प्रतीकात्मक तस्वीर
मदुरै:
मद्रास हाई कोर्ट ने अपनी तरह का एक अलग उदाहरण पेश किया है। यहां तुरंत सुनवाई के लिए याचिका पेश की गई थी जिसकी सुनवाई जज ने स्काइप (वीडियो के जरिए बातचीत की सुविधा देने वाली ऐप्लिकेशन) के जरिए की और फिर ईमेल के जरिए फैसला भी भेज दिया। मामले की रुटीन सुनवाई इसलिए संभव नहीं थी क्योंकि जज दीवाली के चलते छुट्टी पर थे लेकिन मामले की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने यह सुनवाई स्काइप पर ही कर ली। मामला शादी से जुड़ा था और कोर्ट के फैसले के बाद यह शादी आराम से पुलिस सुरक्षा में निपट गई।
दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक, तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के ओडईकल गांव के अडईकला माथा चर्च में एम. जेसू की शादी होनी थी। शादी से कुछ दिन पहले तक सब ठीक चल रहा था लेकिन फिर अचानक चर्च प्रशासन और दूल्हे के परिवार में किसी बात पर झगड़ा हो गया। मामला बढ़ने पर पीड़ित परिवार सुरक्षा की गुहार लगाते हुए पुलिस के पास पहुंच गया पर पुलिस ने सुरक्षा देने से मना कर दिया। पुलिस का तर्क था कि आप चर्च को लिखित में दे चुके हैं कि अडईकला माथा चर्च किसी वजह से अगर जगह न दे सके तो आपको दूसरे चर्च में समारोह करने से ऐतराज नहीं होगा। इसलिए पुलिस ने कहा कि वे लोग कोई और इंतजाम कर लें।
दूल्हे के परिवार ने तब वकील वी. पन्नीरसेल्वम की मदद से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पुलिस सुरक्षा बंदोबस्त की मांग की। साथ ही, चर्च को भी निर्देश देने के लिए कहा कि वह वहां शादी होने दे। लेकिन यह वाकया दीवाली वाले सप्ताह का है जहां हफ्ते भर की छुट्टी थी। तब प्रशासनिक जज वी. रामसुब्रमणियन को तकनीक की मदद से मामला निपटाने की सूझी। उन्होंने चेन्नई में मौजूद स्टिस एस. वैद्यनाथन से बात की। स्काइप के जरिए सुनवाई का विकल्प सुझाया। जस्टिस वैद्यनाथन को भी सुझाव जंच गया।
शनिवार को मदुरै से सरकारी वकील एस. चंद्रशेखर और दूसरी तरफ के पन्नीरसेल्वम ने दलीलें पेश कीं। चंद घंटों की सुनवाई के बाद ही जस्टिस वैद्यनाथन ने एम. जेसू और उसके परिवार के पक्ष में फैसला सुना दिया। मेल के जरिए फैसले से जुड़ा आदेश पहले जस्टिस रामसुब्रमणियन और फिर रात आठ बजे तक संबंधित पक्षों के पास पहुंच भी गया।
दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक, तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के ओडईकल गांव के अडईकला माथा चर्च में एम. जेसू की शादी होनी थी। शादी से कुछ दिन पहले तक सब ठीक चल रहा था लेकिन फिर अचानक चर्च प्रशासन और दूल्हे के परिवार में किसी बात पर झगड़ा हो गया। मामला बढ़ने पर पीड़ित परिवार सुरक्षा की गुहार लगाते हुए पुलिस के पास पहुंच गया पर पुलिस ने सुरक्षा देने से मना कर दिया। पुलिस का तर्क था कि आप चर्च को लिखित में दे चुके हैं कि अडईकला माथा चर्च किसी वजह से अगर जगह न दे सके तो आपको दूसरे चर्च में समारोह करने से ऐतराज नहीं होगा। इसलिए पुलिस ने कहा कि वे लोग कोई और इंतजाम कर लें।
दूल्हे के परिवार ने तब वकील वी. पन्नीरसेल्वम की मदद से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पुलिस सुरक्षा बंदोबस्त की मांग की। साथ ही, चर्च को भी निर्देश देने के लिए कहा कि वह वहां शादी होने दे। लेकिन यह वाकया दीवाली वाले सप्ताह का है जहां हफ्ते भर की छुट्टी थी। तब प्रशासनिक जज वी. रामसुब्रमणियन को तकनीक की मदद से मामला निपटाने की सूझी। उन्होंने चेन्नई में मौजूद स्टिस एस. वैद्यनाथन से बात की। स्काइप के जरिए सुनवाई का विकल्प सुझाया। जस्टिस वैद्यनाथन को भी सुझाव जंच गया।
शनिवार को मदुरै से सरकारी वकील एस. चंद्रशेखर और दूसरी तरफ के पन्नीरसेल्वम ने दलीलें पेश कीं। चंद घंटों की सुनवाई के बाद ही जस्टिस वैद्यनाथन ने एम. जेसू और उसके परिवार के पक्ष में फैसला सुना दिया। मेल के जरिए फैसले से जुड़ा आदेश पहले जस्टिस रामसुब्रमणियन और फिर रात आठ बजे तक संबंधित पक्षों के पास पहुंच भी गया।
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