विज्ञापन
This Article is From Feb 17, 2017

क्यों सारे बॉलिवुडिया गाने रोमांटिक और क्यों संस्कृति के जोड़ों में दर्द?

Kranti Sambhav
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 17, 2017 18:45 pm IST
    • Published On फ़रवरी 17, 2017 18:45 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 17, 2017 18:45 pm IST
अगर आप दिल्ली में कार चलाते हैं और आपके जीवन का एक ही लक्ष्य हो कि ट्रैफिक में पागल नहीं होना है तो फिर उसके लिए दो ही तरीके हैं - एक तो संगीत और दूसरा दूसरों की कारों में झांकना, जिसे स्थानीय भाषा में ताड़ना कहते हैं. लेकिन अगर आपकी मध्यम वर्ग की कुटी हुई सभ्य अपब्रिंगिंग है तो फिर आप एक ही तरीका अपनाएंगे वो है संगीत का. और मेरी समस्या इसी मुद्दे से शुरू हुई और फिर बढ़ती-बढ़ती ब्लॉग का शक्ल ले चुकी है.

किसी म्यूजिक ऐप से सुन रहे हैं तो ठीक पर अगर किसी एफएम रेडियो स्टेशन पर चले जाएं तो मुझे जैसा संगीत प्रेमी त्राहिमाम.. त्राहिमाम कर देता है. अजीबोगरीब हालत हो गई है यहां तो, एफएम चैनलों पर चलते गानों को सुनकर लग रहा है कि रोमांस ने एक प्लेग का रूप धर लिया है. जहां देखिए रोमांस का ऐसा उन्माद है, संगीत का कंठ ऐसा दबा हुआ है कि लग रहा है कि प्रेमालाप मल्लयुद्ध में तब्दील हो गया है. गाने और भी बन रहे हैं, जैसा कि इंटरनेट पर देखकर पता चलता है, लेकिन वो सब बॉलिवुडिया रोमांटिक गानों के द्वारा ऐसे धकिया दिए गए हैं कि वो बिचारे कोने में पड़े हुए हैं. कैपिटलिस्ट धर्म में तो मार्केट में मोनोपली को तो उत्कर्ष समझा ही जाता है पर ये अंदाजा नहीं था कि संगीत भी एक दिन ऐसा ही हो जाएगा. और उस मोनोपॉली के लिए सहारा लिया गया है रोमांस का. उस धरती पर जहां साकार-आकार-निराकार-नाना प्रकार के प्रेम को स्वीकारा था. पर लग यही रहा है कि अब यहां प्रेम का एक ही रूप में स्वीकार्य है वो है लड़का-लड़की का प्रेम. उसका भी उतना ही हिस्सा,  जिसकी वीकडे में उत्पत्ति हो और जो सैटरडे नाइट तक उपसंहार को प्राप्त हो.  उसके अलावा प्रेम का हर स्वरूप त्याज्य है, परिहार्य है.

किसी भी रेडियो चैनल पर चले जाइए, रोमांस के ही गाने ठेलाए जा रहे हैं. कोई भी टॉप 10- टॉप 40 गानों की लिस्ट निकाल लीजिए, प्लेलिस्ट रोमांस पर अडिग है. बीच में ब्रीदर मिलता है जब कुछ सूफी गाने भी चलते हैं, वो गाने दरअसल इसलिए शायद क्योंकि वो विरह वाले प्लॉट के लिए फिट हो जाते हैं. ढोल-ताशे मिलाकर विरह वेदना को अच्छे कार्डियो कसरत में तब्दील कर सकते हैं. रेडियो जॉकी रोमांस का टेंप्रेचर उस हद तक बढ़ाते हैं जब तक कि नायिका का हृदय उबल न जाए, सांस अटक न जाए, आंखों की पुतलियां पलट न जाएं और अंतत: वो कोमा में न चली जाए. तब तक रोमांस का ड्रिप चढ़ता है जब तक नायक अपनी हैसियत से कहीं बड़ी रोमांटिक कोशिशों के लायक ऊर्जावान न बन जाए और हैसियत से ऊपर का भार उठाकर हार्निया का शिकार न हो जाए. फिर आरजे लोग इस मल्लयुद्धात्मक रोमांस की सप्रसंग व्याख्या भी करते हैं. और श्रोताओं के गरदन पकड़कर सिर को रोमांस के हंड़िया में तब तक चांपते हैं जब तक वो नायक-नायिका के शाश्वत प्रेम की असल गहराई न समझ जाएं. श्रोताओं को तब तक नहीं छोड़ा जाता जब तक मस्तिष्क की एक-एक नस में बॉलीवुडी रोमांस की चाशनी न दौड़ने लगे. मैथिली के मुहावरे -मीठ स माहुर, का मतलब अब जाकर समझा कि मिठास इतनी बढ़ गई कि जहर लगने लगे. यहां तक कि एक चैनल का नाम भी इश्क या प्यार हो गया है. हालांकि दुनिया के मौजूदा हालात को देखते हुए ऐसे नाम के चैनलों की जरूरत तो बहुत है पर लगता नहीं कि उस टार्गेट ऑडिएंस के लिए ये नामकरण हुआ है.

