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This Article is From Apr 18, 2017

...जब 40 साल के जिन्ना ने 24 साल छोटी लड़की से शादी करने के लिए मुंडवा ली थीं मूंछें

...जब 40 साल के जिन्ना ने 24 साल छोटी लड़की से शादी करने के लिए मुंडवा ली थीं मूंछें
मोहम्मद अली जिन्ना की फाइल तस्वीर
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
जिन्ना ने रूट्टी पेटिट के सामने रखा था शादी का प्रस्ताव
पेटिट के कहने पर जिन्ना ने अपनी मूंछें मुंडवा लीं
शादी के लिए रूट्टी ने इस्लाम कबूल किया और अपना नाम मरियम रख लिया
नई दिल्ली: 40-वर्षीय मोहम्मद अली जिन्ना ने जब किशोरी रूट्टी पेटिट से शादी करने की इच्छा जताई थी तो उन्होंने उनकी दुल्हन बनने के लिए एक ही शर्त रखी कि वह अपनी मूंछें मुंडवा लेंगे. जिन्ना ने न केवल अपनी मूंछें कटवा लीं, बल्कि रूट्टी को प्रभावित करने के लिए अपनी केशसज्जा भी बदल डाली.

वरिष्ठ पत्रकार शीला रेड्डी ने पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना के जीवन के बारे में ऐसे कई दिलचस्प किस्सों का खुलासा किया है. उन्होंने अपनी पुस्तक 'मिस्टर एंड मिसेज जिन्ना..द मैरिज दैट शुक इंडिया' में पारसी लड़की रूट्टी के साथ जिन्ना के विवाह के किस्से बयां किए हैं जो उनसे उम्र में 24 वर्ष छोटी थीं.

उन्होंने सोमवार शाम अपनी पुस्तक के बारे में एक सचित्र व्याख्यान दिया. रेड्डी ने इस मौके पर जिन्ना और उनकी पत्नी तथा दोनों परिवारों के दुर्लभ चित्रों के अलावा उनके जीवन के रोचक किस्से सामने रखे. उन्होंने रूट्टी के पिता दिनशा मानेकजी पेटिट की तस्वीर के साथ वह मजेदार किस्सा भी बताया जिसमें जिन्ना ने अपने बैरिस्टर कौशल का इस्तेमाल करते हुए उनसे उनकी पुत्री का हाथ मांगा था.

रेड्डी ने कहा, 'जिन्ना की रूट्टी के पिता से बातचीत हो रही थी और उन्होंने उनसे अंतर समुदाय विवाह के बारे में उनका रुख पूछा. स्वयं को राजनीतिक रूप से सही दिखाने के लिए दिनशा मानेकजी पेटिट ने कहा कि यह देश की एकता के लिए अच्छी बात होगी. रेड्डी ने कहा, 'अब जिन्ना ने अगला सवाल किया- मैं आपकी बेटी से शादी करना चाहता हूं.'यह कहा जाता है कि उन्हें दरवाजे से बाहर फेंकवा दिया गया था और दोनों के बीच उसके बाद कभी मुलाकात नहीं हुई.' रूट्टी रतन बाई का छोटा नाम है. वह उस समय 16 वर्ष की ही थीं, विवाह के लिए उनके कानूनी रूप से योग्य होने तक दोनों को दो वर्ष इंतजार करना पड़ा. जैसे ही वह 18 वर्ष की हुईं दोनों का 1918 में बम्बई के जिन्ना हाउस में विवाह हो गया. रूट्टी के परिवार का कोई भी सदस्य विवाह में शामिल नहीं हुआ.

रेड्डी ने कहा कि रूट्टी ने विवाह के लिए इस्लाम कबूल किया और मरियम नाम रख लिया. रेड्डी हालांकि पुस्तक में उल्लिखित किस्सों तक सीमित नहीं रहीं, उन्होंने पुस्तक लिखने की कहानी भी बताई. उन्होंने बताया कि नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी में उनकी नजर रूट्टी के कुछ पत्रों पर पड़ी जो उन्होंने सरोजनी नायडू की दो पुत्रियों पद्मजा और लीलामणि नायडू को लिखे थे.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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