सीरिया में हालात हर बीतते दिन के साथ और खराब होते जा रहे हैं. विद्रोही एक-एक करके सीरिया के अलग-अलग शहरों को अपने कब्जे में ले रहे हैं. हालात किस कदर बिगड़ चुके हैं इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि विद्रोहियों ने अब सीरिया की राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया है. साथ ही विद्रोहियों ने असद के सैनिकों को आत्म समर्पण करने को भी कहा है. विद्रोहियों के बढ़ती पकड़ को देखते हुए सीरिया में सैनिक भी अपनी पोस्ट को छोड़कर जाने लगे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीरियाई सरकार का अब पतन हो गया है. जिसका साफ मतलब हुआ कि सीरिया से अब असद परिवार के 50 साल के शासन का अंत हो गया है.
वर्ष 2000 से खुद सत्ता में थे बशर अल-असद
आपको बता दें कि सीरिया सरकार की संभाल रहे मौजूदा राष्ट्रपति बशर अल-असद वर्ष 2000 से ही अपनी सरकार चला रहे थे. दो दशक से भी ज्यादा के समय में अल असद की सरकार ने गृहयुद्ध भी झेला लेकिन रूस और ईरान जैसे देशों का साथ मिलने की वजह से वह लगातार सत्ता में बने रहे. इससे पहल इनके पति हाफिज अल असद ने सीरिया में 30 साल तक शासन किया था. उनकी मौत के बाद ही उनके बेटे बशर अल असद ने सत्ता संभाली थी.
50 सालों से सीरिया में जारी था इस परिवार का शासन
सीरिया में आज के समय में विद्रोहियों को भले ही आतंकी संगठन और क्रूर कहा जा रहा हो लेकिन अगर हम असद परिवार के बीते 50 साल के शासन को देखें तो हम पाएंगे कि ये भी काफी क्रूर रहा है. असद परिवार के शासन काल के समय में लाखों लोगों का कत्लेआम करवाया गया. लाखों की संख्या में अपने घरों को छोड़कर जाना पड़ा. इतना ही नहीं सत्ता में बने रहने के लिए राष्ट्रपति असद ने छात्रों तक पर गोलियां चलवाई.
अगर बात बशल अल असद की करें तो उन्हें ये सत्ता अपने तानाशाह पिता हाफिज अल असद से विरासत में मिली थी. हाफिज अल असद ने सीरिया में 1971 से 2000 तक शासन में रहा था. असद परिवार ने सीरिया की जनता को लोकतंत्र से हमेशा दूर रखा और हर उस नेता का खात्मा करवाया जिसने इस परिवार की सत्ता को चुनौती देने की कोशिश की.
सत्ता में आने से पहले मेडिकल की पढ़ाई करते थे बशर अल असद
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्ता विरासत में मिली थी. सत्ता में आने से पहले वह मेडिकल की पढ़ाई कर रह रहे थे. जुलाई 2000 में बशर अल असद को सीरिया का राष्ट्रपति बनाया गया, साथ ही उन्हें बाथ पार्टी के नेता और सेना के कमांडर इन चीफ भी बनाया गया.
लोकतंत्र की मांग करने वालों की दी थी कड़ी सजा
सत्ता में एक दशक से ज्यादा रहने के बाद सीरिया में जब लोकतंत्र की मांग को लेकर जनता ने विद्रोह किया तो बशर अल असद ने उस विद्रोह को बड़ी क्रूरता से दबा दिया. कहा जाता है कि जैसे जैसे सीरिया की जनता उस प्रदर्शन में शामिल होती चली गई वैसे वैसे ही सरकार ने उस विद्रोह को दबाने के लिए तरीके को भी और क्रूर कर दिया. लोकतंत्र की मांग कर रहे हर प्रदर्शनकारी को राष्ट्रपति असद ने आतंकवादी कहकर बुलाया.
प्रदर्शन को रोकने के लिए प्रदर्शनकारियों पर तोप के गोले तक दगवाए गए. प्रदर्शनकारियों पर सरकार की इस क्रूरता के कारण ही सीरिया में गृहयुद्ध शुरू हो गया. अपनी सत्ता के खिलाफ चल रहे गृहयुद्ध को रोकने के लिए भी असद ने लाखों लोगों को कत्म करवाया, अपने ही नागरिकों पर रासायनिक हथियार का इस्तेमाल तक करवाया.
इस वजह से कमजोर पड़ा असद
कहा जाता है कि असद को शुरू से ही रूस और ईरान जैसे देशों का साथ मिलता रहा है. अगर उसका परिवार इतने लंबे समय तक सीरिया में शासन कर पाया तो उसकी एक वजह रूस और ईरान से मिलने वाला साथ भी है. लेकिन बीते कुछ सालों में रूस और ईरान सीरिया को पहले की तरह समर्थन नहीं कर पाए. या यूं कहें कि रूस यूक्रेन के साथ युद्ध में और ईरान इजरायल के साथ जारी संघर्ष की वजह से सीरिया पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाया. इस वजह से असद का शासन कमजोर हुआ और विद्रोहियों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए अब उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया.
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