जैसे राज कपूर की 1970 की फिल्म मेरा नाम जोकर ने भारत और सोवियत रूस के बीच के रिश्तों को एक नया आयाम दिया, ठीक वैसे ही फ़िल्म 'नो मीन्स नो' का उद्देश्य भारत और पोलैंड के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करना है. इस फिल्म के मेकर विकाश वर्मा का कहना है कि उन्होंने एक प्रेम कहानी के माध्यम से दोनों राष्ट्रों के बीच असंख्य रिश्तों को बुनने की कोशिश की है. यह फिल्म जल्दी ही रिलीज़ होने वाली है.
देखा जाए तो यह फिल्म इंडो-पोलिश प्रोडक्शन में बनी पहली फिल्म है और इसे मुंबई के फिल्ममेकर विकाश वर्मा द्वारा हिंदी, पोलिश और अंग्रेजी में बनाया गया है. विकाश ने बताया कि उन्होंने एक प्रेम कहानी के माध्यम से दोनों देशों के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक, धार्मिक और द्विपक्षीय रिश्ते बनाने की कोशिश की है. फिल्म एक भारतीय पुरुष (नवोदित कलाकार ध्रुव वर्मा द्वारा अभिनीत) की कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक स्कीइंग चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए पोलैंड जाता है और उसे एक पोलिश महिला से प्यार हो जाता है.
कलाकारों में भारत के प्रसिद्ध अभिनेता गुलशन ग्रोवर, दीप राज राणा, शरद कपूर, नाज़िया हसन और कैट क्रिस्टियन शामिल हैं; और पोलैंड के एक्टर्स हैं नतालिया बाक, अन्ना गुज़िक, सिल्विया चेक, पावेल चेक, जर्सी हैंडज़लिक और अन्ना एडोर. पार्श्व गायकों में श्रेया घोषाल और हरिहरन शामिल हैं. G7 फिल्म्स पोलैंड द्वारा निर्मित, बर्फीले पहाड़ों और बेहद खूबसूरत स्थलों का फिल्मांकन पोलैंड में जन-जीवन की एक झलक प्रदान करते हैं और इससे देश के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.
फिल्म के केंद्रीय विषयों में से एक महिला सशक्तिकरण है और इसमें शक्तिशाली महिला पात्र हैं. भारत के एक वकील की भूमिका निभाने वाले गुलशन ग्रोवर कहते हैं, “क्या महिलाओं के चरित्र को उनकी स्कर्ट की लंबाई के आधार पर आंका जाएगा? एक ओर, हम माँ दुर्गा और माँ काली की पूजा करते हैं, और दूसरी ओर, हम उनके वास्तविक जीवित रूपों को वस्तु मान कर उनका अपमान करते हैं. यह कब तक चलेगा?"
विकाश वर्मा ने कहा जब एक महिला कहती है "नहीं, मेरी तरफ से ना है, बिल्कुल ना, तो वहीँ पर एक पूर्ण विराम हो जाता है." फिल्ममेकर ने बताया कि वह 'द गुड महाराजा' नाम की एक और फिल्म बना रहे हैं, जो जाम साहिब के नाम से प्रसिद्ध नवानगर, गुजरात के महाराजा दिग्विजयसिंहजी रंजीतसिंहजी जडेजा पर आधारित होगी. आजादी से पहले के दौर में, महाराजा ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन बम विस्फोटों से बचने के लिए सोवियत रूस से निकाले गए लगभग 1,000 पोलिश बच्चों को आश्रय और शिक्षा प्रदान की थी.
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि दुनिया भर के लोग यह जानें कि एक भारतीय महाराजा किसी भी प्रतिकूल प्रभाव की परवाह किए बिना, किस तरह से पोलिश बच्चों को आश्रय देने के लिए आगे आए. इनमें से एक बच्चा तो आगे चलकर पोलैंड का प्रधानमंत्री भी बना,” विकास वर्मा ने कहा.
फिल्ममेकर ने कहा कि फिल्म के लिए शोध करते समय, उन्होंने पाया कि पोलिश सरकार ने अपनी संसद में महाराजा की एक मूर्ति स्थापित कर सम्मान किया था और उनके नाम पर वहाँ एक सड़क का नाम भी रखा गया था. "लेकिन दुर्भाग्य से भारत में बहुत से लोग महाराजा साहब के इस महान योगदान के बारे में नहीं जानते. संजय दत्त इस फिल्म में शीर्षक भूमिका निभाएंगे,” विकास वर्मा ने बताया.
निर्माता निर्देशक विकास वर्मा को लिखे एक पत्र में, पोलैंड की संसद सदस्य और इंडो-पोलिश संसदीय समूह की अध्यक्ष मालगोरज़ाटा पेपेक ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि यह फिल्म दिलचस्प परियोजनाओं को आगे बढ़ाएगी जो पोलैंड को बढ़ावा देने का एक शानदार जरिया साबित होगी.
अपने एक वक्तव्य में, पोलैंड में पूर्व भारतीय राजदूत (अब कनाडा में उच्चायुक्त) अजय बिसारिया ने कहा, "यह [फिल्म] दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों और दोस्ती को रेखांकित करती है."
पोलैंड के उप-प्रधानमंत्री प्रोफेसर पिओटर ग्लिंस्की, जो सांस्कृतिक मंत्रालय के प्रभारी भी हैं, ने इस फिल्म को बनाने में बहुत मदद की थी.
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