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नई दिल्ली:
इस गर्मी में हम धूप से बचने की कोशिश करते हैं लेकिन अगर आप इस धूप में बिल्कुल नहीं निकलते हैं तो आपकी हड्डी और मांसपेशियों कमजोर हो जाएंगी। साथ ही डायबिटीज, हार्ट अटैक और कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा भी रहता है।
इंडियन मेडीकल एसोसिएशन के डॉक्टरों की एक रिसर्च में इस बात का पता चला है। रिसर्च में ये भी पता चला है कि देश की 90 फीसदी शहरी आबादी विटामिन डी के कमी की शिकार है। रिसर्च में ये भी पता चला है कि तेज गर्मी में बाहर नहीं निकलने के चलते मरीजों की तादाद इस मौसम में तेजी से बढ़ती है।
यही नहीं बहुत सारे लोग धूप में काले होने के डर से क्रीम लगाकर निकलते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इसकी वजह से भी धूप त्वचा तक नहीं पहुंचती है और विटामिन डी नहीं मिल पाती है।
यही नहीं डॉक्टरों का कहना है कि कम से कम 10 से 20 नैनोग्राम विटामिन डी हर रोज शरीर को चाहिए। लेकिन इसकी कमी होने का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। यही वजह है कि मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द और थकान होने को हम किसी दूसरी वजहों से जोड़ कर देखते हैं और दर्द मिटाने की दवा खाते रहते हैं। लेकिन ज्यादा वक्त तक इसे अनदेखा करने से हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी के अलावा कैंसर, डायबिटीज और दिल की बीमारी के खतरे बढ़ जाते हैं।
मेदांता अस्पताल में एंडोक्राइनॉलोजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अंबरीष मिथाल कहते हैं कि भारत जैसे देश जहां धूप इतनी ज्यादा है वहां इस तरह की विटामिन डी की कमी हैरानी वाली बात है। इसका ताल्लुक हमारे जीवन जीने के तरीके में होने वाले बदलाव से भी है।
बच्चों को धूप में एक घंटे जरूर खेलना चाहिए ताकि उनके अंदर विटामिन डी की कमी नहीं होने पाए। अगर बच्चों में विटामिन डी की कमी होगी तो दूध और पनीर के जरिए मिलने वाले कैल्शियम का फायदा हड्डियों तक नहीं पहुंच पाएगा। इसलिए बच्चों को कम से कम 1 घंटे धूप में खेलना चाहिए और बड़ों को कम से कम आधे घंटे धूप में रहना जरूरी है।
इंडियन मेडीकल एसोसिएशन के डॉक्टरों की एक रिसर्च में इस बात का पता चला है। रिसर्च में ये भी पता चला है कि देश की 90 फीसदी शहरी आबादी विटामिन डी के कमी की शिकार है। रिसर्च में ये भी पता चला है कि तेज गर्मी में बाहर नहीं निकलने के चलते मरीजों की तादाद इस मौसम में तेजी से बढ़ती है।
यही नहीं बहुत सारे लोग धूप में काले होने के डर से क्रीम लगाकर निकलते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इसकी वजह से भी धूप त्वचा तक नहीं पहुंचती है और विटामिन डी नहीं मिल पाती है।
यही नहीं डॉक्टरों का कहना है कि कम से कम 10 से 20 नैनोग्राम विटामिन डी हर रोज शरीर को चाहिए। लेकिन इसकी कमी होने का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। यही वजह है कि मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द और थकान होने को हम किसी दूसरी वजहों से जोड़ कर देखते हैं और दर्द मिटाने की दवा खाते रहते हैं। लेकिन ज्यादा वक्त तक इसे अनदेखा करने से हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी के अलावा कैंसर, डायबिटीज और दिल की बीमारी के खतरे बढ़ जाते हैं।
मेदांता अस्पताल में एंडोक्राइनॉलोजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अंबरीष मिथाल कहते हैं कि भारत जैसे देश जहां धूप इतनी ज्यादा है वहां इस तरह की विटामिन डी की कमी हैरानी वाली बात है। इसका ताल्लुक हमारे जीवन जीने के तरीके में होने वाले बदलाव से भी है।
बच्चों को धूप में एक घंटे जरूर खेलना चाहिए ताकि उनके अंदर विटामिन डी की कमी नहीं होने पाए। अगर बच्चों में विटामिन डी की कमी होगी तो दूध और पनीर के जरिए मिलने वाले कैल्शियम का फायदा हड्डियों तक नहीं पहुंच पाएगा। इसलिए बच्चों को कम से कम 1 घंटे धूप में खेलना चाहिए और बड़ों को कम से कम आधे घंटे धूप में रहना जरूरी है।
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