'मेक इन इंडिया' कैंपेन का लोगो
नई दिल्ली:
भारत को मैन्युफैक्चरिंग का गढ़ बनाने का लक्ष्य रखने वाली 'मेक इन इंडिया' मुहिम की शुरुआत हो गई है। देश-विदेश में एक साथ लॉन्च किए गए इस महत्वाकांक्षी अभियान में 30 देशों ने हिस्सा लिया।
टाटा समूह के साइरस मिस्त्री से लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी, आईसीआईसीआई बैंक प्रमुख चंदा कोचर, विप्रो के अजीम प्रेमजी समेत, सुजुकी मोटर कॉर्प के केनिची अयुकावा समेत देश-विदेश के कई जाने-माने बिजनेस लीडर्स ने इस कार्यक्रम में अपने विचार रखे। प्रधानमंत्री ने निवेशकों को आश्वस्त किया कि सरकार उनका पैसा डूबने नहीं देगी... आइए पढ़ते हैं पीएम के भाषण की प्रमुख बातें...
- हमारा 'मेक इन इंडिया' अभियान 'शेर के कदम' जैसा है...
- हम नहीं चाहते कि किसी भी उद्योग को भारत छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़े, और पिछले कुछ माह में इस सोच में बदलाव आया है... हम चाहते हैं, हमारी कंपनियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तरह चमकें...
- हमारी सरकार का मूलमंत्र है कि प्रत्येक देशवासी उस पर विश्वास करे... संसद की चारदीवारी के बाहर भी देशवासियों की सोच में परिवर्तन लाया जाना चाहिए...
- दुनियाभर में व्यापार के अनुकूल माहौल के मामले में भारत का स्थान 135वां है... यदि हमारी सरकार अपने नियमों में खुलापन लाए तो हम 50वें स्थान पर पहुंच सकते हैं...
- हमारे देश की 65 फीसदी आबादी 35 वर्ष से कम आयुवर्ग की है... भारत की युवाशक्ति पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता है... हमारे पास कुशल और सक्षम श्रमशक्ति है...
- दुनियाभर के देश एशिया आना चाहते हैं - और भारत उन्हें 'डेमोक्रेसी', 'डेमोग्राफिक डिविडेन्ड' और 'डिमांड' तीनों देता है... प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रत्येक भारतवासी के लिए एक उत्तरदायित्व है, लेकिन साथ ही विदेशी उद्योगों के लिए अवसर भी है...
- मेरे विचार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की परिभाषा कुछ अलग है - वह है, फर्स्ट डेवलप इंडिया (पहले भारत का विकास करें...)
- स्किल डेवलपमेंट से बदल सकते हैं मौजूदा हालात, इसके लिए हमें पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल अपनाना होगा...
- हमें अपने उत्पादों को कॉस्ट-इफेक्टिव तो बनाना ही होगा, लेकिन साथ ही हमें अच्छे खरीदारों की ज़रूरत भी होगी... हमें 'हाईवे' (बुनियादी ढांचा विकास) के साथ-साथ 'आई-वे' (सूचना प्रौद्योगिकी) भी चाहिए...
- सरकार, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों और नौजवानों की सोच में एकरूपता लाने की ज़रूरत है... मैं सिर्फ सुशासन की नहीं, प्रभावी सुशासन की बात करता हूं, क्योंकि सरकार होने से भी ज़्यादा ज़रूरी है सरकार होने का एहसास होना...
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