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VIDEO: भाई-बहन की लड़ाई पर प्रेमानंद महाराज जी का जवाब छू गया दिल

Bhai Dooj Special: भाई दूज पर प्रेमानंद महाराज जी ने एक सीख दी है कि, 'रूठना ठीक है, पर टूटना नहीं…गुस्सा आए तो भी दिल में प्रेम और वाणी में मिठास रखो. छोटी-छोटी बातें रिश्तों को तोड़ नहीं सकतीं.'

VIDEO: भाई-बहन की लड़ाई पर प्रेमानंद महाराज जी का जवाब छू गया दिल
VIDEO: भाई-बहन की लड़ाई पर क्या बोले प्रेमानंद महाराज जी...सुनें

Premanand Maharaj ji video: भाई-बहन का रिश्ता उतना ही प्यारा है जितना तकरार से भरा हुआ. कभी राखी पर भावनाएं उमड़ती हैं, तो कभी भाई दूज पर प्यार छलक पड़ता है, लेकिन इन दोनों के बीच छोटी-मोटी लड़ाइयां भी तो हर घर की कहानी हैं. ऐसे में भाई दूज के पावन अवसर पर प्रेमानंद महाराज जी का एक जवाब सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है. ग्वालियर की ज्योति नाम की एक महिला ने प्रेमानंद महाराज जी से एक ऐसा सवाल पूछा, जो शायद हर घर की कहानी है...उसने पूछा कि, 'अगर भाई-बहन झगड़े में अपशब्द कह दें तो क्या इसका पाप लगता है?' महाराज जी ने बड़े ही सरल लेकिन गहरे शब्दों में इसका जवाब दिया, जो सुनकर हर श्रोता भावुक हो गया. उनका जवाब हर उस दिल को छू गया जिसने कभी अपने भाई या बहन से मनमुटाव किया है. 

'किसी का दिल मत दुखाओ, क्योंकि हर दिल में भगवान हैं' (Bhai Dooj 2025)

प्रेमानंद महाराज जी ने कहा, 'घर में थोड़ा बहुत रोष होना स्वाभाविक है, लेकिन ऐसे वचन नहीं बोलने चाहिए जो किसी के हृदय में चुभ जाएं. हर दिल में भगवान बसते हैं.' उन्होंने समझाया कि रिश्तों की डोर को शब्दों से ही मजबूत या कमजोर किया जा सकता है, इसलिए गुस्से में भी भाषा ऐसी होनी चाहिए जो सम्मान बनाए रखे. प्रेमानंद महाराज जी ने कहा, 'हर इंसान के हृदय में परमात्मा विराजमान हैं. अगर हम किसी का दिल दुखाते हैं, तो हम सीधे भगवान को ही आहत करते हैं.' उन्होंने समझाया कि गुस्से में बोले गए शब्द कभी-कभी रिश्तों में ऐसी दरार डाल देते हैं, जो सालों तक नहीं भरती...इसलिए हमें हमेशा मधुर वाणी का प्रयोग करना चाहिए. चाहे घर में भाई हो, माता-पिता हों या बच्चे.

'डांटो तो प्रेम से और गलती हो तो क्षमा मांगो' (Bhai Dooj viral message)

महाराज जी ने यह भी कहा कि अगर हम किसी को डांटते हैं, तो उसके पीछे हमारी नीयत अच्छी होनी चाहिए और जब गुस्सा शांत हो जाए, तो सामने वाले से क्षमा भी मांगनी चाहिए. उन्होंने इसे वैष्णव पद्धति बताया. जहां डांट में भी करुणा होती है और कठोरता में भी प्रेम. उन्होंने कहा, 'अगर हमने किसी को डांटा है, तो हमें विनम्र होकर कहना चाहिए...हमने तुम्हारे भले के लिए डांटा, बुरा लगा हो तो क्षमा करना.' उन्होंने कहा कि वैष्णव पद्धति में डांट में भी प्रेम छिपा होता है. अगर हमारा उद्देश्य किसी का भला है, तो हमारे शब्द भी मधुर और मन को शीतल करने वाले होने चाहिए.

'सबको भाई की तरह देखें, प्रेम ही सबसे बड़ी पूजा है' (Bhai behan ka jhagda)

प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि, केवल अपने घर का भाई ही नहीं, बल्कि पूरे भारत और विश्व के लोग हमारे भाई हैं. हमें सभी के प्रति भाईचारे, दया और विनम्रता का भाव रखना चाहिए. उन्होंने कहा, 'ये जीवन एक नाटक है और हमें अपने किरदार को सही निभाना है. जो इस अभिनय को ठीक से निभा लेता है, वही मुक्त होता है.' महाराज जी ने कहा कि भाई-बहन का रिश्ता सीमित नहीं, बल्कि व्यापक भावना है. उन्होंने कहा, 'हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं, जो सबमें भगवान को देख लेता है, वही सच्चा भाईचारा निभा पाता है.'

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