
प्रतीकात्मक फोटो.
भोपाल:
हर मां-बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे बुढ़ापे में सहारा बनें, लेकिन कई दफे बच्चे अपने अभिभावकों को दर-दर की ठोकरें खाने छोड़ देते हैं. ऐसे बच्चों के लिए मध्यप्रदेश सरकार अब एक नया कानून बनाने जा रही है जिसके तहत सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों ने अगर अपने माता-पिता को बेसहारा छोड़ा तो सरकार उनकी तनख्वाह काटकर बुज़ुर्ग माता-पिता को देगी.
भोपाल के अपना घर में रहने वाले 85 साल के कृष्ण मुरारी शर्मा ने बतौर वकील कई बार जिरह की, लोगों को इंसाफ दिलाया. पांच साल पहले पत्नी की मौत हो गई चार बच्चों में से किसी ने अपने पास नहीं रखा. भोपाल का अपना घर इन जैसे कई बुजुर्गों के लिए वाकई अपना घर है जिन्हें उम्र की ढलती शाम में अपनों ने अकेला छोड़ दिया. शर्माजी ने कहा मेरे बच्चों ने मेरे हितों का कत्ल कर दिया, जिसकी पत्नी को मरे 13 दिन हुए उसे कहते हैं जहां जाना है जाओ... आप सोचो कितने दुष्ट होंगे ... उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए.
यह भी पढ़ें : गरीबों, बेसहाराओं को न्याय दिलाने के लिए काटजू बनाएंगे एनजीओ
ऐसे बुजुर्गों की मदद के लिए मध्यप्रदेश सरकार नया नियम लाने जा रही है जिसके तहत मां-बाप की उपेक्षा करने वाले सरकारी कर्मचारियों के हर महीने के वेतन से दस फीसदी हिस्सा काटकर बुजुर्ग माता-पिता को दिया जाएगा ताकि बुढ़ापे में वे अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकें. इस बारे में सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं कि बेटा तो बहुत बड़ा अधिकारी है लेकिन मां-बाप के भरण-पोषण के लिए पैसे नहीं देता, बहू घर से निकाल देती है. तो यह तय किया है कि दंड का प्रावधान तो पहले से ही है इसके साथ भरण-पोषण के लिए तनख्वाह में से 10 फीसदी काटकर मां-बाप को दे देंगे.
VIDEO : मां-बाप को बेसहारा छोड़ने वाले संभल जाएं
सरकार के फैसले से समाजसेवी खुश हैं, ख्वाहिश है कि इसका दायरा निजी क्षेत्र तक बढ़ाया जाए. समाजसेवी और अपना घर की संचालक माधुरी मिश्रा ने कहा सरकार अच्छे कदम उठा रही है लेकिन उसके साथ समाज को भी आगे आना चाहिए. ऐसे बुजुर्गों के लिए वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 लागू है लेकिन इसके तहत मिलने वाली रकम की अधिकतम सीमा 10000 रुपये है.
भोपाल के अपना घर में रहने वाले 85 साल के कृष्ण मुरारी शर्मा ने बतौर वकील कई बार जिरह की, लोगों को इंसाफ दिलाया. पांच साल पहले पत्नी की मौत हो गई चार बच्चों में से किसी ने अपने पास नहीं रखा. भोपाल का अपना घर इन जैसे कई बुजुर्गों के लिए वाकई अपना घर है जिन्हें उम्र की ढलती शाम में अपनों ने अकेला छोड़ दिया. शर्माजी ने कहा मेरे बच्चों ने मेरे हितों का कत्ल कर दिया, जिसकी पत्नी को मरे 13 दिन हुए उसे कहते हैं जहां जाना है जाओ... आप सोचो कितने दुष्ट होंगे ... उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए.
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ऐसे बुजुर्गों की मदद के लिए मध्यप्रदेश सरकार नया नियम लाने जा रही है जिसके तहत मां-बाप की उपेक्षा करने वाले सरकारी कर्मचारियों के हर महीने के वेतन से दस फीसदी हिस्सा काटकर बुजुर्ग माता-पिता को दिया जाएगा ताकि बुढ़ापे में वे अपनी ज़रूरतें पूरी कर सकें. इस बारे में सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं कि बेटा तो बहुत बड़ा अधिकारी है लेकिन मां-बाप के भरण-पोषण के लिए पैसे नहीं देता, बहू घर से निकाल देती है. तो यह तय किया है कि दंड का प्रावधान तो पहले से ही है इसके साथ भरण-पोषण के लिए तनख्वाह में से 10 फीसदी काटकर मां-बाप को दे देंगे.
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सरकार के फैसले से समाजसेवी खुश हैं, ख्वाहिश है कि इसका दायरा निजी क्षेत्र तक बढ़ाया जाए. समाजसेवी और अपना घर की संचालक माधुरी मिश्रा ने कहा सरकार अच्छे कदम उठा रही है लेकिन उसके साथ समाज को भी आगे आना चाहिए. ऐसे बुजुर्गों के लिए वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 लागू है लेकिन इसके तहत मिलने वाली रकम की अधिकतम सीमा 10000 रुपये है.
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