वडवाली गांव में इब्राहिम बेलिम के घर पर अभी भी मातम पसरा हुआ है...
- पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में कई गोलियां चलाई थी
- पुलिस ने अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है
- 50 अन्य लोगों की इस मामले में पुलिस को तलाश है
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अहमदाबाद:
गुजरात के पाटन जिले में वडवाली गांव में इब्राहिम बेलिम के घर पर अभी भी मातम पसरा हुआ है. बीते शनिववार को करीब 5000 लोगों ने उनके घर पर हमला बोल दिया था. सांप्रदायिक झड़प में इब्राहिम की मौत हो गई थी और परिवार के 14 अन्य सदस्य घायल हो गए थे. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में कई गोलियां चलाई थी. भीड़ ने मकानों और वाहनों में आग लगा दी. इस खौंफनाक मंजर के चश्मदीद रहे बेलिम के भतीजे बाबूभाई का कहना है कि दंगाई पड़ोस के गांव से आए थे.
बाबूभाई ने NDTV को बताया, "वे देसी-कट्टा और हथियारों से लैस थे. उन्होंने मेरे चाचा पर टूट पड़े और उन्हें तब तक मारते रहे, जब तक उनकी मौत नहीं हो गई. इसके बाद वे मेरे पीछे भागे लेकिन मैंने किसी तरह से अपनी जान बचाई.
अशरफभाई शेख ने जब भीड़ को आते हुए देखा तो अपने परिवार सहित घर छोड़कर भाग गए. उसका दावा है कि पुलिस ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया. अशरफभाई ने आरोप लगाया, "पुलिस की गाड़िया आक्रोशित भीड़ के पीछे थी लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया जबकि भीड़ 'मार डालने' के नारे लगा रही थी. लेकिन पुलिस का कहना है कि यह सच नहीं है. 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 50 अन्य लोगों की इस मामले में तलाश है. 
वरिष्ठ अधिकारी पर्थराजसिंह गोहिल ने बताया, "जैसे ही हमें खबर मिली कि भीड़ गांव जा रही है, हम तत्काल रवाना हुए. हमारा प्रयास था कि कम से कम नुकसान हो. उधर, हिंदू बहुल गांव सुनार के लोगों ने भी एक केस दर्ज कराया है और दावा किया है कि मुस्लिम लड़के द्वारा उनके गांव की लड़की पर हमला किया गया था.
हिंसा के एक दिन पहले, वडवाली गांव के 2000 परिवार पंचायत के लिए इकट्ठा हुए थे. पूर्व सरपंच मिनेष पटेल का कहना है, "लोग यहां बहुत ही भाईचारे के साथ सौंहार्दपूर्ण तरीके से रहते हैं. सलीम भाई को ढाई साल के लिए सरपंच चुना गया है."
वडवाली गांव अहमदाबाद से 120 किमी. दूर है. सांप्रदायिक दंगा हिंदू-मुस्लिम छात्रों के झगड़े के एक घंटे बाद शुरू हुआ. बताया जाता है कि शनिवार को दसवीं बोर्ड की परीक्षा का अंतिम दिन था. तब स्कूल में बच्चे सीढ़ियां चढ़ रहे थे. तब दो बच्चे आपस में भिड़ गए और एक बच्चा सीड़ियों में गिर गया. बच्चों ने अपने गांव में इस झगड़े की शिकायत की. गुस्साए गांव वालों ने लघुमति समुदाय के मोहल्ले पर हमला कर दिया और फिर हिंसा भड़क गई.
बाबूभाई ने NDTV को बताया, "वे देसी-कट्टा और हथियारों से लैस थे. उन्होंने मेरे चाचा पर टूट पड़े और उन्हें तब तक मारते रहे, जब तक उनकी मौत नहीं हो गई. इसके बाद वे मेरे पीछे भागे लेकिन मैंने किसी तरह से अपनी जान बचाई.
अशरफभाई शेख ने जब भीड़ को आते हुए देखा तो अपने परिवार सहित घर छोड़कर भाग गए. उसका दावा है कि पुलिस ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया. अशरफभाई ने आरोप लगाया, "पुलिस की गाड़िया आक्रोशित भीड़ के पीछे थी लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया जबकि भीड़ 'मार डालने' के नारे लगा रही थी. लेकिन पुलिस का कहना है कि यह सच नहीं है. 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 50 अन्य लोगों की इस मामले में तलाश है.

वरिष्ठ अधिकारी पर्थराजसिंह गोहिल ने बताया, "जैसे ही हमें खबर मिली कि भीड़ गांव जा रही है, हम तत्काल रवाना हुए. हमारा प्रयास था कि कम से कम नुकसान हो. उधर, हिंदू बहुल गांव सुनार के लोगों ने भी एक केस दर्ज कराया है और दावा किया है कि मुस्लिम लड़के द्वारा उनके गांव की लड़की पर हमला किया गया था.
हिंसा के एक दिन पहले, वडवाली गांव के 2000 परिवार पंचायत के लिए इकट्ठा हुए थे. पूर्व सरपंच मिनेष पटेल का कहना है, "लोग यहां बहुत ही भाईचारे के साथ सौंहार्दपूर्ण तरीके से रहते हैं. सलीम भाई को ढाई साल के लिए सरपंच चुना गया है."
वडवाली गांव अहमदाबाद से 120 किमी. दूर है. सांप्रदायिक दंगा हिंदू-मुस्लिम छात्रों के झगड़े के एक घंटे बाद शुरू हुआ. बताया जाता है कि शनिवार को दसवीं बोर्ड की परीक्षा का अंतिम दिन था. तब स्कूल में बच्चे सीढ़ियां चढ़ रहे थे. तब दो बच्चे आपस में भिड़ गए और एक बच्चा सीड़ियों में गिर गया. बच्चों ने अपने गांव में इस झगड़े की शिकायत की. गुस्साए गांव वालों ने लघुमति समुदाय के मोहल्ले पर हमला कर दिया और फिर हिंसा भड़क गई.
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