
कनाडा में कराए गए आम चुनाव में मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी को जीत मिली है. इस चुनाव में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी)के नेता जगमीत सिंह को हार मिली है. इस चुनाव में जगमीत की एनडीपी को भी मुंह की खानी पड़ी है. वह इतनी सीटें भी नहीं जीत पाई है, जिससे वह अपना राष्ट्रीय दल का गर्जा बहाल रख सके. भारतीय मूल के जगमीत को खालिस्तान समर्थक नेता माना जाता है. जगमीत की हार को भारत-कनाडा संबंधों के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है. भारत कनाडा के संबंधों में पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ओर से लगाए गए आरोपों से खटास आ गई थी. ट्रूडो ने खालिस्तानी नेता हरदीप निज्झर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ बताया था.
कहां से हारे हैं खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह
जगमीत सिंह ब्रिटिश कोलंबिया की बर्नबी सेंट्रल सीट से उम्मीदवार थे. उन्हें वहां हार का सामना करना पड़ा है. उन्हें लिबरल पार्टी के वेड चांग ने हराया. जगमीत की एनडीपी को कनाडा का मीडिया इस चुनाव में किंगमेकर माना जा रहा था. उनकी पार्टी को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा है. एनडीपी को सात सीटें मिली हैं. इससे पहले के चुनाव में एनडीपी को 25 सीटें मिली थीं.
It's been the honour of my life to lead the NDP, and to represent the people of Burnaby Central.
— Jagmeet Singh (@theJagmeetSingh) April 29, 2025
Congratulations to Prime Minister Carney, and to all the other leaders on a hard-fought campaign.
I know this night is disappointing for New Democrats. 🧵
इस चुनाव में मिली हार के बाद जगमीत सिंह ने पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दे दिया. इस चुनाव में एनडीपी को अपने राष्ट्रीय दल के दर्जे से भी हाथ धोना पड़ा है. कनाडा के नियमों के मुताबिक किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल का दर्जा पाने के लिए हाउस ऑफ कॉमन्स में कम से कम 12 सीटें होनी चाहिए. इस हार पर उन्होंने कहा कि वह निराश हैं कि एनडीपी अधिक सीटें नहीं जीत सकी.

कनाडा अपनी पार्टी के एक चुनाव अभियान को संबोधित करते खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह.
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखे एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "एनडीपी का नेतृत्व करना और बर्नबी सेंट्रल के लोगों का प्रतिनिधित्व करना मेरे जीवन का सम्मान रहा है. प्रधानमंत्री कार्नी और अन्य सभी नेताओं को कड़ी मेहनत वाले अभियान के लिए बधाई. मुझे पता है कि यह रात न्यू डेमोक्रेट्स के लिए निराशाजनक है."
जस्टिन ट्रूडो को मिली थी जगमीत की बैसाखी
इस चुनाव की विजेता मार्क कार्नी के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी है. उसने अपने पूर्ववर्ती जस्टिन ट्रूडो के बेबुनियाद और निराधार आरोपों से पैदा हुए विवाद को खत्म कर दिया है. ट्रूडो सरकार ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया था. निज्जर भारतीय मूल के कनाडाई थे. उनकी वैंकूवर के गुरुद्वारे में जून 2023 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
निज्जर की हत्या से भारत-कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया था. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस विवाद की बड़ी वजह जस्टिन ट्रूडो की अल्पमत सरकार को मिलने वाला एनडीपी का समर्थन था.

कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार जगमीत सिंह की एनडीपी के समर्थन से चल रही थी.
भारत सरकार ने हर बार ट्रूडो के बेतुके आरोपों का खंडन किया. भारत का कहना है कि ये आरोप सितंबर 2023 में पहली बार लगाए गए. लेकिन इसके बाद से कई बार अनुरोध करन पर भी कनाडा सरकार उसे कोई सबूत नहीं दे पाई. इस आरोप से दोनों देशों के संबंध बहुत निचले स्तर तक चले गए थे. इससे दोनों देशों के बीच होने वाला नौ अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार भी प्रभावित हुआ. दोनों देशों ने अपने अपने देश से राजनयिकों को वापस बुला लिया. लेकिन जनवरी 2025 में आई एक कनाडाई आयोग की रपट ने भारत के स्टैंड को सही ठहराया. इसमें कहा गया था कि निज्जर की हत्या में विदेशी राज्य के साथ किसी संबंध को साबित नहीं किया जा सका.
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