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This Article is From Jun 15, 2016

सड़क हादसे में याददाश्त खोकर जवान ने सात साल बिताई भिखारियों की जिंदगी, फिर लौट आया घर

सड़क हादसे में याददाश्त खोकर जवान ने सात साल बिताई भिखारियों की जिंदगी, फिर लौट आया घर
प्रतीकात्मक तस्वीर
जयपुर: सड़क हादसे में याददाश्त खो चुके सेना के एक जवान को मृत मान कर उसकी पत्नी के लिए पेंशन शुरू कर दी गई, लेकिन सात साल बाद हुए एक दूसरे सड़क हादसे ने जवान की याददाश्त लौटा दी। इसके बाद आज वह जवान अपने परिवार के साथ है और उसके घर पर त्योहार जैसा माहौल है।

सात वर्षों में बदल गई दुनिया
यह वाकया भारतीय सेना की 66 आर्म्ड रेजिमेंट के जवान धर्मवीर यादव का है। यादव ने वर्ष 2009 में एक सड़क हादसे में अपनी याददाश्त खो दी, लेकिन पिछले दिनों हरिद्वार में उसके साथ हुए एक मामूली 'सड़क हादसे' के बाद उनकी याददाश्त वापस आ गई। सात साल बाद खोई याददाश्त फिर लौटने पर वह अपने घर आए, जहां बहुत कुछ बदल चुका था। सेना ने अपने जवान धर्मवीर यादव को मृत घोषित कर उनकी पत्नी के नाम पेंशन तक शुरू कर दी थी।

खड्ड में गिर गई थी धर्मवीर की कार
धर्मवीर के पिता और सेना के रिटायर्ड सूबेदार कैलाश यादव ने को बताया कि 'मेरा बेटा धर्मवीर अप्रैल 1994 में सेना में 66 आर्म्ड रेजिमेंट में जवान नियुक्त हुआ। देहरादून में नियुक्ति के दौरान 29 नवंबर 2009 को ड्यूटी के समय उसकी लाल बत्ती वाली कार अनियंत्रित होकर एक खड्ड में गिर गई थी। तब कार में और कोई नहीं था।' उन्होंने बताया कि हादसे के तुरंत बाद मीडिया और पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन कार पर लाल बत्ती होने के कारण धर्मवीर को लोगों से दूर रखने के लिए एकांत में बैठा दिया गया था।

कैलाश यादव ने बताया कि सिर में चोट लगने से धर्मवीर की याददाश्त चली गई और वह चुपचाप वहां से रवाना हो गया। उसे खोजा गया और उसका पता नहीं लगने पर सेना ने 26 सितंबर 2012 को उसे मृत घोषित कर उसकी पत्नी के नाम प्रतिमाह आठ हजार रुपये की पेंशन शुरू कर दी।

याददास्त खोने पर भिखारियों की जिंदगी जी रहा धर्मवीर
यादव ने बताया कि परिवार भी धर्मवीर को मृत मान चुका था। उसकी दो बेटियां हैं। कुछ दिन बाद सब कुछ सामान्य हो गया। इस बीच, धर्मवीर हरिद्वार पंहुच गया। करीब एक हफ्ते पहले हरिद्वार में एक मोटरसाइकिल ने उसे टक्कर मार दी और उसे सिर में चोट लग गई। चोट लगने के बाद धर्मवीर की याददाश्त लौट आई और खुद को भिखारी जैसी हालत में पाकर वह दंग रह गया।

भीख में मिले पैसों से ठीक किया अपना हुलिया
परिजनों के अनुसार, धर्मवीर ने जब लोगों से बोलना चाहा तो उसकी अजीब हालत, भिखारी जैसा हुलिया और दुर्गंध भरे शरीर को देखकर उससे किसी ने बात नहीं की। एक व्यक्ति ने उसके हाथ में पांच सौ रुपये का नोट रखा और चला गया। उन्होंने बताया कि धर्मवीर ने उन 500 रुपये से अपनी हजामत बनवाई, बाल कटवाए और पचास रुपये में पुराने कपड़े खरीदे। फिर वह बस से सोमवार की रात को जयपुर दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित अपने गांव बहरोड पहुंचा। बहरोड को बदले हालत में देखकर उसने ग्रामीणों से पूछा और पैदल ही अपने घर के लिए रवाना हो गया।

दिल के ऑपरेशन के बाद आराम कर रहे धर्मवीर के पिता ने बताया कि रात को जब घर पर पंहुच कर धर्मवीर ने दरवाजा खटखटाया तो उन्होंने उससे पूछा कि वह कौन है। दरवाजा खोलने पर सामने धर्मवीर था। उसे देख कर, उससे बातें कर कैलाश यादव और उनके परिवार वालों को भरोसा ही नहीं हुआ।

धर्मवीर को देख परिवार और गांव वाले हैरान
सात साल पहले कथित तौर पर मर चुके धर्मवीर के लौटने की खबर सुन कर लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ। उससे मिलने और उसे देखने आने वालों का तांता लगा है। कैलाश ने कहा कि उन्होंने सेना की 66 आर्म्ड रेजिमेंट को धर्मवीर के जिंदा होने और घर आने की सूचना दे दी है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)

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