ऐसी ही एक पोस्ट देखने को मिली, जिसमें एक सीरियाई फोटोग्राफर ने अपने हाथ में मौजूद कैमरे को नीचे रख दिया, ताकि एक बम धमाके में घायल हुए बच्चे को बचा सके, और उसके बाद जब उसने दूसरे बच्चे को देखा, जो संभवतः मर चुका था, वह टूट गया, और फफक-फफककर रोने लगा...
दरअसल, पिछले हफ्ते आसपास के गांवों से शरणार्थियों को लेकर आ रही बसों का एक काफिला कुछ देर के लिए अलेप्पो के निकट विद्रोहियों के कब्ज़े वाले राशिदीन कस्बे में रुका... स्थानीय ख़बरों के हवाले से 'द टेलीग्राफ' ने बताया कि एक व्यक्ति ने उसी वक्त छोटे-छोटे बच्चों को चिप्स के पैकेटों का लालच देकर अपनी तरफ बुलाया, और फिर एक बम फट गया... इस हमले में 126 लोगों की मौत हुई, जिनमें 80 से ज़्यादा छोटे-छोटे बच्चे थे...
उसी समय फोटोग्राफर और सामाजिक कार्यकर्ता अब्द अल्कादर हबक पास ही अपने काम में जुटे हुए थे, और कुछ देर के लिए वह भी बेहोश हो गए थे... उन्होंने सीएनएन को बताया, "दृश्य बेहद भयावह था... खासतौर से छोटे-छोटे बच्चों को अपनी आंखों के सामने तड़पते और मरते देखना... सो, मैंने अपने साथियों के साथ फैसला किया कि हम लोग अपने कैमरे एक तरफ रख दें, और घायलों को बचाना शुरू कर दें..."
बुरी तरह भयातुर दिख रहे हबक ने याद करते हुए बताया कि जिस पहले बच्चे के पास वह पहुंचे, वह मर चुका था... फिर वह दूसरे बच्चे की ओर लपके... वह मुश्किल से सांस ले पा रहा था, सो, उन्होंने उसे उठाया और एम्बुलेंस की तरफ भागे... हबक ने बताया, "बच्चे ने खसकर मेरा हाथ पकड़ा हुआ था, और मुझे देखे जा रहा था..."
किसी को भी इंसान होने पर फख्र का एहसास दिलाने वाले इस सीरियाई फोटोग्राफर की ये तस्वीरें वहीं मौजूद एक दूसरे फोटोग्राफर मोहम्मद अलगरेब ने खींची थीं...
@Marvel has some great heroes but none of them have achieved this level. #syrianchildren #AbdAlkaderHabak #travelban pic.twitter.com/ckhXfORtTI
— Marcus Darpino (@MarcusDarpino) April 18, 2017
Free Syrian journalist Abd Alkader Habak rescuing a child from Fua. No words.#Syria #syrianchildren #journalist pic.twitter.com/EgZJU83dpM
— Aisyah Gozali (@Aisyah_Gozali) April 16, 2017
मोहम्मद अलगरेब ने सीएनएन को बताया कि उन्होंने भी कुछ ज़ख्मी लोगों की मदद की, लेकिन बाद में उन्होंने तस्वीरें खींचना शुरू कर दिया था... उनका कहना था, "मैं सब कुछ तस्वीरों में कैद कर लेना चाहता था, ताकि ज़िम्मेदारी और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके... और मुझे फख्र है कि वहां एक युवा पत्रकार था, जो ज़िन्दगियां बचाने में मदद कर रहा था..."
अब्द अल्कादर हबक का कहना है कि उन्हें यह नहीं मालूम है कि वह बच्चा बच पाया या नहीं... उन्होंने उस बच्चे को, जो उन्हें लगभग सात साल का लग रहा था - एम्बुलेंस में छोड़ दिया था, और तुरंत ही फिर उस जगह भागकर आ गए थे, जहां बम फटा था... बस, उसी समय हबक को एक और बच्चा पेट के बल ज़मीन पर पड़ा दिखाई दिया...
दिल को ज़ार-ज़ार रुला देने वाली यह तस्वीर किसी अन्य फोटोग्राफर ने खींची, जिसमें हबक को घुटनों के बल बैठकर रोते हुए देखा जा सकता है, और उसके पास ही उस बच्चे की लाश पड़ी है...
Devastating photo @AbdHabak - Syrian videographer next to the charred body of a child. 39 children out of 70 killed by suicide bomber #syria pic.twitter.com/u3KTNo6vRl
— Ala'a Shehabi (@alaashehabi) April 15, 2017
हबक ने सीएनएन से कहा, "मैं अंदर तक भर चुका था... मैंने और मेरे साथियों ने जो कुछ देखा, उसे बयान कर पाना नामुमकिन है..."
हबक की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर हज़ारों बार शेयर और रीट्वीट किया गया है...
What I and my colleagues have done today is what inspires our humanity to those who were partners in killing the children of #Khan_Sheikhan
— Abd Alkader Habak (@AbdHabak) April 15, 2017
...और उन्हें देखने वाले भी भावुक हुए बिना नहीं रह पा रहे हैं...
@AbdHabak Your actions yesterday were truly heroic. In the chaos your very first instinct was to help. You are incredibly strong and inspiring.
— Jennifer (@JennRollins1002) April 16, 2017
@AbdHabak You and your colleagues show us that good is still alive in this awful world. You are heroes. May God keep you all safe, give you strength.
— Bint Abu Banned (@itsmenanice) April 16, 2017
@AbdHabak I don't know you, we will probably never meet but what you have done today made me proud of being human. thank you.
— Francois Randazzo (@F_Randazzo) April 16, 2017
गौरतलब है कि सीरिया में वर्ष 2011 से जारी युद्ध में अब तक 3,20,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं...
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