क्या आपने कभी ऐसे घर में रहने की कल्पना की है जो दो अलग-अलग राज्यों की सीमा के बीच खड़ा हो? समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, एक अनोखे मामले में, चंद्रपुर जिले की सिमवर्ती जिवती तहसील के महाराजागुडा गांव में पवार परिवार महाराष्ट्र और तेलंगाना दोनों राज्यों में रहता है. 13 सदस्यीय पवार परिवार 14 गांवों में एक दूसरे के साथ दो राज्यों के बीच संघर्ष की अजीब भावना का अनुभव करता है. समाचार एजेंसी ने आगे कहा, कि दोनों राज्यों ने महाराष्ट्र-तेलंगाना (Maharashtra and Telangana) सीमा से लगे 14 गांवों पर अपना दावा किया है.
वे दोनों राज्यों के कल्याणकारी कार्यक्रमों से लाभान्वित होते हैं और यहां तक कि महाराष्ट्र और तेलंगाना पंजीकरण प्लेट वाले वाहनों के भी मालिक हैं. वे दोनों राज्यों को कर भी देते हैं. और महाराजगुड़ा गांव में उनके 10 कमरों के घर में चार कमरे तेलंगाना में और चार कमरे महाराष्ट्र में हैं. रसोई तेलंगाना में स्थित है, जबकि बेडरूम और हॉल महाराष्ट्र में स्थित हैं. परिवार इस मकान में वर्षों से रह रहा है.
देखें Photos:
Maharashtra | A house in Maharajguda village, Chandrapur is spread b/w Maharashtra & Telangana - 4 rooms fall in Maha while 4 others in Telangana
— ANI (@ANI) December 15, 2022
Owner, Uttam Pawar says, "12-13 of us live here. My brother's 4 rooms in Telangana&4 of mine in Maharashtra, my kitchen in Telangana" pic.twitter.com/vAOzvJ5bme
घर के मालिक उत्तम पवार ने एएनआई को बताया, 'हमारा घर महाराष्ट्र और तेलंगाना के बीच बंटा हुआ है, लेकिन आज तक हमें इससे कोई दिक्कत नहीं हुई, हम दोनों राज्यों में प्रॉपर्टी टैक्स देते हैं और दोनों राज्यों की योजनाओं का लाभ उठाते हैं."
1969 में जब सीमा विवाद सुलझा तो पवार परिवार की जमीन दो राज्यों में बंट गई. नतीजा यह हुआ कि घर भी बंट गया. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कानूनी तौर पर ये गांव भले ही महाराष्ट्र का हिस्सा हैं, लेकिन तेलंगाना सरकार इन गांवों के लोगों को अपनी योजनाओं से लगातार आकर्षित कर रही है.
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा पर तनाव भी बहुत अधिक है, बेलगावी घटना के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप की आवश्यकता है.
उन्होंने बुधवार को सीमा विवाद पर महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला नहीं सुनाता, दोनों राज्य एक-दूसरे के खिलाफ कोई दावा दायर नहीं करेंगे. बैठक के बाद उन्होंने कहा, "एक समझौता हुआ है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला नहीं सुनाता, तब तक राज्य सरकारें कोई दावा नहीं करेंगी. विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. प्रत्येक राज्य के तीन मंत्रियों के साथ एक समिति बनाई जाएगी."
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