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This Article is From Apr 14, 2017

मलाला यूसुफज़ई ने जस्टिन ट्रूडो के टैटू पर चुटकी ली, कनाडा संसद में लगे ठहाके

मलाला यूसुफज़ई ने जस्टिन ट्रूडो के टैटू पर चुटकी ली, कनाडा संसद में लगे ठहाके
मलाला यूसुफज़ई को कनाडा की मानद नागरिकता दी गई है
ओटावा: नोबेल विजेता मलाला यूसुफज़ई को बुधवार के दिन कनाडा की मानद नागरिकता प्रदान की गई. इस मौके पर मलाला ने कनाडा की संसद में एक भाषण दिया जिसमें कही गई बातों को सुनकर आप एक बार फिर इस 19 साल की लड़की के मुरीद हो जाएंगे. कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो और अन्य सदस्यों की मौजूदगी में मलाला ने अपने भाषण में महिलाओं के अधिकारों, शरणार्थियों के संकट और शांति के मुद्दे पर अपनी बात रखी.

हमेशा की तरह मलाला का भाषण प्रेरणादायक तो था ही, साथ ही उन्होंने अपनी स्पीच में लोगों को हंसाने में भी कसर नहीं छोड़ी. खासतौर पर तब जब उन्होंने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बारे में बात करनी शुरू की. ट्रूडो की नीतियों पर बात करते हुए मलाला ने अपने भाषण में इस युवा प्रधानमंत्री के टैटू और उनके योग प्रेम का भी ज़िक्र कर डाला. मलाला ने कहा 'हमने प्रधानमंत्री ट्रूडो के बारे में कितना कुछ सुना है लेकिन एक बात मुझे हमेशा हैरान कर देती है - लोग हमेशा उनके युवा होने की बात करते रहते हैं. कहा जाता है कि वह कनाडा के इतिहास में दूसरे सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं. वह योग करते हैं. उन्होंने टैटू करवा रखे हैं और भी बहुत कुछ.'

मलाला ने बताया कि जब लोगों को पता चला कि वह ट्रूडो से मिलने जा रही हैं, तो उन्हें अलग अलग प्रतिक्रिया मिली. वह कहती हैं 'जब लोगों को पता चला कि मैं यहां आ रही हूं, सब मुझसे कहने लगे 'प्राइम मिनिस्टर से हाथ मिलाना और बताना कि वह असलियत में कैसे लगते हैं.' लोग ट्रूडो से मेरी मुलाकात को लेकर कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे. मुझे लगता नहीं कि किसी को इस मानद नागरिकता से कोई मतलब भी था.'' इस पर जहां पूरा संसद हंस पड़ा, वहीं प्रधानमंत्री ट्रूडो और उनकी पत्नी शरमाए बिना नहीं रह पाए.
 
 
 

ट्रूडो की बात करते हुए मलाला ने दुनिया भर के बच्चों को एक संदेश भी दिया. उन्होंने कहा 'यह सच हो सकता है कि किसी सरकार के प्रमुख बनने के तौर पर वह (ट्रूडो) बहुत जवान हैं, लेकिन मैं कनाडा के बच्चों से कहना चाहती हूं - लीडर बनने के लिए आपको प्रधानमंत्री ट्रूडो की उम्र का भी होना जरूरी नहीं है.' गौरतलब है कि मलाला करीब 14 साल की थी जब उन्होंने अपने देश पाकिस्तान में तालिबानी आतंकवादियों के उस फरमान को टक्कर दी थी जिसमें लड़कियों की पढ़ाई लिखाई पर पाबंदी थी. इसी विरोध के चलते उन्हें तालीबान की गोली का शिकार भी होना पड़ा लेकिन मलाला ने हार नहीं मानी.

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