कई लोग ऐसे होते हैं,जो दूसरों के लिए जीते हैं. पुड्डूचेरी के रहने वाले शेखर की कहानी कुछ ऐसी ही हैं. शेखर अपनी मां के साथ मिलकर एक फूड स्टॉल चलाते हैं, ताकि कोई भी इंसान भूखा ना रह सकें. The New Indian Express के अनुसार, कोरोनाकाल में उसकी तबीयत खराब थी. ऐसे में उन्हें इस बात की चिंता थी कि वो अपने पिता का ध्यान कैसे रखें? उस समयनैकरी भी आसानी से नहीं मिल रही थी. शेखर इस बात से बहुत ही ज्यादा परेशान था. एक दिन उसने तिंडीवनम पुड्डूचेरी हाईवे (Tindivanam Puducherry Highway) पर थेन्कोदीपक्कम (Thenkodipakkam) पर मानधनेयम (Manidhaneyam) यानी इंसानियत नामक ढाबा खोल है. यहां पोंगल, इडली, सांभर, चटनी प्यार से परोसी जाती है. पास ही एक पैसों का बक्सा रखा है, जिस पर लिखा है, 'इच्छानुसार पैसे दीजिए. चलिए इंसानियत की सेवा करें.'
खबर के अनुसार, इस फूड स्टॉल पर लोगों को बड़े ही प्यार से खाना खिलाया जाता है. अगर किसी के पास पैसे नहीं भी होते हैं तो वो बिना पैसे दिए हुए खाना खा सकता है. इस स्टॉल के लिए शेखर की मां उसे साथ देती है. सुबह-सुबह ऑफिस मेंकाम करने वाले लोग और छात्र इनके स्टॉल पर खाते हैं. कई बार ऐसा होता होता है कि गरीब लोग भी इस स्टॉल पर खाना खा सकता है.
शेखर और उसकी मां सुबह 5 बजे उठकर खाना बनाते हैं और 7:30 बजे ये स्टॉल लग जाता है. शेखर के स्टॉल पर उन्हें भी खाना खिलाया जाता है जिनके पास पैसे नहीं होते. स्टॉल को चलाने में रोज़ाना 1000 रुपये तक खर्च होते हैं लेकिन कमाई 500 की ही होती है. इसके बावजूद शेखर, अपनी मां के साथ स्टॉल लगाता है ताकि खाने के लिए किसी को गिड़गिड़ाना या भीख न मांगनी पड़े.
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