मध्य प्रदेश के सतना जिले के नागौर गांव में इस साल जनवरी महीने में एक घायल यूरोपीय गिद्ध मिला था. वन विभाग की टीम ने तुरंत उसे उपचार के लिए मुकुंदपुर चिड़ियाघर भेजा, जहां उसकी देखभाल शुरू की गई. बाद में उसे भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित किया गया, जहां करीब दो महीनों तक विशेषज्ञों की निगरानी में उसका इलाज चलता रहा.
15,000 किलोमीटर का चौंकाने वाला सफर
स्वस्थ होने के बाद मार्च महीने में गिद्ध को विदिशा के हालाली बांध क्षेत्र में खुले आसमान में छोड़ दिया गया. मुक्त होते ही वह बिना किसी भय के अपने प्राकृतिक संसार में लौटने के लिए तैयार था. यहीं से शुरू हुई उसकी अद्भुत सफरनामा यात्रा. जैसे ही वह आज़ाद हुआ, उसने एक अविश्वसनीय प्रवास यात्रा शुरू की. इस यात्रा में उसने कई देशों की सीमाएं पार कीं और लगभग 15,000 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया. गिद्ध का मार्ग पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, उज्बेकिस्तान और कज़ाख़िस्तान से होता हुआ फिर भारत की ओर मुड़ गया.
नक्शे पर दिखा उसके रूट का अद्भुत चक्र
वन विभाग के अधिकारी हिमांशु त्यागी ने इस गिद्ध की यात्रा का पूरा मार्ग नक्शे के साथ साझा किया. नक्शे में साफ दिखता है कि यह पक्षी कैसे पहाड़ों, मैदानों और कई देशों के ऊपर से उड़ान भरते हुए वापस अपने देश आ पहुंचा. विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रवासी क्षमता यूरोपीय गिद्धों की अद्वितीय सहनशक्ति का उदाहरण है.

लोगों ने की जमकर तारीफ
जैसे ही इस लंबी यात्रा की जानकारी सार्वजनिक हुई, लोग सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं देने लगे. कई लोगों ने इसे प्रकृति का शानदार चमत्कार बताया. किसी ने कहा कि यह पक्षी अपनी चोट से उबरकर इतने बड़े सफर पर निकला, यह अपने-आप में प्रेरणादायक है. कई लोगों ने उसकी आज़ादी, साहस और वापसी की तुलना कविता जैसी सुंदरता से की.
लोगों ने किए मज़ाकिया कमेंट्स
कुछ यूजर्स ने हास्य शैली में प्रतिक्रिया दी. किसी ने कहा कि यह पक्षी बिना किसी पासपोर्ट, वीज़ा और दस्तावेज़ों के दुनिया घूम आया. किसी ने लिखा कि पशु-पक्षियों का समाज बड़ा समझदार है, न कोई शुल्क, न कोई कतार. बस उड़ने का मन किया और निकल पड़े. एक कमेंट में मज़ाक करते हुए कहा गया कि इसने पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से भी रास्ता नहीं बदला, वाकई साहसी यात्री है.
कैसा होता है यूरोपीय गिद्ध का रूप और स्वभाव
यूरोपीय गिद्ध खुले क्षेत्रों और पर्वतीय इलाकों में पाए जाते हैं. यह विशाल पक्षी अपने मजबूत पंखों से बेहद ऊंची और लंबी उड़ान भरने में सक्षम होता है. इसका पंख फैलाव लगभग 2.8 मीटर तक पहुँच सकता है. हल्के भूरे शरीर, सफेद सिर और गर्दन के आसपास सफेद पंखों की गोलाकार पट्टी इसकी खास पहचान मानी जाती है. यह मृत जानवरों पर निर्भर रहते हैं और प्राकृतिक सफाई में बड़ी भूमिका निभाते हैं.
अद्भुत है एक घायल पक्षी का लौट आना
एक घायल पक्षी का ठीक होकर इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय सफर पर निकलना और फिर वापस भारत लौट आना प्रकृति की अद्भुत क्षमता का प्रमाण है. यह घटना बताती है कि अगर समय पर उपचार और संरक्षण मिले, तो वन्यजीव असंभव लगने वाली यात्राएं भी पूरी कर सकते हैं.
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