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This Article is From Jul 28, 2020

सड़क किनारे जूते बेचने वाले की बेटी लाई 97% नंबर, आगे के लिए मांगी मदद तो CM बोले- 'पढ़ाई पर ध्यान दो, तुम्हारा मामा...'

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के श्योपुर (Sheopur) में सड़क किनारे जूते बेचने वाले की बेटी (Daughter Of a Roadside Shoe-Seller) ने हायर सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा में 97 फीसदी नंबर लाई और स्ट्रीम की मेरिट सूची में तीसरा स्थान प्राप्त किया है.

सड़क किनारे जूते बेचने वाले की बेटी लाई 97% नंबर, आगे के लिए मांगी मदद तो CM बोले- 'पढ़ाई पर ध्यान दो, तुम्हारा मामा...'
जूते बेचने वाले की बेटी ले आई 97% नंबर, तो CM शिवराज बोले- 'पढ़ाई पर ध्यान दो, जब तक तुम्हारा मामा...'

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के श्योपुर (Sheopur) में सड़क किनारे जूते बेचने वाले की बेटी (Daughter Of a Roadside Shoe-Seller) ने हायर सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा में 97 फीसदी नंबर लाई और स्ट्रीम की मेरिट सूची में तीसरा स्थान प्राप्त किया है. मधु आर्य (Madhu Arya) रोज सुबह 4 बजे उठती थीं और हर दिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थीं. सोशल मीडिया पर उनकी खूब तारीफ हो रही है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने भी उनकी खूब तारीफ की है.

मध्य प्रदेश बोर्ड (MP Board) ने 27 जुलाई को 12वीं क्लास के नतीजे घोषित किए. इस बार 12वीं क्लास में लड़कियों का दबदबा दिखा, लेकिन इनमें श्योपुर जिले की मधु आर्य (MP Board Topper Madhu Arya) ने मिसाल कायम की है. मधु को 12वीं साइंस स्ट्रीम में 500 में से 485 नंबर मिले हैं. वो आगे जाकर डॉक्टर बनना चाहती हैं. आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार से मदद मांगी है.

सीएम शिवराज ने दिया मदद करने का वादा
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मधु को ट्विटर पर बधाई दी और उनको आगे मदद करने का वादा भी दिया. उन्होंने लिखा, 'बेटी मधु, बहुत-बहुत बधाई, शुभकामनाएं. तुम केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो. जब तक तुम्हारा मामा शिवराज है, तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं. हमारी सरकार तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति में हरसंभव मदद करेगी. तुम्हारे सपने अवश्य पूरे होंगे. मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है.'

मधु के पिता की बात करें तो वह अपनी बेटी की सफलता पर बहुत खुश हैं, लेकिन उनका कहना है कि उनकी बेटी की आगे की शिक्षा सरकार से मिली सहायता पर निर्भर करेगी,  क्योंकि उनके घऱ में आठ लोग हैं, जिनकी उन्हें देखभाल करनी होती है. मधु के पिता ने कहा- "मैं अपनी बेटी को उसके सपनों को पूरा करने में मदद करना चाहता हूं, लेकिन मुझे डर है कि मेरी गरीबी उसके सपनों में बाधा बन सकती है."

मधु की मां ने कहा, "हम बहुत खुश हैं, हमने उसे बड़ी मुश्किल से पढ़ाया और उसने भी पूरी रात बहुत कड़ी मेहनत की."

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