यह ख़बर 14 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

वेलेंटाइन डे पर भारी पड़ा 'वन बिलियन राइजिंग'

खास बातें

  • महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के खिलाफ दुनिया के 200 देशों में चलाए जा रहे अभियान के क्रम में गुरुवार को दिल्ली में उमड़ते सौ करोड़ अभियान (वन बिलियन राइजिंग) शुरू किया गया। इस अभियान में एक अरब लोगों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
नई दिल्ली:

महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के खिलाफ दुनिया के 200 देशों में चलाए जा रहे अभियान के क्रम में गुरुवार को दिल्ली में उमड़ते सौ करोड़ अभियान (वन बिलियन राइजिंग) शुरू किया गया। इस अभियान में एक अरब लोगों को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इस आयोजन के चलते इस बार वेलेंटाइन डे की रंगत फीकी पड़ती नजर आई।   

भारत में 'वन बिलियन राइजिंग' अभियान का नेतृत्व संगत, जागोरी, एक्शनएड सहित लगभग 40 स्वयंसेवी संगठन इस कर रहे हैं।

दिल्ली के ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन पर इस अभियान में शामिल होने के लिए अपने हस्ताक्षर करती जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की शोधछात्रा पृथा चटर्जी ने कहा, "हम इस अभियान में उन पीड़िताओं का समर्थन करने के लिए शामिल हो रहे हैं, जिनकी आवाज सड़क और संसद दोनों जगह नहीं पहुंच पाती।"

पृथा ने कहा, "देश में दलित और जनजातीय महिलाओं के साथ दुष्कर्म की सबसे ज्यादा घटनाएं होती हैं, लेकिन अधिकांश मामले दर्ज नहीं होते। हम चाहते हैं कि इन महिलाओं की आवाज भी उतनी ही संजीदगी से सुनी जाए, जितनी दिल्ली की महिलाओं की आवाज को सुना जाता है।"

संसद के सामने विश्वव्यापी अभियान में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने सीमापुरी से आई 15 वर्षीया नस्मीन ने कहा, "हम आज लोगों से सिर्फ इतना चाहते हैं कि वे हमें छेड़ना, घूरना और परेशान करना बंद कर दें। हर जगह मेरे मम्मी-पापा या मेरा भाई मेरे साथ नहीं जा सकता। दिल्ली पुलिस के भरोसे रहने का अंजाम लोग देख ही चुके हैं, इसीलिए आज हम यहां संसद के सामने 'उमड़ते सौ करोड़' अभियान में शामिल होने आए हैं।"

राष्ट्रीय राजधानी के ग्रीन पार्क, एम्स, आईएनए मेट्रो स्टेशनों, कमला नेहरू और गार्गी कालेज तथा दिल्ली हाट में लगभग 10 हजार लोगों ने हस्ताक्षर कर इस अभियान का समर्थन किया।

कमला नेहरू कालेज में पढ़ने वाली छात्रा निवेदिता ने हस्ताक्षर करते हुए लिखा, "अपने मन के कपड़े पहनने और घूमने-फिरने की जितनी आजादी लड़कों को है, उतनी ही आजादी पाना हमारा भी हक है। बराबरी की बात करने वाले लोग इस बात को समझ लें, क्योंकि महिलाओं पर हिंसा अब और नहीं सही जा सकती।"

एक्शनएड इंडिया की कार्यक्रम निदेशक सहजो सिंह ने कहा कि इस अभियान में दलितों, जनजातीय महिलाओं, मुस्लिमों और वंचित महिलाओं की आवाज को भी शामिल किया गया है। एक्शन एड अपने सहयोगी संगठनों के साथ दिल्ली के अलावा देश के विभिन्न राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, ओडिशा, महाराष्ट्र और असम में कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। उन्होंने बताया कि सिर पर मैला ढोने वाली महिलाएं, हिंसा का शिकार हुई वनवासी और दलित महिलाएं, लिंग आधारित गर्भपात के खिलाफ अपनी आवाज उठानी वाली महिलाएं देशभर में इस अभियान का हिस्सा बन रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की महिलाओं के साथ हिंसा के सबसे ज्यादा मामले होते हैं, ऐसे में उनकी आवाज को आगे लाना हमारा मकसद है।

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सहजो सिंह ने बताया की वर्ष 2011 में महिलाओं से दुष्कर्म के 24206 मामले, बच्चियों से दुष्कर्म के 7112 और दलित महिलाओं से दुष्कर्म के 1557 मामले दर्ज किए गए थे। इसका सीधा अर्थ है कि प्रतिदिन देश में 67 महिलाओं, 19 बच्चों और चार दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म होता है। उन्होंने कहा, "ये आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकोर्ड ब्यूरो की रपट के आधार पर हैं। हम सभी जानते हैं कि आज भी दुष्कर्म के सैकड़ों मामले दर्ज नहीं किए जाते। ऐसे में लोगों में बदलाव के साथ-साथ कानून के सही क्रियान्वयन को भी इस अभियान का हिस्सा बनाया गया है।"