। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि पुलिस ने एक आरोपी को पकड़ने के लिए ट्रेन में ऐसा ऑपरेशन किया, जहां ट्रेन को ऑपरेशन के लिए ऐसे स्टेशन पर रुकवाया गया, जहां आम तौर पर ट्रेन रुकती नहीं है। कहानी फिल्मी लेकिन सच है।
                                                                        
                                    
                                कॉन्सटेबल की हत्या कर उसने पहले बाथरूम में जाकर खून से सने हाथ पांव धोए। बाहर उसके कपडों की छोटी थैली थी, उसमें से उसने नई शर्ट निकाली। उसने कॉन्सटेबल मकवाणा के पांव के जूते जो निकले हुए थे, हड़बड़ी में वही पहन लिए। बाहर आया तो मुख्य दरवाजे पर देखा कि संतरी सो रहा था। वो आसानी से दरवाजा खोलकर निकल गया।
आमतौर पर अंदर आनेवाले की तलाशी ली जाती है, बाहर जानेवाले की नहीं। वहां बाहर स्टेट रिजर्व पुलिस के तीन कर्मचारियों का सुरक्षा प्वाइंट था। उन्होंने भी ध्यान नहीं दिया और बीच के रास्ते जहां आमतौर पर क्राइम ब्रांच के कर्मी अपनी गाडियां पार्क करते थे, वहां से निकलकर वो क्राइम ब्रांच के पीछे साबरमती नदी के किनारे बनी सड़क पर उतर गया। पास के पुल पर जाकर उसने रिक्शा ले लिया।
जयपुर की ट्रेन नहीं मिली तो मुंबई भाग गया
इसके बाद वह भागकर अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचा, उसने जयपुर जाने के लिए ट्रेन की तलाश की क्योंकि वह वहीं का है और वहां छुपना उसके लिए थोड़ा आसान था। लेकिन उसकी किस्मत अच्छी नहीं थी और सिर्फ मुंबई की ट्रेन ही उस वक्त निकलने वाली थी। उसने आनन-फानन में बिना टिकट ही मुंबई की ट्रेन पकड़ी औऱ भरूच उतर गया। रास्ते में उसने देखा कि उसके पास कुछ पैसे निकले थे। भरूच उतरकर उसने मुंबई की टिकट ली औऱ मुंबई चला गया। मुंबई में वो रेलवे स्टेशन के आसपास ही घूमता रहा।
उसके पास मोबाइल तो था नहीं, इसलिए पुलिस की उलझन यह थी कि उसे ट्रैक करना मुश्किल था। लेकिन उसके पहले के नंबर की डिटेइल निकलवाई गई थी। पता चला कि वो हर थोड़े समय पर अपनी पत्नी को और एक दोस्त को फोन किया करता था। इसलिए पुलिस ने उसकी पत्नी का और दोस्त का फोन सर्वेलांस पर रखा।
एक फोन कॉल ने कर दी चुगली
मनीष कोई शातिर अपराधी नहीं था और इसीलिए वो गलती कर गया, जो पुलिस के लिए बड़ी सफलता बन गई। उसने मुंबई से लोकल फोन से अपनी पत्नी को फोन किया और उसे बताया कि वो शाम 4 बजे बांद्रा से चलकर जयपुर जानेवाली ट्रेन पकड़ेगा, क्योंकि वो ट्रेन अहमदाबाद न होते हुए रतलाम के रास्ते जयपुर जाती है।
बस क्राइम ब्रांच के पास अब पुख्ता सूचना आ गई थी। रास्ते में ये ट्रेन गुजरात में सूरत और वडोदरा स्टेशनों पर रुकती थी। लेकिन ये स्टेशन ऐसे हैं जहां पर आमतौर पर बहुत लोग होते हैं। ऐसे में अगर वो भागने की कोशिश करता है तो आम लोगों को भी पुलिसिया कार्रवाई में मुश्किल हो सकती है। या लोगों को बचाने के चक्कर में आरोपी भाग सकता है। इसलिए सोच-विचार के बाद सूरत और वडोदरा के बीच करजण स्टेशन पसंद किया गया।
रेलवे की मदद से धर दबोचा हत्यारा
रेलवे को बताया गया कि महत्वपूर्ण आरोपी को पकड़ना है। रेलवे के अधिकारियों ने भी मदद की। पूरे पुलिस बंदोबस्त के साथ पूरा अहमदाबाद क्राइम ब्रांच स्थानीय पुलिस के साथ करजण स्टेशन पर ट्रेन के आने का इंतजार करने लगा। पता किया गया कि ट्रेन में 24 डब्बे हैं, इसलिए हरेक डब्बे में जांच के लिए क्राइम ब्रान्च की टीम बनाई गई थीं।
ट्रेन आते ही उसे पूरी तरह कॉर्डन करके जांच शुरू की गई और मुश्किल लगने वाला ऑपरेशन सिर्फ 10 मिनिट में ही पूरा हो गया। जनरल डब्बे में से पुलिसकर्मी की हत्या का आरोपी धर दबोचा गया। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि पुलिस ने एक आरोपी को पकड़ने के लिए ट्रेन में ऐसा ऑपरेशन किया, जहां ट्रेन को ऑपरेशन के लिए ऐसे स्टेशन पर रुकवाया गया, जहां आम तौर पर ट्रेन रुकती नहीं है। कहानी फिल्मी लेकिन सच है।