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This Article is From Oct 27, 2015

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 16 महीने में एक भी छुट्टी नहीं लेना कोई 'बड़ी' बात है...

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 16 महीने में एक भी छुट्टी नहीं लेना कोई 'बड़ी' बात है...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के सीतामढ़ी में चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि 16 महीने यानी जबसे वह प्रधानमंत्री बने हैं, उन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली है। उन्होंने कहा कि 'मेरे लिए सत्ता सुख भोगने के लिए नहीं, सेवा के लिए है, जहां मैं हर समय ड्यूटी पर रहता हूं।'

यह भी पढ़िए - 16 महीने हो गए छुट्टी नहीं ली

पीएम मोदी के अभी तक एक भी छुट्टी न लेने की बात पर गौर किया जाए तो उनसे पहले के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का ख्याल आ जाता है जिनके लिए कहा जाता है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में एक दिन की भी छुट्टी नहीं ली थी। अपने कार्यकाल के आखिरी कुछ दिनों में मनमोहन सिंह के एक सहयोगी ने समाचार एजेंसी IANS से बातचीत में कहा था कि अपने पूरे दौर में प्रधानमंत्री ने एक भी दिन की छुट्टी नहीं ली।
 

यहां तक की जब वह विदेश यात्रा पर जाते थे तो अपना काम खत्म होने के बाद एक दिन भी ज्यादा रुकना पसंद नहीं करते थे। बीबीसी में छपी एक खबर के अनुसार उनकी बेटी की मानें तो पिछले 40 सालों में मनमोहन सिंह अपने परिवार को सिर्फ एक ही बार छुट्टी पर ले गए थे और वो जगह थी नैनीताल।

सबसे कम छुट्टियां मनाते हैं भारतीय..

अब वापस लौटते हैं नरेंद्र मोदी की बात पर, जिसमें उन्होंने कहा कि वह हर समय ड्यूटी पर रहते हैं। उनकी इस बात को 2011 की एक रिसर्च से समझा जा सकता है, जिसके मुताबिक दुनिया में सबसे कम छुट्टियां मनाने वाले लोगों में भारतीय शामिल हैं। इस सर्वेक्षण में 21 देशों के उन लोगों से बातचीत की गई थी जिनके पास कोई न कोई रोज़गार था और इन लोगों ने अपनी 20 प्रतिशत छुट्टियों का इस्तेमाल ही नहीं किया और वे बेकार चली गई।

इसी सर्वे के अनुसार 29 प्रतिशत भारतीय सिर्फ़ इसलिए अपनी छुट्टियों को इस्तेमाल नहीं कर पाए क्योंकि काम के दबाव के कारण वो पहले से इसके लिए कोई तैयारी नहीं कर सके। वहीं कई  सारे भारतीय छुट्टी पर भी काम करते नज़र आते हैं। भारतीयों ने ये भी कहा कि छुट्टियां मांगने पर उनके मैनेजर नाक-भौं चढ़ा लेते हैं। शायद यही वजह है कि भारत में प्रधानमंत्री जैसे ओहदे पर बैठने वाले नेता छुट्टी लेने के बारे में दस बार सोचते है। जब आम लोगों का छुट्टी पर जाना अन्यथा लिया जाता है तो देश के नेता छुट्टी पर जाते कैसे लगेंगे भला?

नेता जिन्हें छुट्टियों का शौक है

हालांकि ठीक इसके उलट अगर हम दूसरे देशों की बात करें तो कई राष्ट्रनेता ऐसे हैं जो अपनी नीतियों के अलावा अपनी छुट्टियों के लिए भी सुर्खियों में रहते हैं। मसलन अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जो हर साल अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने जाते हैं। कभी-कभी तो ये छुट्टी साल में एक से ज्यादा बार भी हो जाती है। कभी हवाई का आयलैंड तो कभी गर्मियों के दिनों में मैसाचुसेट्स में अंगूर के बागानों में छुट्टियां, अमेरिका के राष्ट्रपति बिना किसी की परवाह किए छुट्टी का मज़ा उठाते हैं और तो और तस्वीरें भी खिंचाते हैं।

 

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन तो बहुत ज्यादा छुट्टी लेने के लिए अपने देश में बदनाम हैं। अभी अगस्त के महीने में कैमरन अपने परिवार के साथ कोर्नवॉल के बीच पर छुट्टी मनाने गए थे, जिसका एक एल्बम वहां के अखबारों ने रिलीज़ किया है। डेविड की जरुरत से ज्यादा छुट्टी पर रहने की आदत पर वहां के अखबार गार्डियन ने 2014 में एक लेख छापा था जिसमें कहा गया था कि 'कैमरन को ध्यान रखना चाहिए की वह कोई जूता बेचने वाली कंपनी के मैनेजर नहीं है जो अपने ईमेल पर लिखकर चले जाएं कि फिलहाल वह ऑफिस में नहीं है और एमरजेंसी हो तो फोन पर बात कर लें।' इस लेख में 2011 का ज़िक्र है जिस साल कैमरन 14 बार ब्रेक पर गए थे।

छुट्टियों की आलोचना

वैसे दुनिया के चर्चित नेताओं में से एक और ब्रिटेन के राष्ट्रपति विंस्टन चर्चिल भी लंबी छुट्टियों के लिए जाने जाते थे। वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज  बुश का नाम सबसे ज़्यादा छुट्टी पर रहने वाले राष्ट्रपतियों में नंबर एक पर है। आलम यह है कि पश्चिम देशों के अखबार तो अगस्त के महीने में लिस्ट मनाते हैं कि गर्मियों की छुट्टी मनाने कौन से देश का नेता कहां जा रहा है।

हालांकि ऐसा नहीं है कि इन नेताओं का छुट्टी पर जाना पचा लिया जाता है। इन्हें भी अपने हिस्से की आलोचना का सामना करना ही पड़ता है, खासतौर पर मौजूदा हालातों में जब दुनिया भर में शरणार्थियों की समस्या और अर्थव्यवस्था की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, ऐसे में इन नेताओं को छुट्टी बीच में छोड़कर भी आना पड़ जाता है।
 

भारत में ही देख लें तो अप्रैल के महीने में जब विपक्षी पार्टी कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 'ब्रेक' लेकर बैंगकॉक का रुख किया तो पार्टी ने उसे छुट्टी ने कहकर 'आत्म मंथन' का नाम दिया ताकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद अपने नेता की ली इस छुट्टी को जायज़ ठहराया जा सके। यही नहीं पिछले महीने जब राहुल अमेरिका गए थे तब तो उनकी ऑफिस ने ट्वीट करके राहुल के एसपेन सम्मेलन की तस्वीर डाली जिसके ज़रिए यह संदेश दिया गया कि रागा दरअसल आराम फरमाने नहीं काम के सिलसिले में विदेश गए हैं।

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