फाइल फोटो
वडोदरा:
सूरज सोमवार को पृथ्वी से सर्वाधिक दूर होगा। यह बात वडोदरा स्थित गुरुदेव वेधशाला के खगोलशास्त्री दिव्यदर्शन डी. पुरोहित ने रविवार को कही।
पुरोहित ने बताया कि पृथ्वी सूरज के चारों ओर लंबगोल या अंडाकार पथ पर चक्कर काटती है। लंबगोल घूमने वाली चीज अपने केंद्र से परिक्रमा पथ पर एक बार दूर जाती है, तो एक बार नजदीक आती है। इसी कारण पृथ्वी साल में एक बार सूरज के सबसे करीब और एक बार सबसे दूर जाती है।
पुरोहित के अनुसार, 'पृथ्वी सोमवार यानी 6 जुलाई, 2015 को सूरज से अत्यंत दूर चली जाएगी। भारतीय समयानुसार आधी रात बाद 1.10 बजे वह सबसे दूर होगी और उस समय उसकी सूरज से दूरी 15.20 करोड़ किलोमीटर होगी। अगले साल पृथ्वी सूरज से अत्यंत नजदीक होगी, तब सूरज से उसकी दूरी 14.70 करोड़ किलोमीटर होगी।'
इस हिसाब से 2 जनवरी, 2016 को सूरज का प्रकाश पृथ्वी पर आठ मिनट और 10.7 सेकंड में पहुंचेगा, जबकि सोमवार को सूरज का प्रकाश आठ मिनट और 27.4 सेकंड में धरती पर पहुंचेगा। यानी लगभग 20 सेकंड देरी से पहुंचेगा। उस दिन सूरज ज्योतिष विज्ञान के अनुसार मिथुन राशि में होगा।
पुरोहित ने कहा, 'इस घटना का ऋतु से कोई संबंध नहीं है। यह घटना पृथ्वी के झुकाव की वजह से घटती है।'
उन्होंने कहा, 'मजेदार बात यह है कि सूरज के सबसे दूर होने पर भी हमारे उत्तरी गोलार्ध में गर्मी की मौसम चल रहा है। इससे भी आश्चर्यजनक बात यह है कि पृथ्वी जब 2 जनवरी, 2016 को सूरज से नजदीक होगी, तो उसके हिसाब से 6 जुलाई को जब पृथ्वी सूरज से दूर होगी, तब उसका तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होगा।"
पुरोहित के अनुसार, यह केवल खगोलीय पिंडो की गति का चमत्कार है और इससे देश, काल, जीव सृष्टि का कोई भी अशुभ नहीं होता है।
उन्होंने कहा, 'इसे वैज्ञानिक नजरिए से देखें, अनुभव करें और अपने बच्चों को इस अनमोल कुदरती करिश्मे की जानकारी दें। भूल से भी सूरज को खुली आंखों से या दूरबीन से न देखें।'
पुरोहित ने बताया कि पृथ्वी सूरज के चारों ओर लंबगोल या अंडाकार पथ पर चक्कर काटती है। लंबगोल घूमने वाली चीज अपने केंद्र से परिक्रमा पथ पर एक बार दूर जाती है, तो एक बार नजदीक आती है। इसी कारण पृथ्वी साल में एक बार सूरज के सबसे करीब और एक बार सबसे दूर जाती है।
पुरोहित के अनुसार, 'पृथ्वी सोमवार यानी 6 जुलाई, 2015 को सूरज से अत्यंत दूर चली जाएगी। भारतीय समयानुसार आधी रात बाद 1.10 बजे वह सबसे दूर होगी और उस समय उसकी सूरज से दूरी 15.20 करोड़ किलोमीटर होगी। अगले साल पृथ्वी सूरज से अत्यंत नजदीक होगी, तब सूरज से उसकी दूरी 14.70 करोड़ किलोमीटर होगी।'
इस हिसाब से 2 जनवरी, 2016 को सूरज का प्रकाश पृथ्वी पर आठ मिनट और 10.7 सेकंड में पहुंचेगा, जबकि सोमवार को सूरज का प्रकाश आठ मिनट और 27.4 सेकंड में धरती पर पहुंचेगा। यानी लगभग 20 सेकंड देरी से पहुंचेगा। उस दिन सूरज ज्योतिष विज्ञान के अनुसार मिथुन राशि में होगा।
पुरोहित ने कहा, 'इस घटना का ऋतु से कोई संबंध नहीं है। यह घटना पृथ्वी के झुकाव की वजह से घटती है।'
उन्होंने कहा, 'मजेदार बात यह है कि सूरज के सबसे दूर होने पर भी हमारे उत्तरी गोलार्ध में गर्मी की मौसम चल रहा है। इससे भी आश्चर्यजनक बात यह है कि पृथ्वी जब 2 जनवरी, 2016 को सूरज से नजदीक होगी, तो उसके हिसाब से 6 जुलाई को जब पृथ्वी सूरज से दूर होगी, तब उसका तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होगा।"
पुरोहित के अनुसार, यह केवल खगोलीय पिंडो की गति का चमत्कार है और इससे देश, काल, जीव सृष्टि का कोई भी अशुभ नहीं होता है।
उन्होंने कहा, 'इसे वैज्ञानिक नजरिए से देखें, अनुभव करें और अपने बच्चों को इस अनमोल कुदरती करिश्मे की जानकारी दें। भूल से भी सूरज को खुली आंखों से या दूरबीन से न देखें।'
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