ये तो एक तथ्य है कि रोमांटिक प्रेम दरअसल वो मार्केट करने वाली कमोडिटी है जिसका मार्केट अभी यहां बन ही रहा है. बॉलीवुड से लेकर रेडियो कंपनी, होटेल-रेस्त्रां, ग्रीटिंग कार्ड कंपनी से लेकर मोबाइल फोन सबके लिए बड़ा मार्केट. 'हैप्पिली एवर आफ़्टर' एक ऐसा जुमला है जिसके इर्द-गिर्द पूरा अमेरिकी मार्केट चल रहा है. रोमांटिक प्यार एक ऐसा आइडिया है जिसने पिछले सौ-डेढ़ सौ सालों में प्रेम के थिसॉरस को कूटकर कुंजी बना दिया और रोमियो-जूलिएट के प्रेम को इत्र बना दिया है और बाकी के प्रेम को फिनायल. पर भारत में इस रोमांस का मार्केट क्यों फलफूल रहा है ये समझ नहीं आता. जिस देश की जनता अपने जीवन में रोमांस का सामना होते ही पेचिश की शिकार हो जाती है वहां पर बॉलीवुडी गानों से लेकर चाय पत्ती, बनियान, हवाई चप्पल, वाशिंग पाउडर से अगरबत्ती तक के ऐड में रोमांस कैसे स्वीकार्य बनता है.

रोमांसीकरण की ये प्रक्रिया इसलिए और ऊटपटांग लगती है क्योंकि हमारे असल जिंदगी में रोमांस को लेकर रवैया बिल्कुल उल्टा है. इतना अटपटा कि शादीशुदा जोड़े अपने हनीमून की तस्वीरें दिखाते वक्त संकोच करते हैं और जो खुश होकर शेयर भी करते हैं उस पर भी टोकाटाकी होती है. संस्कृति में एक ऐसा ऊटपटांगपना है जिसके लिए जोड़ा देखकर कुछ न कुछ प्रतिक्रिया करना जरूरी होता. दुनिया घूमने वाले हों या कुंए के मेंढक, अनपढ़ या बड़ी पढ़ाई करने वाले, जोड़े को सहजता से ले ही नहीं पाते हैं. कुछ न कुछ टीका टिप्पणी जरूरी है, छोड़ना नहीं है. सड़क पर मरते इंसान को भले ही छोड़ दिया जाए, जोड़े दिख जाएं तो मजाल है कि कोई छोड़ दे. पहले तो पुलिस वाले दौड़ाते हैं, फिर बच गए तो मोरल पुलिस वाले दौड़ाते हैं. वैलेंटाइन डे पर तो जोड़ों का शिकार फेवरेट टाइमपास होता है. हर हरे-भरे पार्क के चक्कर काटते पुलिस वालों को हम देखते ही रहते हैं. इस बार कोई बता रहा था कि एक पार्क के बाहर एक जिप्सी 16-17 घंटे तक खड़ी रही. बताइए, देश को कितनी बड़ी आपदा से बचाया इस पुलिस जिप्सी ने. वैसे पुलिस जहां नहीं पहुंच सकते वहां पर भी देश की सभ्यता-संस्कृति बचाने का बीड़ा कुछ उठा लेते हैं. वो गली-कूचे जोड़ों का इंस्पेक्शन करते हैं, धमकाते हैं, घेरकर बेइज्जत करते हैं, लड़के-लड़कियों को मारते हैं, लड़कियों के कपड़े फाड़ते हैं, वीडियो बनाते हैं, फिर राष्ट्र की सभ्यता को बचाने की कसम खाते हुए वीडियो को सोशल मीडिया पर डालते हैं. फिर संस्कृति की रक्षा में लगे फेसबुकैत इसे और वायरल बनाते हैं. यहां पर हर दिन टाइमलाइन पर माता के प्रेम से जुड़े पोस्ट किए जाते हैं, परिवार के प्रेम को प्रोत्साहित करते वीडियो ठेले जाते हैं. अपने-अपने इष्ट देव की सीवी छापकर उन्हें प्रेम करने और फिर लाइक ठोकने के लिए प्रचार करते हैं. वैलेंटाइन डे का विरोध करते हैं, कि प्रेम का एक दिन क्यों और फिर उसी दिन को मां-बाप दिवस के तौर पर मनाने में लग जाते हैं. आखिर असल जीवन की असहिष्णुता वर्चुअल जीवन में इतनी मान्य कैसे हो जाती है?

पता नहीं ये हो क्या रहा है, संगीत में मार्केटिंग की छौंक से पूरे गांव का दम फूल रहा है कि जनता की कुंठा से, पर अब ब्लॉग लिखने के बाद मैं बेहतर तरीके से सोच पा रहा हूं और इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि अपने सीडी प्लेयर को ठीक कराने का वक्त आ गया है.


(क्रांति संभव NDTV इंडिया में एसोसिएट एडिटर और एंकर हैं...)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
बॉलीवुड संगीत, रोमांस, एफएम रेडियो, वेलेंटाइन डे, ब्लॉग, क्रांति संभव, Bollywood Music, Romance, FM Radio, Valentine Day, Blog, Kranti Sambhav
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com