स्वराज कौशल ने पहले ट्वीट में लिखा, 'मेरी बेटी मनीषा कोइराला, मैं आपसे बहस नहीं कर सकता. मैंने आपको अपनी बेटी माना है. आपने हमें 1942- ए लव स्टोरी के प्रीमियर पर आमंत्रित किया था. तब मैं पूरी फिल्म नहीं देख पाया था. लेकिन सुषमा ने पूरी फिल्म देखी थी और मेरी बेटी बासुरी आपकी गोदी में थी.'
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, '27 साल पुरानी बात है, 1977 के बाद से आप साउथ एक्सटेंशन में रहती थीं और साकेत के एपीजे स्कूल में पढ़ाई करती थीं. आपके पिता प्रकाश कोइराला मेरे भाई समान हैं और आपकी मां सुषमा कोइराला मेरी भाभी और अच्छी दोस्त रही हैं. हमने साथ में कई मुश्किल हालात देखे हैं.'
उन्होंने तीसरे ट्वीट में उनके दादा का जिक्र किया. उन्होंने लिखा, 'जिस दिन आपके दादा बीपी कोइराला को एम्स में कैंसर के बारे में पता चला तो उस वक्त मैं उनके साथ ही था. मुझे अभी याद है कि उन्होंने मुझसे कहा था, ये कैंसर की आखिरी स्टेज है और मेरे पास जीने के लिए सिर्फ 5 या 6 महीने हैं. मैं उस वक्त काफी दुखी था, लेकिन उनके चेहरे पर निराशा को कोई भाव नहीं था.'
उन्होंने चौथे ट्वीट में लिखा, 'मैं आपके परिवार की गौरवशाली परंपराओं को जानता हूं. आपके दादा बीपी कोइराला और उनके दोनों भाई नेपाल के प्रधानमंत्री रहे हैं. आपकी बुआ शैलजा आचार्य नेपाल की उप-प्रधानमंत्री थीं.'
पांचवें ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'मुझे यह भी पता है कि आपके परिवार ने कितना संघर्ष किया. आपके दादा 18 साल से जेल में थे. उनका जीवन बख्श दिया गया क्योंकि नेपाल एक हिंदू राज्य होने के कारण ब्राह्मण को फांसी नहीं दी जाती है. आपकी बुआ शैलजा भी 8 साल तक जेल में थीं.'
अगले ट्वीट में उन्होंने मनीषा कोइराला के पिता के बारे में बताया. उन्होंने लिखा, 'अब मैं आपके पिता प्रकाश कोइराला के बारे में बताना चाहता हूं. संघर्ष के वक्त वो नेपाली कांग्रेस के साथ थे. मुझे लगता है कि हम सब, जेपी, लोहिया, चंद्रशेखर जी, जॉर्ज फ़र्नांडीस ने भी साथ दिया. 1973 में मैं हफ्तों तक नेपाल में था.'
लोकतंत्र के लिए हम सब आपके साथ थे. भारत या भारतीय जैसा कुछ नहीं था, हमें सिर्फ इतना चाहिए था कि आपका राजा से समझौता हो जाए. हमें जब एक सांसद के तौर पर आपके विचारों का पता चला तो हम दुखी हुए. लेकिन फिर हमने सोचा कि वो नेपाली राजनीति के लिए अनिवार्य था.
उन्होंने आगे लिखा, 'भारतीयों को पता होना चाहिए कि दुनिया में एकमात्र हिंदू राज्य को समाप्त करने की साजिश थी. साजिश करने वालों ने माओवादियों के साथ मिलकर काम किया. उन्होंने प्रचंड और बाबू राम भट्टराई को बंधक बना लिया. उन्होंने एकमात्र हिंदू राज्य को नष्ट कर दिया. उनका मिशन पूरा हो गया था.'
उन्होंने लिखा, 'नतीजा यह हुआ कि कम्यूनिस्टों ने चीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया या फिर यह कहें कि चीन ने कम्युनिस्टों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. परिणाम यह है कि पारंपरिक रूप से भारत के साथ चीन की सीमा हिमालय तक थी. अब भारत के साथ चीन की सीमा बीरगंज में है.'
उन्होंने आगे लिखा, 'भारत को नेपाल से शिकायत हो सकती हैं या नेपाल के भारत से गंभीर मुद्दे हो सकते हैं. वह भारत और नेपाल के बीच की बात है. आप चीन को बीच में कैसे ला सकती हैं? यह हमारे लिए बुरा है और यह नेपाल के लिए भी अच्छा नहीं है.'
'जब आप चीन को बीच में ला रही हैं तो दोनों देश के हज़ारों साल पुराने रिश्ते को खत्म कर रही हैं. आप हमारी पारस्परिक हिरासत को ख़त्म कर रही हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात, आप एक संप्रभु देश के रूप में भी अपनी स्थिति को कम कर रहे हैं.'
मनीषा कोइराला (Manisha Koirala) ने नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप गयावली के एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा था, 'हमारे छोटे से देश की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए धन्यवाद. हम सभी तीन महान देशों के बीच शांतिपूर्ण और सम्मानजनक संवाद की राह तक रहे हैं.'
बता दें कि भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल के कैबिनेट (Nepal Cabinet)ने एक नया राजनीतिक नक्शा स्वीकार किया है जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया गया है. नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सांसदों ने कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख (Lipulekh, Kalapani & Limpiyadhura) को नेपाल की सीमा में लौटाने की मांग करते हुए संसद में विशेष प्रस्ताव भी रखा था.