इमान अहमद अब दुनिया की सबसे वजनदार महिला नहीं हैं. उनका वजन दो माह में 333 किलोग्राम घटा है.
मुंबई:
दो महीने पहले दुनिया की सबसे वजनी महिला इमान अहमद से अब यह तमगा छिन चुका है. मिस्त्र से भारत आने तक इमान अहमद 500 किलो की थीं, लेकिन मुंबई में वजन घटाने के ऑपरेशन और दो महीने की मेहनत से उनका वजन 333 किलो तक कम हो गया है. अब 171 किलो की इमान बिस्तर पर नहीं रहतीं बल्कि व्हील चेयर पर घूम रही हैं. एलेक्जेंड्रिया में अपने घर से मुंबई के सैफी अस्पताल तक उन्हें खास विमान, ट्रक और फिर क्रेन के जरिए पहुंचाया गया था. फरवरी 2017 में 25 साल में वे पहली बार घर से निकलीं. मुंबई में दो महीने के इलाज ने ही उन्हें व्हील चेयर पर घूमने-फिरने लायक बना दिया.
सैफी अस्पताल में उनका इलाज कर रहे डॉ मुफ्फज़ल लकड़ावाला ने कहा "उनके खून के नमूनों से पता लगा कि पोटैशियम हाई रिस्क पर था, सारे सिस्टम खराब थे. हम सब कुछ नॉर्मल पर लेकर आए." उन्हें दांए तरफ लकवा था. जैसे ही हमें ठीक लगा हमने ऑपरेशन किया. महीने भर पहले वजन 250 किलो था आज 171 है. अब हम उन्हें सीटी स्कैन मशीन में डाल सकते हैं उसके बाद पता लगेगा कि दिमाग कितना डैमेज हुआ है ताकि न्यूरोलॉजिस्ट अपना काम कर सकें."
मुंबई पहुंचने पर इमान को पहले 48 घंटे कड़ी निगरानी में हाई प्रोटीन डाइट पर रखा गया. पांच दिनों में उनका वजन 30 किलो तक घट गया. प्रति दिन 1200 कैलोरी की डाइट से इमान की सेहत थोड़ी सुधरी. दो हफ्ते के अंदर इमान का वजन 50 किलो तक कम हो गया. महीने भर के अंदर इमान बैठने लगीं, वजन 380 किलो तक हो गया.
गत 9 मार्च को इमान की पहली बैरिएट्रिक सर्जरी हुई. यह ऑपरेशन पेट को चर्बी को सिकोड़ने वाली बायपास सर्जरी है. दो महीने में इमान 500 से 171 किलो तक पहुंच गईं.
इमान फिलहाल हर रोज़ दो घंटे फिजियोथैरपी भी कराती हैं. वजन कम होने से उनका दिल, किडनी, फेंफड़े फिलहाल पूरी तरह नियंत्रण में हैं और ठीक से काम कर रहे हैं.
पैदा होने के वक्त इमान का वजन पांच किलो था. 11 की उम्र तक आते-आते अपने वजन की वजह से इमान खड़ी नहीं हो पाती थीं. बाद में लकवे ने उनकी जिंदगी को एक बिस्तर तक समेट दिया. इमान की जिंदगी सामान्य होने में लंबा वक्त लग सकता है. अभी भी उन्हें पैरालिसिस, किडनी की बीमारी, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर से जूझना है, लेकिन इमान के जज्बे ने भी डॉक्टरों को लड़ाई में जीत की एक उम्मीद दी है.
सैफी अस्पताल में उनका इलाज कर रहे डॉ मुफ्फज़ल लकड़ावाला ने कहा "उनके खून के नमूनों से पता लगा कि पोटैशियम हाई रिस्क पर था, सारे सिस्टम खराब थे. हम सब कुछ नॉर्मल पर लेकर आए." उन्हें दांए तरफ लकवा था. जैसे ही हमें ठीक लगा हमने ऑपरेशन किया. महीने भर पहले वजन 250 किलो था आज 171 है. अब हम उन्हें सीटी स्कैन मशीन में डाल सकते हैं उसके बाद पता लगेगा कि दिमाग कितना डैमेज हुआ है ताकि न्यूरोलॉजिस्ट अपना काम कर सकें."
मुंबई पहुंचने पर इमान को पहले 48 घंटे कड़ी निगरानी में हाई प्रोटीन डाइट पर रखा गया. पांच दिनों में उनका वजन 30 किलो तक घट गया. प्रति दिन 1200 कैलोरी की डाइट से इमान की सेहत थोड़ी सुधरी. दो हफ्ते के अंदर इमान का वजन 50 किलो तक कम हो गया. महीने भर के अंदर इमान बैठने लगीं, वजन 380 किलो तक हो गया.
गत 9 मार्च को इमान की पहली बैरिएट्रिक सर्जरी हुई. यह ऑपरेशन पेट को चर्बी को सिकोड़ने वाली बायपास सर्जरी है. दो महीने में इमान 500 से 171 किलो तक पहुंच गईं.
इमान फिलहाल हर रोज़ दो घंटे फिजियोथैरपी भी कराती हैं. वजन कम होने से उनका दिल, किडनी, फेंफड़े फिलहाल पूरी तरह नियंत्रण में हैं और ठीक से काम कर रहे हैं.
पैदा होने के वक्त इमान का वजन पांच किलो था. 11 की उम्र तक आते-आते अपने वजन की वजह से इमान खड़ी नहीं हो पाती थीं. बाद में लकवे ने उनकी जिंदगी को एक बिस्तर तक समेट दिया. इमान की जिंदगी सामान्य होने में लंबा वक्त लग सकता है. अभी भी उन्हें पैरालिसिस, किडनी की बीमारी, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर से जूझना है, लेकिन इमान के जज्बे ने भी डॉक्टरों को लड़ाई में जीत की एक उम्मीद दी है.
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