दूसरे के घरों में काम कर परिवार चलाने वाली लड़की ने पास की कॉलेज की परीक्षा. तस्वीर: प्रतीकात्मक
नई दिल्ली:
परीक्षा की तैयारी के दौरान मां-पिता बच्चों को जरूरत की सारी सुविधाएं देने की कोशिश करते हैं, ताकि रिजल्ट अच्छा आए. कई बच्चे इन सुविधाओं के बाद भी अच्छे अंक नहीं ला पाते हैं तो वे कोई बहाना ढूंढकर घरवालों को ही जिम्मेदार ठहरा देते हैं. ऐसे लोगों के सामने बेंगलुरु की ईलू अफशां मिसाल पेश कर रही हैं. 17 वर्षीय ईलू अफशां 10 से ज्यादा घरों में झाड़ू-पोंछा, बर्तन और कपड़े धोने, खाना बनाने का काम करती हैं. इसके बाद जो समय बचता है उसमें वह अपनी पढ़ाई करती हैं. इतनी मुश्किलों से पढ़ाई करने के बाद भी ईलू ने गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हुई है. ईलू के कॉमर्स विषय में फर्स्ट क्लास से पास होने पर उसके सारे जानकार हैरत में हैं.
परीक्षा की तैयारी के दौरान पिता थे बीमार
बेंगलुरु मिरर की खबर के मुताबिक कॉलेज की परीक्षा जब नजदीक थी, उसी दौरान ईलू के पिता बीमार हो गए थे. हालात इतने बुरे थे कि ईलू के पिता बिस्तर से ऊठ भी नहीं पा रहे थे. पिता घरों में पेंट का काम करते थे, लेकिन हादसे में वे पैर गंवा चुके हैं. ऐसे में 10 घरों का काम करने के बाद ईलू को पिता की भी सेवा करनी पड़ रही थी, जिससे उसके पास परीक्षा की तैयारी के लिए बिल्कुल ही समय नहीं मिल पा रहा था.
मेधावी छात्रा ईलू की मां भी दूसरे के घरों में काम कर परिवार का खर्च चलाती थीं. उनकी भी तबियत खराब रहने लगी तो वह भी घर पर ही रहती हैं. परिवार का खर्च चलाने के लिए ईलू ने मां की जगह दूसरे के घरों में काम करना शुरू कर दिया. ईलू की कमाई से ही पूरे परिवार के खाने, मां-पिता के ईलाज और बहन-भाई की पढ़ाई का खर्च निकलता है. बहन ने इसी साल 10वीं की परीक्षा पास की है और भाई 8वीं में है। ईलू अफशां चाहती हैं कि वह खुद के साथ अपने भाई-बहन को भी पढ़ा पाए और तीनों लोग अच्छी नौकरी पाने के काबिल हो सकें.
परीक्षा की तैयारी के दौरान पिता थे बीमार
बेंगलुरु मिरर की खबर के मुताबिक कॉलेज की परीक्षा जब नजदीक थी, उसी दौरान ईलू के पिता बीमार हो गए थे. हालात इतने बुरे थे कि ईलू के पिता बिस्तर से ऊठ भी नहीं पा रहे थे. पिता घरों में पेंट का काम करते थे, लेकिन हादसे में वे पैर गंवा चुके हैं. ऐसे में 10 घरों का काम करने के बाद ईलू को पिता की भी सेवा करनी पड़ रही थी, जिससे उसके पास परीक्षा की तैयारी के लिए बिल्कुल ही समय नहीं मिल पा रहा था.
मेधावी छात्रा ईलू की मां भी दूसरे के घरों में काम कर परिवार का खर्च चलाती थीं. उनकी भी तबियत खराब रहने लगी तो वह भी घर पर ही रहती हैं. परिवार का खर्च चलाने के लिए ईलू ने मां की जगह दूसरे के घरों में काम करना शुरू कर दिया. ईलू की कमाई से ही पूरे परिवार के खाने, मां-पिता के ईलाज और बहन-भाई की पढ़ाई का खर्च निकलता है. बहन ने इसी साल 10वीं की परीक्षा पास की है और भाई 8वीं में है। ईलू अफशां चाहती हैं कि वह खुद के साथ अपने भाई-बहन को भी पढ़ा पाए और तीनों लोग अच्छी नौकरी पाने के काबिल हो सकें.
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