प्रतीकात्मक तस्वीर
लंदन:
अगली बार जब आपको अस्पताल जाना पड़े तो बहुत संभव है कि नर्सिंग सहयोगी कोई इंसान नहीं बल्कि रोबोट हो. इसके लिए हमें वैज्ञानिकों का शुक्रगुजार होना पड़ेगा जिन्होंने रोबोट को इंसान के स्वाभाविक कामों की नकल का प्रशिक्षण दिया है. हालांकि भारतीय परिप्रेक्ष्य में यह कब संभव होगा यह कहना बेहद मुश्किल है.
इटली के पॉलिटेक्नीको डि मिलानो की एलेना डि मॉमी और उनके सहयोगियों द्वारा किये गये अनुसंधान में इस बात के संकेत मिलते हैं कि सर्जरी और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर इंसान और रोबोट प्रभावी तरीके से अपनी क्रियाओं को समन्वित कर सकते हैं.
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि दूसरी बात ये है कि रोबोट इंसानों की तरह थकते नहीं है और इससे गलती की गुंजाइश में कमी आयेगी और सेवाओं में सुधार होगा. इस अनुसंधान का प्रकाशन फ्रंटियर्स इन रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नामक जर्नल में हुआ.
इटली के पॉलिटेक्नीको डि मिलानो की एलेना डि मॉमी और उनके सहयोगियों द्वारा किये गये अनुसंधान में इस बात के संकेत मिलते हैं कि सर्जरी और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर इंसान और रोबोट प्रभावी तरीके से अपनी क्रियाओं को समन्वित कर सकते हैं.
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि दूसरी बात ये है कि रोबोट इंसानों की तरह थकते नहीं है और इससे गलती की गुंजाइश में कमी आयेगी और सेवाओं में सुधार होगा. इस अनुसंधान का प्रकाशन फ्रंटियर्स इन रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नामक जर्नल में हुआ.