मनावर तहसील के ग्राम भमोरी के रहने वाले मध्यप्रदेश सिंह बताते हैं कि हमारे पिता ने हमारा नाम मध्यप्रदेश सिंह रखा और जब मैं कक्षा दसवीं तक आया तो मैंने सोचा कि जब भी मेरा बेटा होगा तो मैं अपने बेटे का नाम भोपाल सिंह रखूंगा. उन्होंने कहा कि यदि मैं मध्यप्रदेश सिंह हूं तो बेटा भोपाल सिंह होना ही चाहिए. बता दें, उन्होंने अपने बेटे का नाम भोपाल सिंह रखा है.
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साधारण से कृषक परिवार में जन्मे मध्यप्रदेश सिंह अपने आप में अनोखे नाम वाले पूरे प्रदेश में इकलौते ऐसे व्यक्ति हैं जिनका नाम सुनकर कोई भी हैरान रह जाता है. धार जिले में जन्मे मध्यप्रदेश सिंह वर्तमान में झाबुआ चंद्रशेखर आजाद शासकीय महाविद्यालय में गेस्ट फैकल्टी प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि 9 भाई-बहनों के परिवार में वह सबसे छोटे हैं. जिनका नाम परिवार के बड़ों ने मिल कर के रखा.
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यह नाम सबसे पहले कक्षा पहली में 1991 में धार जिले की बाग प्राथमिक स्कूल में भर्ती करते समय शासकीय दस्तावेजों में दर्ज हुआ. मध्यप्रदेश सिंह बताते हैं कि मुझे बड़ा गर्व होता है कि मेरे परिवार ने मध्यप्रदेश रखा है. मेरा जन्म 5 सितंबर 1985 शिक्षक दिवस पर हुआ था.
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मध्यप्रदेश सिंह की पत्नी और उनका विवाह कॉलेज के दौरान मित्रता के बाद ही हुआ. उनकी पत्नी बताती हैं कि कॉलेज के समय जब नाम सुना तो कुछ अजीब सा लगा लेकिन जान पहचान के बाद हमारी मित्रता विवाह में तब्दील हो गई और आज जीवन सुखमय है.
(धार से साबिर खान के इनपुट के साथ)
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